Asian Games 2023: गोल्ड मेडल जीतकर लौटीं मेरठ की अन्नु रानी का जोरदार स्वागत, ट्रैक्टर से पहुंचे गांव वाले
Asian Games 2023 में गोल्ड मेडल जीतकर लौटीं अन्नु रानी का बहादरपुर में भव्य स्वागत किया गया। गांव से भारी संख्या में ग्रामीण ट्रैक्टर ट्राली लेकर पहुंचे कंकरखेड़ा बाइपास। अन्नूरानी के स्वागत में गांव उमड़ पड़ा। अन्नू रानी ने भाला फेंक में देश के लिए स्वर्ण पदक दिलाया। अन्नू के भाले से निकले गोल्ड से गांव में खुशी का माहौल था और अब ये खुशी और दो गुनी हुयी।
जागरण संवाददाता, सरधना/मेरठ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, भारत की आत्मा गांव में निवास करती है। शहर में कितने भी ऐश-ओ-आराम के संसाधन हो, दुनियाभर की आधुनिक तकनीक और वस्तुएं हों लेकिन किसी भी इंसानों को सुकून गांव में जाकर ही मिलता है।
गांव मेंं स्वर्ग जैसा महसूस होता है, ऐसे ही मेरठ के गांव बहादरपुर की चकरोड पर भाला फेंक, गोला फेंक और चक्का फेंक का अभ्यास कर अन्नू रानी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर खेल में अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया है।
चीन के हांगझोऊ में चल रहे एशियन गेम्स में महिलाओं की भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली अन्नू रानी शनिवार को अपनी मातृभूमि यानी पहुंची तो क्षेत्र के लोग अन्नु रानी का स्वागत करने के लिए बेताब दिखे। दबथुवा पहुंचने के दौरान कंकरखेड़ा बाइपास से ही ग्रामीण अन्नु रानी का स्वागत करना शुरू किया। उनके परतापुर पहुंचने से लेकर गांव पहुंचने तक भव्य स्वागत किया गया।
इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ वह दबथुवा में मेरठ-करनाल हाईवे पहुंची। जहां पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई, अनिल दबथुवा, ओमकरण, कैप्टन अरविंद, चौधरी सुरेन्द्र, नेपाल सिंह, ओमकार आदि ने स्वागत किया। पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई ने बताया कि बेटियां हमेशा आगे रहीं हैं। इस बार भी अन्नु ने फिर से स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया है।
अनिल दबथुवा ने बताया कि ग्रामीण आंचल से खिलाड़ी आए दिन पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। सरकार के माध्यम से गांव-गांव में ओपन जीम व खेल के मैदान बन रहे हैं। जहां पर युवा खेल का अभ्यास कर रहे हैं।
हर किसी ने दिया आशीष, लंबी उम्र हो बेटी
बहादरपुर गांव में पहुंचते ही अन्नुरानी का ग्रामीणों ने स्वागत कर आशीष दिया। उन्होंने कहा कि दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर अन्नु ने देश ही नहीं मेरठ के बहादरपुर का भी मान बढ़ा दिया है। ऐसी होनहार बेटी को हमारी भी उम्र लग जाएं।
2500 रुपये में खरीदा पहला भाला
अन्नू के पिता अमरपाल सिंह ने बताया कि एशियाड की महिलाओं की भाला-फेंक स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली मेरी बेटी के लिए एक वक्त ऐसा भी था जब मैं अपनी लाडली को डेढ़ लाख रुपये का भाला दिलाने में असमर्थ था।
अन्नु को पहला भाला 2500 रुपये में दिलाया गया था। इसके बाद अन्नु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कामयाबी हासिल की। गांव की पगडंडियों से शुरू हुआ उनका सफर स्वर्णिम रहा है।
- 28 अगस्त 1992 को जन्मीं अन्नु रानी पांच बहन-भाइयों में सबसे छोटी है।
- अमरपाल सिंह ने बताया उनका भतीजा लाल बहादुर व बेटा उपेंद्र अच्छे धावक रहे हैं।
- वह खुद शॉटपुट खिलाड़ी रह चुके हैं।
- गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने उन्हें 2010 में डिस्कस व गोला फेंक के बजाए भाला फेंक पर फोकस करने की सलाह दी।
- खेल बदलते ही मेरी बेटी की जिंदगी बदल गई।
अन्नू के भाई को बाइक सवार ने मारी टक्कर
अन्नू छोटे भाई जितेन्द्र कुमार बाइक पर सवार होकर सरधना जा रहे थे। जब वह नानू पुल के पास पहुंचे। तभी शामली की ओर से आ रही बाइक ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी। जानकारी पर ग्रामीण पहुंचे और कंकरखेड़ा बाइपास पर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर लौटीं अन्नु रानी का बहादरपुर में ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया। इससे पूर्व मेरठ करनाल हाईवे पर भाजपाइयों ने फूल माला व पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।
बहादरपुर व दबथुवा गांव से भारी संख्या में ग्रामीण ट्रैक्टर लेकर कंकरखेड़ा बाइपास पर पहुंचे। जहां अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अन्नु रानी का स्वागत किया। इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ वह दबथुवा में मेरठ-करनाल हाईवे पहुंची। जहां पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई, अनिल दबथुवा, ओमकरण, कैप्टन अरविंद, चौधरी सुरेन्द्र, नेपाल सिंह, ओमकार आदि ने स्वागत किया।
एशियन गेम्स में अन्नू की उपलब्धि
अन्नु रानी ने अपने चौथे प्रयास भाला को 62.92 मीटर दूर फेंकते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। अन्नु का यह इस सीजन का सबसे बेस्ट प्रदर्शन भी रहा। शुरुआत में भारतीय एथलीट लय में दिखाई नहीं दी, लेकिन चौथे प्रयास में अन्नु ने श्रीलंका की एथलीट को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।