यह धनराशि पुलिस को मिल जाए, तो जनपद में एनडीआरएफ की यूनिट का भी संचालन हो सकता है। साइबर अपराध को अंकुश करने के लिए बल मिलेगा। थानों से लेकर चौकी की खस्ता हालत में सुधार होगा। साथ ही पुलिसकर्मियों को सरकारी आवास की सुविधा भी मिल सकेगी।
एडीजी जोन डीके ठाकुर का कहना है कि वैसे तो प्रदेश स्तर पर ही आवास से लेकर वाहनों तक की खरीदारी की जाती है। लेकिन मेरठ के हिस्से में तीन सौ करोड़ का बजट आए, तो पुलिस महकमे में काफी सुधार हो सकता है। उससे एडवांस पुलिसिंग की तरफ से एक बढ़ता कदम होगा।
सबसे ज्यादा जोर इस समय साइबर अपराध पर दिया जा रहा है। प्रत्येक जनपद में साइबर थाने खोल दिए गए। अब मिनी साइबर फोरेंसिंक लैब की भी जरूरत है। पेश है वित्तीय वर्ष की अपेक्षित बजट पर सुशील कुमार की रिपोर्ट....।
एनडीआरएफ यूनिट को सौ करोड़ जरूरत
जनपद में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) यूनिट की जरूरत भी है। सालभर में कई ऐसे हादसे हो चुके है, जिनमें एनडीआरएफ की बटालियन को गाजियाबाद से बुलाना पड़ता है। नहर में गिरकर डूबने के मामले में प्रत्येक माह एक राउंड एनडीआरएफ को जरूर ही लगाना पड़ता है। यदि मेरठ में यूनिट खुल गई तो, जोन के अन्य जनपदों में भी समय से एनडीआरएफ की टीम पहुंच सकती है। उसके लिए सौ करोड़ के बजट की जरूरत है।
10 करोड़ से लग जाएंगे सीसीटीवी कैमरे
प्रदेश सरकार ने हाल ही में जनपद को तीस हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने का लक्ष्य दिया है। 18 हजार कैमरे लगाए भी जा चुके है। अगर तीस हजार का लक्ष्य भी पूरा हो गया। तब भी पूरे जनपद को कवर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में 20 से 25 हजार और सीसीटीवी कैमरों की जरूरत है, जिनके लगने से शहर और देहात के ऐसे हिस्से कवर हो जाएंगे, जहां पर अपराधिक घटनाएं करने के बाद बदमाश फरार होते है। उसके लिए भी पुलिस को दस करोड़ का बजट चाहिए।
पुलिस आवास के लिए भी 90 करोड़ का बजट चाहिए
पुलिस लाइन में आवास के चार टावर बनकर तैयार हो चुके है, जिनमें 192 परिवारों को आवास मिलेंगे। उसके अलावा परतापुर में 48 आवास, घाट चौकी पर 48 आवास का टावर बनाया जाएगा। इसी तरह से माधवपुरम चौकी पर 32 आवास, सिविल लाइंस में दस बैरक और 32 आवास, खरखौदा में 32 आवास, दौराला में 32, किठौर में 16, बहसूमा में 40, परीक्षितगढ़ में 32 और जानी में 32 आवास स्वीकृत हो चुके है। उनके निर्माण का कार्य शुरू भी हो चुका है।
पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ने के बाद फिर भी आवास की अभी और भी जरूरत है। इसलिए आवास के लिए अभी भी पुलिस को 90 करोड़ के बजट की जरूरत है। ताकि पुलिस लाइन में पुराने मकानों की स्थिति को भी सुधारा जा सकें।
नये थानों का निर्माण और बिल्डिंग में सुधार को चाहिए 20 करोड़
जनपद में तीन नए थानों का निर्माण होने है। पिल्लोखड़ी चौकी, मेडिकल थाने की जेल चुंगी चौकी और जानी थाने की सुभारती चौकी को थाना बनाया जाए। उसके अलावा 12 थानों में 15 पुलिस चौकियां बनाई जाए। ताकि अपराधिक घटनाओं में सुधार हो सकें। उसके लिए भी प्रदेश सरकार से 20 करोड़ के बजट की जरूरत है। क्योंकि लोहियानगर और साइबर थाने का भी निर्माण हो सकेगा। दोनों ही थाने किराए की बिल्डिंग में संचालित हो रहे है।
एक करोड़ की जरूरत है यातायात सुधार में
शहर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से नासूर बन चुकी है। हर सड़क जाम से कराह रही है। हाईवे की स्थिति भी जाम को लेकर दयनीय हो चुकी है। पुलिस मान रही है कि यातायात के नियमों का पालन नहीं करने से जाम से तो जूझना पड़ता है। इसमें सुधार के लिए पुलिस को उपकरणों की भी जरूरत है। पूरे शहर को कवर करने के लिए वाहनों की स्पीड नापने के लिए स्पीडगन-07, नशे में वाहन चलाने वालों की जांच के लिए ब्रेथलाजर-10, वाहन-250, वायरलेस 300, हथियार, बैरियर-592 और डेसिबल मीटर-07, पांच क्रेन के लिए एक करोड़ बजट की जरूरत है।
मिनी साइबर लैब और साफ्टवेयर को 50 करोड़ की जरूरत
