Bharat Ratna: चौधरी चरण सिंह के व्यक्तित्व से जुड़ी आठ बड़ी बातें, जो उन्हें बनाती हैं भारत रत्न
Chaudhary Charan Singh चौधरी चरण सिंह के व्यक्तित्व से जुड़ी कई बातें हैं जो उन्हें भारत रत्न बनाती हैं। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों के हित के लिए संघर्ष किया। उन्होंने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान किसानों के उत्थान और विकास के लिए अनेक अहम नीतियां बनाईं। इससे किसानों के हालातों में काफी सुधार भी दिखा।
डिजिटल डेस्क, मेरठ। Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह को भारत सरकार भारत रत्न से सम्मानित करेगी। चौधरी चरण सिंह के साथ पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पीएम मोदी खुद एक्स पर पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है।
आज हम इस खबर के माध्यम से आपको किसानों का मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। वहीं किसानों के मसीहा, जिनकी याद में अब किसान दिवस मनाया जाता है। वहीं चौधरी चरण सिंह, जो पूर्व प्रधानमंत्री के साथ एक शानदान लेखक भी रहे चुके हैं।
चौधरी चरण सिंह से जुड़ी कुछ खास बातें
- मेरठ चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि रही है। यहां इनके नाम से एक (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) विश्वविद्यालय भी है। सीसीएसयू की स्थापना सन 1965 में 'मेरठ विश्वविद्यालय' नाम से हुई थी। बाद में इसका नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह के नाम पर रख दिया गया।
- पूर्व प्रधानमंत्री ने मेरठ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद में यहीं से वकालत भी की थी। कचहरी रोड स्थित छोटे से मकान में रह कर उन्होंने वकालत की शुरुआत की थी, तीन-चार साल वह यहां रहे।
- चौधरी चरण सिंह एक लेखक भी थे। उन्होंने इकोनामिक नाइट मेयर आफ इंडिया समेत कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। चौधरी साहब महाभारत से जुड़ी कथाएं लोक शैली में गाते थे और सुनने के भी शौकीन थे।
- चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों के हित के लिए संघर्ष किया। उन्होंने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान किसानों के उत्थान और विकास के लिए अनेक अहम नीतियां बनाईं। इससे किसानों के हालातों में काफी सुधार भी दिखा।
- ‘धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत’ पुस्तक के अनुसार, चौधरी साहब ने सितंबर 1970 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की तब वह कानपुर में दौरे पर थे। वहीं से सरकारी गाड़ी वापस की तथा प्राइवेट वाहन से लखनऊ पहुंचे।
- मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने अपनी गाय को तबके सूचना निदेशक पंडित बलभद्र प्रसाद मिश्र को दिया। तब कहा था कि त्यागपत्र देने से बंगला, नौकर-चाकर गए। गाय की देखभाल कौन करेगा? गाय हमारे यहां बेची नहीं जाती इसलिए आप ले जाइए।
- चौधरी साहब ने 1954 में कृषि उपज बढ़ोतरी को मिट्टी की जांच व्यवस्था शुरू कराई तथा अंग्रेजी जमाने का वह कानून खत्म कराया जिसमें नहर पटरी पर ग्रामीणों के चलने पर रोक थी।
- रालोद नेता ओमबीर ढाका बताते हैं कि चौधरी साहब जातिवाद के कट्टर विरोधी थे। इसे खत्म करने के लिए उन्होंने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया।
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