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Merrut: तनाव में चल रही 12वीं की छात्रा पांचवीं मंजिल से कूदी, स्कूल के लिए निकली और छत पर जाकर लगा दी छलांग

सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे अवनी प्री बोर्ड परीक्षा देने के लिए घर से स्कूल के लिए स्कूटी की चाबी हेलमेट और बैग लेकर निकली थी। अवनी स्कूल जाने के बजाए टावर की छत पर चली गई और वहां से छलांग लगा दी।

By Edited By: Ashish PandeyUpdated: Tue, 10 Jan 2023 10:33 AM (IST)
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पुलिस को जानकारी दिए बिना स्वजन ने खरखौदा में शव का अंतिम संस्कार कर दिया। जागरण

जागरण संवाददाता, मेरठ : शास्त्रीनगर स्थित गोल्डन टावर की पांचवीं मंजिल से कूदकर 12वीं की छात्रा ने जान दे दी। स्वजन के मुताबिक बेटी इंटर बोर्ड की  परीक्षा को लेकर तनाव में चल रही थी। मूलरूप से खरखौदा निवासी रोहित अग्रवाल शास्त्रीनगर स्थित गोल्डन टावर में स्वजन के साथ दस साल से रहते हैं और प्रापर्टी डीलर का काम करते हैं। उनकी बेटी अवनी अग्रवाल मेरठ पब्लिक स्कूल की शास्त्रीनगर शाखा में कक्षा 12वीं में पढ़ती थी। सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे अवनी प्री बोर्ड परीक्षा देने के लिए घर से स्कूल के लिए स्कूटी की चाबी, हेलमेट और बैग लेकर निकली थी। बैग में एक किताब थी। अवनी का फ्लैट टावर की तीसरी मंजिल पर है।

फ्लैट से निकलने के बाद अवनी स्कूल जाने के बजाए टावर की छत पर चली गई और करीब 50 मिनट तक वहीं बैठी रही। 10 बजकर 50 मिनट पर अवनी टावर की पांचवीं मंजिल से बेसमेंट में कूद गई। बेसमेंट से टावर की ऊंचाई करीब 60 फीट है। बेसमेंट में काम कर रहे अशोक ने अवनी को खून से लथपथ फर्श पर पड़ा देखकर शोर मचा दिया। इसके बाद कालोनी के लोग आ गए। स्वजन अवनी को लोकप्रिय अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस को जानकारी दिए बिना स्वजन ने खरखौदा में शव का अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में पुलिस ने टावर की सीसीटीवी फुटेज और छत से अवनी का बैग, हेलमेट आदि कब्जे में ले लिया।

एसएसआइ कविश मलिक ने बताया कि छात्रा के पिता रोहित अग्रवाल ने बताया है कि बेटी पढ़ाई में अव्वल थी लेकिन बोर्ड की परीक्षा को लेकर तनाव में चल रही थी। उसका मनोबल बढ़ाने के लिए पांच दिन बाहर घुमाने ले गए थे, लेकिन परीक्षा के डर से बेटी ने मौत को गले लगा लिया। अवनी का एक छोटा भाई शिवा है।

घर से स्कूल के लिए निकली और टावर की छत पर पहुंच गई अवनी

पापा-मम्मी की लाडली थी बिटिया। बिटिया की जिद पर ही पापा रोहित ने स्कूल जाने के लिए स्कूटी दिलाई। स्कूटी पर हेलमेट लगाकर यातायात के नियमों का पालन करना भी सिखाया। अक्सर छोटे भाई से अच्छे नंबर लाने का पापा-मम्मी को भरोसा दिलाती थी। खून से लथपथ अवनी को फर्श पर पड़े देखकर रोहित और आकांक्षा दौड़े। उसे बचाने की हर कोशिश की गई, लेकिन सिर के बल फर्श पर गिरने से मौके पर ही अवनी की मौत हो गई। लेकिन, स्वजन का मन नहीं माना और वे अवनी को लेकर अस्पताल दौड़ पड़े। कालोनी के लोगों का कहना है कि अवनी के व्यवहार से किसी को कभी नाराजगी नहीं हुई।

52 मिनट तक अवनी ने आत्महत्या से की जद्दोजहद

स्कूल के लिए अवनी घर से साढ़े नौ बजे निकली थी। तीसरी मंजिल से नीचे जाने के बजाय ऊपर पांचवीं मंजिल की छत पर चली गई। वहां पर करीब 52 मिनट तक बैठी रही। 10.22 बजे अवनी छत से कूद गई। अवनी के फर्श पर गिरने से जोर की आवाज हुई। उसके बाद कालोनी के लोग घरों से निकले। तब तक बेसमेंट में मौजूद अशोक ने शोर मचा दिया था। दो मिनट में ही परिवार के लोग भी छत से बेसमेंट में पहुंच गए थे।

गत परीक्षा में आए थे 80 प्रतिशत अंक

हाल ही में हुई स्कूल की आंतरिक परीक्षा अवनी में 80 प्रतिशत अंक आए थे। कम नंबर आने से अवनी अवसाद में आ गई थी। इस समय चल रही प्री बोर्ड परीक्षा को लेकर तनाव में थी। उससे ज्यादा तनाव उसे 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर था। अवनी के पिता रोहित अग्रवाल ने बताया कि अवनी की हालत देखकर उसे काफी समझाने का प्रयास किया गया था। पांच दिनों तक उसे शहर से बाहर भी घुमाने ले गए थे। उसके बाद भी परीक्षा का डर उसके दिल से खत्म नहीं हो रहा था।

अवनी के छत से कूदने का वीडियो प्रसारित

गोल्डन कालोनी में लगे सीसीटीवी में अवनी उर्फ लक्की के छत से कूदने की घटना कैद हो गई है। इंटरनेट मीडिया पर फुटेज प्रसारित हो गया। टावर में रहने वाले लोगों ने बताया कि अवनी को स्कूल छोड़ने के लिए अक्सर पापा जाते थे। सोमवार को अवनी अकेली ही स्कूटी से जाने की बात कहकर घर से निकली थी। मम्मी आकांक्षा ने अवनी को स्कूल जाते समय हेलमेट भी दिया था। समझाया था कि स्कूटी धीरे चलाकर स्कूल जाना है।

बैग, हेलमेट और स्कूल का कोट छत से पुलिस ने उठाया:

बैग में गणित प्रश्नपत्र और एक किताब रखी थी। इसके अलावा एक बाक्स में पेन और पेंसिल थे। पानी की बोतल भी रखी थी। बैग, हेलमेट तथा स्कूल का कोट उतारकर अवनी ने छत पर रख दिया था, जिसे बाद में पुलिस ने उठाया। दरअसल, अवनी के छत से गिरने के बाद मम्मी-पापा और छोटा भाई शिवा उसे लेकर सीधे लोकप्रिय अस्पताल में पहुंचे थे। वहां से शव को लेकर खरखौदा चले गए थे। देर शाम खरखौदा में ही अवनी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

टावर की छत के गेट पर क्यों नहीं डाला गया ताला?

लक्की उर्फ अवनी की मौत पर सोसायटी की लापरवाही भी सामने आ रही है। टावर की छत पर जाने वाले रास्ते पर लगे गेट पर ताला क्यों नहीं डाला गया था? यदि टावर की छत पर जाने का कोई रास्ता नहीं होता तो शायद छात्रा आत्महत्या नहीं कर पाती। टावर की सोसायटी के सचिव डा. डीके जैन ने बताया कि पांचवीं मंजिल के लोग सर्दी में धूप की वजह से छत पर चले जाते थे। इसलिए छत पर जाने वाला गेट खुला हुआ था।