पिछले वर्ष घोसी विधानसभा उपचुनाव की भूल भाजपा को इस बार भी भारी पड़ गई और अंतत उसे हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं कमल निशान की जगह छड़ी चुनाव निशान ने भी भाजपा को काफी नुकसान किया। छड़ी के ठीक नीचे हाकी चुनाव चिह्न से भी नुकसान हुआ है। सबसे बड़ी बात यह थी कि बुजुर्ग महिलाएं मतदान के दिन कमल का निशान ढूंढ रही थीं।
जागरण संवाददाता, मऊ। पिछले वर्ष घोसी विधानसभा उपचुनाव की भूल भाजपा को इस बार भी भारी पड़ गई और अंतत: उसे हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं कमल निशान की जगह छड़ी चुनाव निशान ने भी भाजपा को काफी नुकसान किया। छड़ी के ठीक नीचे हाकी चुनाव चिह्न से भी नुकसान हुआ है।
घोसी से सपा विधायक रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने से रिक्त हुई सीट पर बीते पांच सितंबर को मतदान हुआ था।
भाजपा ने दारा सिंह चौहान को दोबारा प्रत्याशी बनाया था लेकिन सपा के सुधाकर सिंह ने उन्हें करीब 42 हजार मतों से हरा दिया था। इसका कारण सीधे जनता दारासिंह चौहान व ओमप्रकाश राजभर से नाराज थी और खुलकर भाजपा के विरोध में वोट किया था। जबरदस्त हार के बावजूद इस बीच उन्हें पिछले दिनों डिप्टी सीएम दिनेश चंद्र शर्मा से रिक्त हुई सीट पर एमएलसी का प्रत्याशी बनाया गया और वह एमएलसी चुन लिए गए थे।
इसके बाद उन्हें भाजपा ने कारागार मंत्री भी बना दिया। यही नहीं सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को भी कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। इससे भी घोसी की जनता नाराज चल रही थी। यहां तक तो बात ठीक थी लेकिन उपचुनाव की गलतियों को फिर दोहराते हुए भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर के पुत्र डा. अरविंद राजभर को घोसी लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया। यह भी जनता हजम नहीं कर पा रही थी। यही नहीं भाजपा में अंदर-अंदर कलह भी चल रहा था।
ओमप्रकाश राजभर के बड़बोलेपन से नाराज थे भाजपा नेता
भाजपा के नेता ओमप्रकाश राजभर के बड़बोलेपन व अन्य चीजों से नाराज थे। अंदर-अंदर भितरघात की आग जल रही थी। दूसरी तरफ यहां छड़ी निशान पर वोट करना था। ज्यादातर मतदाता कमल को पसंद करते हैं। ऐसे में छड़ी को लेकर परेशानी थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि बुजुर्ग महिलाएं मतदान के दिन कमल का निशान ढूंढ रही थीं। कुछ छड़ी के चक्कर में ठीक नीचे छड़ी पर भी मतदान कर दीं। यह बात मतदाताओं में अच्छी तरह से भाजपाई समझा नहीं सके। इसलिए कई तरह से भाजपा को नुकसान हुआ। इसकी वजह से हार का सामना करना पड़ा।
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