सुनहरा अवसर: देशभक्ति के साजिंदे हैं तो बुला रहा मिलिट्री बैंड, यहां मिल रहा सीधा प्रशिक्षण
भारतीय सेना/नेवी/एयरफोर्स के बैंड्स में म्यूजिशियंस की भर्तियों के अलावा सभी रेजिमेंटल केंद्रों में भी म्यूजिशियंस की खुली भर्ती होती है। मिलिट्री म्यूजिक की जानकारी के अभाव में वेकेंसी खाली रह जाती हैं। इसीलिए आर्मी ब्रास बैंड म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स की विशेष ट्रेनिंग शुरू की गई है।
By Himanshu DwivediEdited By: Updated: Wed, 28 Jul 2021 11:39 AM (IST)
मेरठ, (अमित तिवारी)। आर्मी बैंड..। यह महज पीतल या अन्य धातुओं के वाद्य यंत्र बजाने वालों की मंडली नहीं। न यह मनोरंजन है और न साधारण साजिंदे। यह सेना की शान भी है और उनकी भावनाओं का प्रतीक भी। सेना में पहला कदम रखने से लेकर शहादत की गौरवमयी बेला तक आर्मी बैंड ही एक जवान के साथ होता है। तू शेर-ए-हिंद आगे चल, मरने से तू कभी न डर..। यही वो धुन हैं, जो जेंटलमैन कैडेट का हौसला बुलंद करती हैं। आर्मी बैंड के संगीतकार युद्ध में दोहरा मोर्चा संभालते हैं।
एक ओर देशभक्ति की धुनों से हौसला बढ़ाते हैं, तो दूसरी तरफ युद्ध में घायल जवानों को दवाई देने और सुरक्षित वापस लाने का फर्ज भी बखूबी निभाते हैं। भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य ब्रास बैंड, 400 पाइप बैंड और ड्रम सैन्य दल शामिल हैं। आर्मी बैंड में एक बैंड मास्टर और 33 संगीतकार होते हैं। पाइप बैंड में भी एक बैंड मास्टर और 17 संगीतकार होते हैं। फ्रेंच हार्न, बैगपाइपर, क्लेरिनेट समेत सेना के पास अनेक वाद्य यंत्र हैं, जिनकी धुनें सैनिकों में जोश और देशभक्ति का भाव पैदा करती हैं।
आजादी के बाद बनीं भारतीय धुनें: आजादी के बाद 1950 में मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में मिलिट्री स्कूल आफ म्यूजिक संस्थान शुरू हुआ। कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की पहल पर भारतीय धुनों पर आधारित हिंदुस्तानी मिलिट्री बैंड को आकार मिला। आर्मी बैंड के चार रूप हैं। इनमें टाप बैंड आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और पैरामिलिट्री बैंड्स हैं। इसी तरह आर्मी बैंड में सैन्य बैंड, पाइप बैंड और ड्रम बैंड है। आर्मी की धुनें लोकगीतों और विभिन्न कथाओं पर आधारित होती है।
मेरठ में मिल रहा आर्मी ब्रास बैंड म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स का प्रशिक्षण: योद्धा मिलिट्री एकेडमी के निदेशक ले. कर्नल अमरदीप त्यागी के अनुसार, भारतीय सेना/नेवी/एयरफोर्स के बैंड्स में म्यूजिशियंस की भर्तियों के अलावा सभी रेजिमेंटल केंद्रों में भी म्यूजिशियंस की खुली भर्ती होती है। मिलिट्री म्यूजिक की जानकारी के अभाव में वेकेंसी खाली रह जाती हैं। इसीलिए योद्धा मिलिट्री एकेडमी में आर्मी ब्रास बैंड म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स की विशेष ट्रेनिंग शुरू की गई है। मेरठ ब्रास बैंड के लिए मशहूर है, इसीलिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि अधिकतम युवा सेना के आर्मी बैंड का भी हिस्सा बन सकें। यहां आर्मी सिंफनी बैंड के बैंड मास्टर सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह योद्धा बैंड को प्रशिक्षण दे रहे हैं। रुड़की सेंटर में बैंड में भर्ती की तैयारियां की जा रही हैं।
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