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Yakub Qureshi: नौ माह में टूटा 'तिलिस्म', कभी गाड़ी रोकने पर मारा था सिपाही को थप्पड़, हाथ जोड़ते हुए गए जेल

Meerut News याकूब कुरैशी को दिल्ली से गिरफ्तार कर मेरठ पुलिस ने जेल भेजा है। कभी सिपाही को मारा था चांटा जेल जाते वक्त जोड़ते दिखे हाथ। आलीशान कोठी से लेकर तीन कमरों के फ्लैट में रहने को मजबूर।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 08 Jan 2023 09:42 AM (IST)
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Meerut News: याकूब कुरैशी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
मेरठ, जागरण टीम, (अभिषेक कौशिक)। वक्त जब बदलता है, तो आदमी को अर्श से फर्श पर आने में देर नहीं लगती। कुछ ऐसा ही याकूब कुरैशी के साथ हुआ। एक दौर था जब उन्होंने सरेराह बावर्दी सिपाही को चांटा मार दिया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद भी उनकी पेशानी पर बल नहीं आया था। आज स्थिति ऐसी हो गई थी कि पुलिस से बचने के लिए छिपना पड़ रहा था। आलीशान कोठी से लेकर किराये के फ्लैट में रहने को मजबूर हो गए। अंत में उनको सलाखों के पीछे ही जाना पड़ा।

सिपाही को मारा था चाटा

साल 2011 में मंत्री रहते हुए याकूब कुरैशी ने हापुड़ अड्डा चौराहे पर ड्यूटी कर रहे सिपाही चहन सिंह बालियान को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मार दिया था कि उसने मंत्री की गाड़ी को रोक दिया था। सिपाही ने लखनऊ तक अफसरों से गुहार लगाई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इससे आहत होकर चहन सिंह ने नौकरी छोड़ दी थी। सरकार जाने के साथ ही याकूब की हनक भी कम होती चली गई। नौ माह पहले खरखौदा थाने में मुकदमा दर्ज होने से पहले उन्होंने कभी यह भी नहीं सोचा होगा कि शहर छोड़कर भागना पड़ेगा।

एक शहर से दूसरे शहर और एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में छिपते फिरे। कभी जयपुर तो कभी गाजियाबाद। दिल्ली में भी उन्होंने लगातार ठिकाना बदला। जहां से एसओजी ने उनको पकड़ा है, वहां एक सप्ताह पहले ही आए थे। यहां भी किसी से बातचीत नहीं करते थे, कहीं कोई पहचान ना ले।

तीन कमरों के फ्लैट में छिपे थे

याकूब के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है। कई आलीशान मकान हैं। गाड़ियों की भी लाइन लगी है। लेकिन, पुलिस से बचने के चक्कर में उनको कोठी से किराये के फ्लैट में छिपना पड़ा। नौ माह के दौरान उन्होंने कभी दो कमरों के फ्लैट तो कभी तीन कमरों के फ्लैट में रहना पड़ा। उनकी कोठियों में ही कर्मचारियों के लिए तीन-चार कमरे होते हैं।

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हाथ जोड़कर जेल में रखा कदम

सिपाही चहन सिंह को थप्पड़ मारने की घटना से लेकर जेल में जाने से पहले पुलिसकर्मियों को हाथ जोड़ने की घटना से एक बात साबित होती है कि याकूब का तिलिस्म और तेवर दोनों ही टूट गए। उनकी आवाज में भी वो रौब और रुबाब नहीं था, जो पहले था। बड़ी विनम्रता से उन्होंने पुलिस से बात की। उनको भी पता चल चुका है कि वक्त बदल चुका है। अब उनकी एक नहीं चलेगी। 

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