अयोध्या से पश्चिम यूपी तक राम लहर के सारथी बनेंगे 'राम', अरुण गोविल को टिकट देकर भाजपा ने अवध से पश्चिम का साधा समीकरण
मेरठ में पले बढ़े और पर्दे पर भगवान राम की भूमिका निभाकर देवत्व प्राप्त करने वाले अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ-हापुड़ लोकसभा से टिकट देकर उन्हें भगवा रथ का सारथी बना दिया। इस बहाने पार्टी ने जहां पंजाबी वैश्य स्थानीय सेलेब्रटी और हिंदुत्व का मानक पूरा किया वहीं पूर्वांचल और अवध से पश्चिम उत्तर प्रदेश तक राम लहर की धार्मिक डोर को भी कसने का प्रयास किया है।
संतोष शुक्ल, मेरठ। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे छोटे पर्दे के राम अरुण गोविल जब मंदिर प्रांगण में भाजपा नेताओं के बीच खड़े थे तो इस धार्मिक तरंग के पीछे एक राजनीतिक कहानी आकार ले रही थी। अरुण गोविल यहां राम लहर पर सवार राजनीतिक लहर की ऊंचाई भांप गए थे। यहीं उनकी राजनीतिक भूमिका का मुहूर्त उदित हुआ।
मेरठ में पले बढ़े और पर्दे पर भगवान राम की भूमिका निभाकर 'देवत्व' प्राप्त करने वाले अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ-हापुड़ लोकसभा से टिकट देकर उन्हें भगवा रथ का सारथी बना दिया। इस बहाने पार्टी ने जहां पंजाबी वैश्य, स्थानीय, सेलेब्रटी और हिंदुत्व का मानक पूरा किया, वहीं पूर्वांचल और अवध से पश्चिम उत्तर प्रदेश तक राम लहर की धार्मिक डोर को भी कसने का प्रयास किया है।
हिंदुत्व को भी नई धार
मेरठ को पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी कहा जाता है। 2024 के लोकसभा में चुनाव में भाजपा यहां से हैवीवेट चेहरा उतारना चाह रही थी जिसके लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और फिल्म अभिनेता अरुण गोविल का नाम चर्चा में रहा। कई नामों पर चिंतन और मनन के बीच अयोध्या की धार्मिक तरंग को भुनाने पर पार्टी एकमत हुई और भगवान राम के प्रतिनिधि चरित्र और हिंदुत्व का चेहरा कहलाने वाले अरुण गोविल के नाम पर मुहर लग गई। पार्टी की प्रदेश इकाई बताया कि पर्दे पर सीता, भगवान कृष्ण व रावण की भूमिका निभाने वाले संसद पहुंच गए, लेकिन 'राम' रह गए थे। अब उन्हें भी सांसद बनाने की तैयारी है।अयोध्या में तय हुआ गोविल का मुहूर्त
22 जनवरी को अयोध्या में अरुण गोविल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक के साथ कई बार नजर आए। एक दिन पहले जब अरुण गोविल पीत वस्त्र धारण कर अयोध्या की सड़कों पर निकले तो जनता ने उनका स्वागत प्रभु राम के रूप में ही किया था। रामनगरी में देश भर के संतों, उद्योगपतियों एवं अभिनेताओं को शीश नवाते देखा गया। तभी से माना जा रहा था कि भाजपा इस लहर का चुनावी लाभ अवश्य लेगी।
रामायण के राम का वनवास खत्म, चुनावी रण से मिलेगा राज
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ: महाभारत और रामायण के अधिकांश कलाकार सांसद बने या फिर किसी अन्य पद पर विराजमान हुए। लेकिन राम की भूमिका निभाने वाले मेरठ के अरुण गोविल ने खुद को अभी तक राजनीति से दूर ही रखा था। होइहि सोइ जो राम रचि राखा... सौभाग्य का क्षण देखिए जिस वर्ष भगवान श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई उसी साल गोविल का भी वनवास खत्म हुआ। अपनी ही जन्मभूमि से लोकसभा में जाने के लिए भाजपा की ओर से अवसर दिया जा रहा है।अभिनेता से राजनेता बनने का शुभारंभ
अरुण गोविल की फिल्मी शुरुआत 1977 में फिल्म पहेली से हुई थी। इसके बाद उन्होंने सावन को आने दो, अय्याश, भूमि, जियो तो ऐसे जियो, हिम्मतवाला, श्रद्धांजलि, ससुराल, बादल, राधा-सीता, गुमगुम, सांच को आंच नहीं, गंगा धाम, इतनी सी बात, कमांडर फिल्में कीं। वहीं सीरियल में विक्रम बेताल, विविधा, विश्वामित्र, हरिश्चंद, शिव महिला शामिल हैं। विक्रम बेताल से उनकी प्रमुख पहचान बनी। इसी के बाद रामानंद सागर ने उन्हें रामायण में अवसर दिया। कई बार चुनाव का अवसर आया लेकिन दूरी बनाते रहे। मार्च 2021 में अरुण ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
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