बढ़ता साइबर अपराध दीवार बनकर सामने खड़ा है, प्रत्येक दिन दो से तीन लाख की रकम साइबर अपराधी अपने खातों में डलवा रहे है। यह रकम लूटपाट और चोरी से भी कई गुणा ज्यादा है। साइबर अपराध को काबू करने के लिए पुलिस को एडवांस तकनीकी और एक्सपर्ट की जरूरत है। पुलिस लाइन में साइबर थाने का संचालन हो गया है। कंकरखेड़ा में साइबर थाने की बिल्डिंग और मिनी साइबर लैब के लिए बजट की जरूरत है। उसके लिए 50 करोड़ से ज्यादा के बजट की जरूरत है।
29 करोड़ से दमकल विभाग काे मिलेगा दम
दमकल विभाग में सबसे ज्यादा स्टाफ की कमी है, मानक के अनुसार सभी पद भरे नहीं गए है। 30 फोरमैन की जरूरत है। साथ ही पांच फायर टैंकर की आवश्यकता है। साथ ही आफिस की बिल्डिंग को भी सही कराने के लिए बजट की जरूरत है। इसके रुड़की रोड पर दमकल का स्टेशन खोला जाए। इसके अलावा देहात में भी कुछ मिनी स्टेशन खोलने की जरूरत है, जिसके लिए दमकल विभाग को 29 करोड़ की जरूरत है। इसमे दमकल के मिनी सेंटर भी खोल दिए जाएंगे।
सीएफओ संतोष राय ने बताया कि 29 करोड़ की कीमत से दमकल के ढांचे को सुधारा जा सकता है, हालांकि अभी भी हमारे पास पर्याप्त साधन है।
साइबर अपराध से निपटने के लिए ये है प्राथमिकता
-बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट अच्छी कंपनी होने चाहिए।
-सीडीआर और आइपीडीआर साफ्टवेयर खरीदे जाए।
-लैपटाप और मोबाइल की सुविधा मुहैया कराई जाए।
-सेंट्रल डेटा बेस के कंप्यूटर रूम तैयार होना चाहिए।
-मोबाइल लिसनिंग के लिए सर्वजर होना चाहिए।
-नाइट विजन मशीन रात में बिना टार्च चलाएं
-नाइट विजन गोगल
-जीपीएस ट्रेक्टर
-हिडन कैमरे
प्रदेश सरकार ने साइबर अपराध की तरफ एक कदम बढ़ाया है। 75 जनपदों में साइबर थानों का संचालन कर दिया गया है। अभी भी साइबर अपराध पर ध्यान देने की जरूरत हैं। अब अपराधी लूट, चोरी और डकैती से भी ज्यादा रकम साइबर ठगी कर बैंक खाते से निकाल लेते है। उसके लिए ज्यादातर पुलिस को साइबर एक्सपर्ट बनाना होगा। उसके लिए प्रत्येक जनपद में मिनी फोरेंसिंक लैब लगाई जाए। हालांकि सरकार इस तरफ काफी ध्यान दे रही है। पूरे प्रदेश में ही हाल में साइबर अपराध का ग्राफ गतवर्षों के मुकाबले दोगुना हो गया है।
बृजलाल, पूर्व डीजीपी
साइबर थाना खुलने से नागरिकों को राहत मिली है। जनपद में कानून व्यवस्था के बदलाव को वैसे तो बजट की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों को पर्याप्त आवास और उपकरण मिल जाएं तो बेहतर है। जनपद में तीन नए थानों का भी निर्माण होना है। थानों में नई तकनीकी भी लानी होगी। ताकि बदमाशों को मात दी जा सके। रोहित सिंंह सजवाण, एसएसपी
मेरठ में तैनात पुलिस
आईपीएस - 4
पीपीएस - 12
इंस्पेक्टर - 70
सब इंस्पेक्टर - 442
हेड कांस्टेबल - 1205
कांस्टेबल - 3670
यातायात पुलिस की स्थिति
- एसपी ट्रैफिक
- सीओ ट्रैफिक
- तीन ट्रैफिक इंस्पेक्टर
- 30 टीएसआइ
- 46 हेड/एचसीपी - 72 की जरूरत
- 101 सिपाही - 216 की जरूरत
- 42 महिला सिपाही
- 55 से 60 होमगार्ड रहते हैं
- 25 से 30 पीआरडी जवान रहते हैं
यातायात पुलिस के पास संसाधन
25 ट्रेमो बाइक
10 एंजल स्कूटी
03 छोटी क्रेन - तीन की जरूरत
01 इंटरसेप्टर
20 ब्रीथ एनालाइजर- छह ही सही
6 स्पीड गन - एक ही सही
उप्र में एक लाख लोगों पर 89 पुलिसकर्मी
संयुक्त राष्ट्र के मानक अनुसार एक लाख लोगों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। देश में यह आंकड़ा 144 का है। मतलब 450 व्यक्तियों पर एक पुलिसकर्मी की तैनाती चाहिए। लेकिन यहां 694 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो एक लाख जनसंख्या पर 89 पुलिसकर्मी हैं, जबकि दिल्ली में 520 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में पुलिस बल काफी कम है। मेरठ में 860 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। कोई वीआइपी या अन्य कार्यक्रम में आरएएफ या पीएसी का सहारा लेना पड़ता है। दूसरे जनपदों से भी पुलिस बुलाई जाती है।
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