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बागी मिजाज रखती है UP की यह सीट, सत्ता लहर के विरुद्ध चुने 10 बार सांसद, जानें इतिहास और इस बार किसके बीच है कांटे की टक्कर

Ghosi Seat लोकसभा क्षेत्र घोसी के मतदाताओं का मिजाज कुछ अलग है। पहले आम चुनाव में यहां का प्रतिनिधित्व पं. अलगू राय शास्त्री ने किया तो दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के उमराव सिंह विजयी हुए। इस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार के मुखिया पं. जवाहर लाल नेहरू रहे। वर्ष 1962 एवं 67 में यहां वामपंथी रंग प्रगाढ़ हुआ और जयबहादुर सिंह ने घोसी का प्रतिनिधित्व किया।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Wed, 29 May 2024 07:50 PM (IST)
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इस सीट के मतदाताओं ने केवल सात बार ही चुना सत्ताधारी पार्टी का सांसद

संवाद सूत्र, घोसी (मऊ)। लोकसभा क्षेत्र घोसी के मतदाताओं का मिजाज कुछ अलग है। बहती हवा का रूख पहचान केंद्र में सत्तासीन होने वाले दल के प्रत्याशी को दिल्ली भेजने में यहां के मतदाता मात्र सात बार ही सफल रहे हैं। इस क्षेत्र ने एक दो नहीं वरन दस बार अपने बागी मिजाज का परिचय दिया है।

पहले आम चुनाव में यहां का प्रतिनिधित्व पं. अलगू राय शास्त्री ने किया तो दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के उमराव सिंह विजयी हुए। इस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार के मुखिया पं. जवाहर लाल नेहरू रहे। वर्ष 1962 एवं 67 में यहां वामपंथी रंग प्रगाढ़ हुआ और जयबहादुर सिंह ने घोसी का प्रतिनिधित्व किया। इस कालखंड में कांग्रेस के पं. नेहरू, गुलजारी लाल नंदा, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सरकार रही।

वामपंथी झारखंडे ने 1968-77 तक किया घोसी का प्रतिनिधित्व

1968 में सांसद जयबहादुर सिंह के निधन के बाद वामपंथी झारखंडे राय ने 1968 से 77 तक घोसी का प्रतिनिधित्व किया। इस अवधि में कांग्रेस के हाथ में सत्ता रही। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की लहर घोसी को भी रास आई। तब शिवराम राय सांसद बने।

1980 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में वापस आई पर घोसी ने वामपंथी दिग्गज झारखंडे राय को चुना। 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद हुए चुनाव के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने व घोसी की जनता ने सत्ता पक्ष (कांग्रेस) के राजकुमार राय को दिल्ली भेजा।

1989 में कल्पनाथ राय पहली बार कांग्रेस से चुने गए सांसद

1989 के चुनाव में कल्पनाथ राय पहली बार कांग्रेस से सांसद चुने गए पर केंद्र में जनता दल के वीपी सिंह की व चंद्रशेखर की सरकार बनी। 1991 में दोबारा कांग्रेस के कल्पनाथ राय चुने गए व पीवी नरसिंहा राव पीएम बने। 1996 में तिहाड़ जेल में बंद कल्पनाथ राय निर्दल सांसद बने जबकि केंद्र में जनता दल के एचडी देवगौड़ा व बाद में आईके गुजराल को पीएम चुना गया।

1998 में जीते थे कल्पनाथ राय

पं. अटल बिहारी बाजपेई सरकार के सहयोगी दल समता पार्टी के प्रत्याशी थे। 1999 के लोकसभा चुनाव के पूर्व ही विकास पुरूष कल्पनाथ राय का देहावसान हो चुका था। 1999 के चुनाव में बसपा के बालकृष्ण चौहान सांसद बने पर तब राजग सत्ता में रही। मतदाताओं ने 2004 में सपा के चंद्रदेव राजभर व 2009 में बसपा के दारा सिंह चौहान को दिल्ली भेजा पर इस अवधि मेें दिल्ली में कांग्रेस नीत संप्रग का शासन रहा।

16 वर्ष बाद सातवीं बार यहां के मतदाताओं ने 2014 में सत्ता पक्ष के सांसद के रूप में हरिनरायन राजभर को चुन। सत्रहवीं बार इस क्षेत्र से बसपा के अतुल राय चुने गए पर केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार रही।

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