Chhath Puja 2022: पर्यावरण की सफाई और समानता का प्रतीक भी है छठ, दिखता है श्रद्धा और समर्पण का सैलाब
Chhath Puja In Meerut 28 अक्टूबर से छठ पूजा महापर्व शुरू होने जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के जूलोजी विभागाध्यक्ष प्रो. एके चौबे बताते हैं कि इस व्रत को संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है।
By Jagran NewsEdited By: PREM DUTT BHATTUpdated: Thu, 27 Oct 2022 12:19 PM (IST)
मेरठ, जागरण संवाददाता। Chhath Puja 2022 भारतीय संस्कृति में छठ पूजा का संदेश पौराणिक होने के साथ ही वैज्ञानिक भी है। उगते और डूबते सूर्य की पूजा देश-दुनिया को समानता का संदेश देती है। दीपावली के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत होती है। चार दिनों के इस पर्व में श्रद्धा और समर्पण का सैलाब दिखता है। बता दें कि इस साल छठ पूजा का महापर्व 28 अक्टूबर 2022 से शुरू हो रहा है।
इस प्रकार होता है छठ पर्व
यहां मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के जूलोजी विभागाध्यक्ष प्रो. एके चौबे बताते हैं कि इस व्रत को संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे व अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 36 घंटे का व्रत पारण किया जाता है। हजारों वर्ष पुरानी परंपरा में विशेष बात यह भी है कि पूजा में किसी भी पंडित या पुरोहित की जरूरत नहीं पड़ती है। श्रद्धालु खुद की व्रत रखते हैं और पूजा भी करते हैं।
वैज्ञानिक पहलू भी जानिए
छठ पूजा का वैज्ञानिक पहलू भी महत्वपूर्ण है। प्रकृति के एक मात्र ऊर्जा श्रोत सूर्य, पृथ्वी पर हर जीवन को ऊर्जावान करते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ रखने का सबसे बड़ा संदेश छठ पूजा के जरिए श्रद्धालु देते हैं। नदी, तालाब के किनारे पूजा स्थलों पर सफाई को प्रमुखता दी जाती है। पूजा में इस्तेमाल सभी सामग्री प्राकृतिक होती है। कृषि से उत्पन्न नए पदार्थों को सूर्य देव को समर्पित करने के साथ ही उनके सेवन की शुरुआत होती है।
पर्यावरण स्वच्छ रखने के लाभ
बढ़ते प्रदूषण के कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी पर तकरीबन दो प्रतिशत ही पहुंचती हैं जिस पर हर जीव निर्भर है। ऐसे में प्राकृतिक सामग्री के इस्तेमाल करने का संदेश प्रकृति में प्रकृति के साथ प्रकृति को संरक्षित करते हुए जीने का संदेश अहम है। पर्यावरण स्वच्छ रखने से सूर्य रहने तक साफ-सुथरी सौर ऊर्जा मिलती रहेगी जिससे पर्यावरण के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।स्वच्छ त्योहार महोत्सव के रूप में मनाएगा निगम
छठ पर्व को मेरठ नगर निगम स्वच्छ त्योहार महोत्सव 2022 के रूप में मनाएगा। पूजा स्थलों की साफ-सफाई कराई जाएगी। तालाब व कुंड में स्वच्छ पानी भराया जाएगा। लोग स्वच्छ वातावरण में हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मना सकेंगे। नगर विकास विभाग ने स्वच्छ त्योहार महोत्सव मनाने का निर्देश दिया है। बकायदा इसके लिए गाइडलाइन जारी की है। छठ पूजा को स्वच्छता के साथ उत्साहपूर्वक मनाये जाने के लिए श्रद्धालुओं व आम जनमानस को प्रोत्साहित किया जाएगा।
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30 और 31 अक्टूबर दो दिन छठ पूजा के मुख्य हैं। इस दिन उन स्थलों की साफ-सफाई कराई जाएगी, जहां पर छठ पूजा उत्सव का आयोजन होता है। सफाई दिन में दो बार होगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कचरे व पालीथिन की गंदगी का प्रवाह तालाब, घाट या कुंड में न हो। छठ पूजा स्थलों के आसपास कचरा कहीं डंप नहीं होगा। पूजा स्थलों पर स्वच्छता संबंधित नोटिस बोर्ड चस्पा किए जाएंगे।पोर्टेबल टायलेट की व्यवस्था
आयोजन स्थलों पर मोबाइल टायलेट या पोर्टेबल टायलेट की व्यवस्था की जाएगी। नगर निगम कर्मचारियों की तैनाती पूजा स्थलों पर करेगा। ताकि सफाई व्यवस्था बनाई रखी जा सके। पूजा स्थलों पर पानी के भरे टैंकर के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। स्वच्छता संदेश देने के लिए आयोजन स्थलों पर स्वच्छता सेल का एक स्टाल लगाने का निर्देश भी दिया गया है। हरे और नीले रंग के कूड़ेदान भी आयोजन स्थल पर लगाए जाएंगे। ताकि कूड़ा उसी में पड़े।गगोल तीर्थ में होता है बड़ा आयोजन
छठ पर्व पर विश्वामित्र की तपोस्थली गगोल तीर्थ पर बड़ा आयोजन होता है। यहां करीब 10,000 से अधिक श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा शहर में रिठानी, शताब्दीनगर, पल्लवपुरम में भी आयोजन होते हैं। गगोल तीर्थ पर बड़ा तालाब है। जबकि अन्य स्थानों में लोग कुंड बनाकर उसमें पानी भरते हैं। विगत कई वर्षों से मेरठ शहर में छठ पर्व मनाने का चलन बढ़ा है। यह भी पढ़ें : Chhath Puja 2022: कल से नहाय खाय के साथ छठ पूजन होगा शुरू, मेरठ के इन स्थानों पर की गई हैं तैयारियां