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CCSU: लागा चुनरी में दाग, यूनिवर्सिटी में कभी-कभी गूंज रहा है यह तराना Meerut News

CCSU Campus लॉकडाउन में ऑनलाइन अध्ययन-अध्यापन से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन अब संतुष्ट है। विवि पढ़ाई के संग कई चीजों में ऑनलाइन सुविधा देने में आगे है।

By Prem BhattEdited By: Updated: Sat, 23 May 2020 03:30 PM (IST)
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CCSU: लागा चुनरी में दाग, यूनिवर्सिटी में कभी-कभी गूंज रहा है यह तराना Meerut News

मेरठ, [विवेक राव]। CCSU Campus अपने जमाने की एक मशहूर फिल्म में गायक मन्ना डे का गाना है, लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.. घर जाऊं कैसे.., गाने का भाव बहुत गहरा है। चौधरी चरण सिंह विवि में कभी- कभी ये गाना सुनाई देने लगता है। विवि में कई शिक्षकों ने अपनी काबिलियत से दुनिया में डंका बजाया है। यहां से निकलकर दूसरे विश्वविद्यालयों के कुलपति भी बने। उनपर परिसर को गर्व भी रहा है। हालांकि कभी शर्मसार भी हुए। कुछ साल पहले एक प्रोफेसर गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे। जब लौटे तो कुछ बदनामी लिए रहे। वहीं, परिसर के एक पूर्व कुलपति को कई घोटाले में आरोपी ठहराया गया था। मौत के बाद उन पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश हुआ था। अब ताजा मामला केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी से निकल आया है। विवि के एक शिक्षक वहां के मुखिया बने हैं, नियुक्ति में उन पर भी आरोप लग गया है।

ऑनलाइन से क्‍यों डर

लॉकडाउन में ऑनलाइन अध्ययन-अध्यापन से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन अब संतुष्ट है। विवि पढ़ाई के संग कई चीजों में ऑनलाइन सुविधा देने में आगे है। पिछले कई साल से ऑनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। डिग्री और मार्कशीट के आवेदन भी जल्द ही ऑनलाइन होने लगेंगे। हालांकि विवि में अभी कई ऐसे काम हैं जिन्हें ऑनलाइन करना होगा। ऑनलाइन पढ़ाने में विवि यह मानकर चल रहा है कि गांव के बच्चे तकनीकी में दक्ष नहीं हैं, कनेक्टिविटी नहीं है लेकिन क्या विश्वविद्यालय भी तकनीकी रूप से कमजोर है। आज तक ऑनलाइन मूल्यांकन की दिशा में नहीं सोच पाया। कापियों को स्कैन करने, ऑनलाइन आरटीआइ में स्कैन कापियां उपलब्ध कराने की योजना भी आगे नहीं बढ़ी। टॉपर्स की कापियां भी वेबसाइट पर आने का कई साल से इंतजार कर रहीं हैं। लॉकडाउन ने एक मौका दिया है, ऑनलाइन आजमाने में डरने की क्या बात है।

वेबिनार की आई बहार

चौधरी चरण सिंह विवि हो या उससे जुड़े कॉलेज, इस समय वेबिनार की बहार है। पहले सेमिनार के लिए संस्थानों को लाखों खर्च करना पड़ता था। लखनऊ में मीटिंग होती थी, तो शिक्षा अधिकारियों को एक घंटे की मीटिंग के लिए एक दिन पहले ही दौड़ना पड़ता था। मजबूरी में ही सही, जब से वेबिनार का दौर शुरू हुआ है, कम खर्च में अच्छे रिजल्ट भी सामने आने लगे हैं। गुरुवार को कोरोना के बाद उच्च शिक्षा में बदलाव पर चर्चा को लेकर उच्च शिक्षा निदेशालय ने एक वेबिनार किया। उपमुख्यमंत्री भी उसमें रहे। चौ. चरण सिंह विवि से लेकर प्रदेश के कई कुलपति भी चर्चा में शामिल हुए। तीन घंटे की चर्चा में कई सार्थक बातें भी हुईं, लेकिन सबसे बड़ी बात वेबिनार में जूम से लेकर यूट्यूब के माध्यम से साढ़े तीन हजार लोगों का जुड़ना रहा। निदेशालय के अधिकारी गदगद रहे। प्रतिभागी भी संतुष्ट रहे।

भविष्य आपके हाथ में

शहर में संक्रमण का खतरा है, इसके बीच में यूपी बोर्ड का मूल्यांकन शुरू हो चुका है। मेरठ में पांच मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं जहां 2700 के करीब परीक्षकों पर छह लाख से अधिक कापियों का जांचने की जिम्मेदारी है। तमाम झंझावातों के बीच परीक्षक मूल्यांकन केंद्र पर पहुंच रहे हैं। कोरोना के काल में कापियां जांचने निकल रहे बहुत से परीक्षक सिस्टम को कोस रहे हैं तो कुछ काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कर रहे हैं। कुछ ने बहिष्कार किया है। हालात को देखते हुए शिक्षक नाराज हो सकते हैं फिर भी संकट की घड़ी में धैर्य की जरूरत है। शिक्षकों को अपनी सुरक्षा के साथ लाखों छात्रों के भविष्य को भी देखना होगा। अगर मन में चिंता लेकर भारी मन से मूल्यांकन करेंगे तो संभव है छात्रों के साथ अन्याय हो जाए। मूल्यांकन में जा रहे हैं तो इस बात को भी गंभीरता से सोचना चाहिए।