पfश्चम बंगाल में हाई कोर्ट बेंच की मंजूरी पर वेस्ट यूपी के वकीलों में गुस्सा
पश्चिम बंगाल में कोलकाता हाई कोर्ट की सर्किट बेंच जलपाईगुड़ी में बनाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की मंजूरी से वेस्ट यूपी के अधिवक्ताओं का आक्रोश फूट पड़ा है।
By Ashu SinghEdited By: Updated: Sat, 09 Feb 2019 03:23 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा कर पश्चिम बंगाल में कोलकाता हाई कोर्ट की सर्किट बेंच जलपाईगुड़ी में बनाने से अधिवक्ताओं का आक्रोश फूट पड़ा है। इसके विरोध में उन्होंने 11 फरवरी को न्यायिक कार्य न करने का एलान किया है। मेरठ समेत 22 जिलों के अधिवक्ता शामिल होंगे।
केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में बनेगी रणनीति
वहीं 16 फरवरी को शामली में केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक होगी। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। हाई कोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उप्र के चेयरमैन राजेंद्र सिंह जानी और संयोजक देवकी नंदन शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट की सर्किट बेंच जलपाईगुडी में बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा,जो छह फरवरी को पास भी हो गया। बताया कि बेंच मात्र चार जिलों के लिए है,जिनकी आबादी पांच से छह लाख है।
आठ करोड़ की आबादी पर भी उपेक्षा
उन्होंने बताया कि इसके विपरीत पश्चिमी उप्र की आबादी करीब आठ करोड़ है। जबकि पश्चिमी उप्र से हाई कोर्ट की दूरी करीब सात सौ किमी है। पश्चिमी उप्र में बेंच की मांग 40 साल से भी अधिक समय से की जा रही है। केंद्र सरकार ने पश्चिमी उप्र की करोड़ों लोगों की मांग को अनदेखा करते हुए उनके साथ अन्याय किया है। विरोध में अधिवक्ता सांकेतिक रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। वहीं भारतीय विधिक परिषद के प्रस्ताव दो फरवरी के क्रम में एसोसिएशन की बैठक 11 फरवरी को दोपहर 1:30 बजे पंडित नानक चंद सभागार में होगी। वहीं न्यायिक कार्य से विरत रहने के साथ ही प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन डीएम को दिया जाएगा।
केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में बनेगी रणनीति
वहीं 16 फरवरी को शामली में केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक होगी। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। हाई कोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उप्र के चेयरमैन राजेंद्र सिंह जानी और संयोजक देवकी नंदन शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट की सर्किट बेंच जलपाईगुडी में बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा,जो छह फरवरी को पास भी हो गया। बताया कि बेंच मात्र चार जिलों के लिए है,जिनकी आबादी पांच से छह लाख है।
आठ करोड़ की आबादी पर भी उपेक्षा
उन्होंने बताया कि इसके विपरीत पश्चिमी उप्र की आबादी करीब आठ करोड़ है। जबकि पश्चिमी उप्र से हाई कोर्ट की दूरी करीब सात सौ किमी है। पश्चिमी उप्र में बेंच की मांग 40 साल से भी अधिक समय से की जा रही है। केंद्र सरकार ने पश्चिमी उप्र की करोड़ों लोगों की मांग को अनदेखा करते हुए उनके साथ अन्याय किया है। विरोध में अधिवक्ता सांकेतिक रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। वहीं भारतीय विधिक परिषद के प्रस्ताव दो फरवरी के क्रम में एसोसिएशन की बैठक 11 फरवरी को दोपहर 1:30 बजे पंडित नानक चंद सभागार में होगी। वहीं न्यायिक कार्य से विरत रहने के साथ ही प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन डीएम को दिया जाएगा।
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