सरयू नदी की कटान से वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन पुल निर्माण को झटका, पिलरों के बीच की मिट्टी बही; NHAI की उड़ी नींद
वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सरयू नदी को पार करने के लिए फोरलेन पुल का निर्माण हो रहा था। पुल निर्माण के लिए तैयार किए गए आधार के 25वें व 26वें पिलर के बीच की मिट्टी नदी की धारा में विलीन हो गई। इसे दिसंबर तक चालू करने की योजना थी। वहीं अगर कटान नहीं रुकी तो पुल निर्माण की पूरी कवायद को और भी बड़ा झटका लग सकता है।
संवाद सूत्र, दोहरीघाट (मऊ)। वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सरयू नदी को पार करने के लिए नई बाजार ओझौली फोरलेन पुल के निर्माण कार्य को सरयू नदी की प्रलयंकारी लहरों ने एक बार फिर भयावह कटान करते हुए चुनौती दे दिया है।
नदी की धारा में विलीन हुई पिलर के बीच की मिट्टी
पुल निर्माण के लिए तैयार किए गए आधार के 25वें व 26वें पिलर के बीच की मिट्टी नदी की धारा में विलीन हो जाने से एनएचएआइ व जेपी समूह के अभियंताओं की नींद उड़ गई है। बड़ी बात यह है कि नदी कटान करते हुए धीरे-धीरे फोरलेन पुल के अंतिम फाउंडेशन की ओर भी बढ़ने लगी है।
माना जा रहा है कि कटान नहीं रुकी तो पुल निर्माण की पूरी कवायद को और भी बड़ा झटका लग सकता है।
अभियंताओं की गणित उलझी
दोहरीघाट के पास सरयू नदी पर बनाए जा रहे फोरलेन पुल की इंजीनियरिंग को बार-बार मां सरयू का झटका मिलने से अभियंताओं की सारी गणित उलझ जा रही है।तीन साल पहले एनएचएआइ के नक्शे पर 18 पिलर का पुल बना था, लेकिन नेपाल ने जैसे ही सरयू नदी में पानी छोड़ा पुल के फाउंडेशन से लेकर 100 मीटर तक सड़क नदी की धारा में विलीन हो गई। इससे वर्ष 2021 में पुल चालू करने की पूरी योजना धराशाई हो गई। बाद में एनएचएआइ को आठ पिलर और बढ़ाने पड़े, जिससे यह परियोजना ढाई वर्ष पीछे चली गई।
सरयू की कटान से एक बार फिर पुल निर्माण को झटका
बीते अप्रैल माह में ही दो लेन का एक पुल तैयार हो जाने पर जेपी ग्रुप ने एनएचएआइ को सौंपा था। पहले बने दो लेन पुल पर आवागमन शुरू है, लेकिन दूसरे लेन का काम दिसंबर तक पूरा किया जाना था। इधर, सरयू की भीषण कटान से एक बार फिर से पुल निर्माण को झटका लगा है। कटान इतनी भयावह है कि उसे रोकने की कोई कारगर योजना नजर नहीं आ रही है। जबकि, मात्र दो पिलर पर सिग्मेंट ढालने का काम बाकी था।
नाम न छापने की शर्त पर कार्यदाई संस्था के अभियंताओं ने बताया कि जिस तरह से नदी कटान कर रही है, वह खतरनाक है। एनएचएआइ को या तो कटान रोकने का प्रभावी उपाय करना होगा, या फिर चार पिलर और बढ़ाना पड़ सकता है। जलस्तर बढ़ने पर कटान का अंदेशा नहीं था, लेकिन जैसे ही जलस्तर घटा है कटान से दो पिलरों के बीच की पाटी गई मिट्टी कट कर नदी की धारा में विलीन हो गई है।
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