Chhath Puja छठ के प्रसाद से शरीर को मिलता है ग्लूकोज और कैल्शियम। मेरठ में विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसरडा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पंचमी को निर्जला व्रत के बाद गन्ने के रस व गुड़ से बनी खीर पर्याप्त ग्लूकोज की मात्रा सृजित करती है।
By Jagran NewsEdited By: PREM DUTT BHATTUpdated: Fri, 28 Oct 2022 08:00 AM (IST)
मेरठ, जागरण संवाददाता। Chhath Puja 2022 छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। चार दिनों के दौरान सूर्य उपासना धन धान्य और सेहत से मालामाल कर सकती है। इसका व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन है। इसलिए इसे महापर्व कहा जाता है। यह आस्था ही नहीं, वैज्ञानिक कारणों से भी अनूठा महापर्व है। छठ पर्व पर चतुर्थी को लौकी और भात का सेवन कर शरीर को व्रत के अनूकूल तैयार किया जाता है।
गन्ने के रस की खीर
मेरठ में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसरडा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पंचमी को निर्जला व्रत के बाद गन्ने के रस व गुड़ से बनी खीर पर्याप्त ग्लूकोज की मात्रा सृजित करती है। इस पर्व में बनाए जाने वाले अधिकतर प्रसाद में कैल्शियम की भारी मात्रा मौजूद होती है।उपवास की स्थिति में मानव शरीर प्राकृतिक कैल्शियम का ज्यादा उपभोग करता है।
सबसे ज्यादा विटामिन डी
प्रकृति में सबसे ज्यादा विटामिन डी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही होता है। अर्घ्य का समय भी यही है। अदरक व गुड़ खाकर पर्व समाप्त करना लाभाकारी होता है। विज्ञान के अनुसार उपवास के बाद भारी भोजन हानिकारक होता है। विज्ञान के नजरिए से देखें तो दीपावली के बाद सूर्य का ताप पृथ्वी पर कम पहुंचता है। व्रत के साथ-साथ सूर्य के ताप से ऊर्जा का संचय किया जाता है। इससे सर्दी में शरीर स्वस्थ रहता है।
पाचन तंत्र पर पड़ता है प्रभाव
ठंड के मौसम में शरीर में कई तरह के परिवर्तन भी होते हैं। जिसका प्रभाव पाचन तंत्र पर पड़ता है। छठ पर्व का 36 घंटों का उपवास पाचन तंत्र को बेहतर बना देता है। यही नहीं, छठ पूजा एक तरह से प्रकृति की पूजा है। नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा होती है। जो सफाई और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रेरित करती है। छठ पर्व के दौरान केला, सेब, गन्ना सहित कई फलों की प्रसाद के रूप में पूजा होती है, जिनसे वनस्पति का महत्व बढ़ता है।
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