अशोक मस्ती ने कहा- क्रिएटिव है हनी सिंह, मुझसे बोला प्राजी काम करना है
‘ठेकेया ते नित खड़के खड़के गिलासी तेरे नाल ते’ गाना गाकर युवा दिलों पर छा जाने वाले अशोक मस्ती ने शुक्रवार को मेरठ में परफॉर्म किया।
By Ashu SinghEdited By: Updated: Sat, 15 Dec 2018 04:26 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। ‘ठेकेया ते नित खड़के खड़के गिलासी तेरे नाल ते’ गाना सुनते ही कदम खुद चलने लगते हैं। अशोक मस्ती का यह गाना अगर एक बार जुबान पर आ जाए तो फिर आपको भी कोई थिरकने से रोक नहीं सकता। शुक्रवार को मेरठ पहुंचे अशोक मस्ती ने ब्राउरा गोल्ड रिसोर्ट में पत्रकारों से बातचीत में कई बातें साझा की। उन्होंने कहा कि आर्टिस्ट को लंबी यात्रा करनी होती है। उसे हर मंजिल को पार करना होता है। इसलिए हमेशा आर्टिस्ट को क्रिएटिव होना चाहिए।
रिसेप्शन पार्टी में किया परफॉर्म
अशोक मस्ती ने बताया कि खड़के गिलासी गाने के लिए हम सिंगर की तलाश में थे। मेरी मुलाकात हनी सिंह से हुई। उसने बोला कि..प्राजी मुझे काम करना है और वीडियो में आना है। मैंने उसे इस गाने में साथ गाने का ऑफर दिया। उसने अपने क्रिएटिव तरीके से मेरे साथ गाकर इस गाने को मुकाम तक पहुंचा दिया। आज यह गाना हर किसी की जुबान पर रहता है। वे यहां मेरठ छावनी की उपाध्यक्ष बीना वाधवा के बेटे के विवाह की रिसेप्शन पार्टी में परफार्मेस देने पहुंचे थे।
गुरदास मान मेरे गुरु
मेरा नाम अशोक सचदेवा था। 16 साल की उम्र में मैंने गाना शुरू कर दिया था। शुरुआती सफर के दौरान मेरी परफार्मेंस को पंजाबी पॉप सिंगर गुरदास मान ने देखा तो उन्होंने मेरे नाम के आगे ‘मस्ती’ लगाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आप मस्त होकर गाते हो। अशोक ने बताया कि गुरदास मान और मेरा गांव पंजाब के मुक्तसर जिले के गिदड़बहान में है। इसलिए मैंने उन्हें अपना गुरु माना।
युवाओं को रैप पसंद है
आजकल युवाओं की पसंद रैप संगीत बन गया है। रैप डबल बीट के साथ गाया जाता है। उन्होंने बताया कि रैप संगीत के पीछे अफ्रीका का एक किस्सा जुड़ा है। अफ्रीका में कुछ लोग बंदी बना लिए गए थे, जो आपस में सीधी बात न बोलकर तेजी से बात करते थे।
रिसेप्शन पार्टी में किया परफॉर्म
अशोक मस्ती ने बताया कि खड़के गिलासी गाने के लिए हम सिंगर की तलाश में थे। मेरी मुलाकात हनी सिंह से हुई। उसने बोला कि..प्राजी मुझे काम करना है और वीडियो में आना है। मैंने उसे इस गाने में साथ गाने का ऑफर दिया। उसने अपने क्रिएटिव तरीके से मेरे साथ गाकर इस गाने को मुकाम तक पहुंचा दिया। आज यह गाना हर किसी की जुबान पर रहता है। वे यहां मेरठ छावनी की उपाध्यक्ष बीना वाधवा के बेटे के विवाह की रिसेप्शन पार्टी में परफार्मेस देने पहुंचे थे।
गुरदास मान मेरे गुरु
मेरा नाम अशोक सचदेवा था। 16 साल की उम्र में मैंने गाना शुरू कर दिया था। शुरुआती सफर के दौरान मेरी परफार्मेंस को पंजाबी पॉप सिंगर गुरदास मान ने देखा तो उन्होंने मेरे नाम के आगे ‘मस्ती’ लगाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आप मस्त होकर गाते हो। अशोक ने बताया कि गुरदास मान और मेरा गांव पंजाब के मुक्तसर जिले के गिदड़बहान में है। इसलिए मैंने उन्हें अपना गुरु माना।
युवाओं को रैप पसंद है
आजकल युवाओं की पसंद रैप संगीत बन गया है। रैप डबल बीट के साथ गाया जाता है। उन्होंने बताया कि रैप संगीत के पीछे अफ्रीका का एक किस्सा जुड़ा है। अफ्रीका में कुछ लोग बंदी बना लिए गए थे, जो आपस में सीधी बात न बोलकर तेजी से बात करते थे।
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