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Lok Sabha Election 2024: चौकाएंगी बसपा सुप्रीमो मायावती की चाल, बदल जाएंगे पश्चिम के सियासी समीकरण!

Lok Sabha Election 2024 BSP News मायावती के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश काफी फायदेमंद साबित हुआ था। 1989 में बिजनौर से बसपा सुप्रीमो पहलीबार सांसद बनी थी। इस बार लोकसभा चुनाव में आइएनडीआइए का गठबंधन मायावती की मुश्किलें बढ़ाने की कोशिश करेगा। मेरठ नगर निगम में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद पश्चिम की कई सीटों पर ओवैसी फैक्टर आइएनडीआइए और बसपा की मुश्किलें बढ़ाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Mon, 04 Sep 2023 11:45 AM (IST)
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मायावती के पत्ते खोलते ही नए करवट लेंगे पश्चिम यूपी के समीकरण
मेरठ, जागरण संवाददाता, (संतोष शुक्ल)। Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति दो ध्रुवों में सिमट रही है, ऐसे में तीसरे ध्रुव पर अकेली खड़ी मायावती की रणनीति पर सबकी नजर टिकी है। राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि बसपा की चाल से पश्चिम उप्र के सियासी ग्रह नक्षत्र तय होंगे।

पार्टी नए सिरे से मुस्लिम और दलित वोटों को एकजुट करने के प्रयास में है, वहीं आइएनडीआइए और एनडीए में कद के मुताबिक तवज्जो न पाने वाले जाट, गुर्जर, ओबीसी व दलित वर्ग के चेहरों पर भी डोरे डालने की रणनीति है। उधर, कई सीटों पर आइएनडीआइए और बसपा के सियासी समीकरण टकराएंगे, जिसका भाजपा लाभ उठाना चाहेगी।

आइएनडीआइए और चंद्रशेखर को घेरेगी बसपा

2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बसपा का खाता भी नहीं खुला और 2017 विधानसभा चुनाव में पश्चिम में मायावती को भारी नुकसान हुआ। हालांकि कोर दलित वोट पार्टी के साथ बंधा रहा। 2019 में सपा और रालोद के साथ चुनाव लड़ते हुए बसपा ने सहारनपुर, नगीना, बिजनौर व अमरोहा की लोकसभा सीटों पर कब्जा किया और मेरठ में बेहद नजदीकी मुकाबले में हारी।

नगर निकाय में जूझती दिखी थी बसपा

स्थानीय निकाय चुनावों में भी ठोस वोटबैंक के बावजूद बसपा संघर्ष करती नजर आई। 2024 के लोकसभा चुनाव में आइएनडीआइए से दूर रहने का एलान कर चुकी मायावती के लिए अकेले चुनाव लड़कर जीतना आसान नहीं होगा, ऐसे में पार्टी जातीय समीकरणों का नट बोल्ट कसने में जुटी है। आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर की काट भी बसपा खोज रही है। पार्टी ने पश्चिम में दो दर्जन ऐसे नेताओं की सूची बनाई है जिन्हें एनडीए और आइएनडीआइए से टिकट न मिलने पर अपने खेमे में कर सके।

2019 में गठबंधन था, 2024 में अकेली खड़ी बसपा 

  • बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में बैठक कर प्रदेशभर की समीक्षा नए सिरे से की है।
  • पश्चिम यूपी की सियासत में 1984 से होमवर्क करने वाली मायावती की यहां मजबूत पकड़ रही है।
  • मायावती पहली बार 1989 में बिजनौर से सांसद चुनी गईं
  • पिछले कई विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में बसपा को पश्चिम उप्र में मुस्लिम-दलित समीकरण के साथ गुर्जरों का भी खूब वोट मिला।
  • सहारनपुर, संभल, बिजनौर, नगीना, मेरठ, मुजफ्फरनगर, कैराना, रामपुर एवं मुरादाबाद समेत कई सीटों पर मुस्लिम और दलित कुल वोटों में करीब 50 प्रतिशत की भागीदारी रखते हैं।

दर्जनभर मुस्लिम चेहरों में से चुना जाएगा नया विकल्प

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा और कांग्रेस की घेरेबंदी के लिए मायावती पश्चिम उप्र में मुस्लिमों को टिकट में तवज्जो दे सकती हैं। सहारनपुर के कद्दावर नेता इमरान मसूद को बसपा निकाल चुकी है, लेकिन पार्टी ने पश्चिम यूपी के 14 जिलों में से दर्जनभर ऐसे मुस्लिम चेहरों को छांटा है जो बसपा में पहले रहे हैं या अन्य दलों से पूर्व विधायक व सांसद रह चुके हैं। 

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