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केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी के बीच मतभेद ने बढ़ाई BJP की टेंशन! सीएम योगी ने खुद संभाला मोर्चा

चर्चित मुजफ्फरनगर के लोकसभा सीट की धुरी अब सरधना बन गया है। मेरठ का यह विधानसभा क्षेत्र लोकसभा के परिसीमन से मुजफ्फरनगर सीट का हिस्सा है जो अब पूरे प्रदेश में प्रत्याशी डा. संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच मतभेद के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। रार्धना का ठाकुर चौबीसी यानी क्षत्रिय बहुल 24 गांव अचानक से राजनीतिक फलक पर उभरकर आया है।

By pradeep diwedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 11 Apr 2024 08:07 AM (IST)
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सरधना की धुरी पर घूम रहा मुजफ्फरनगर
संवाददाता,जागरण मेरठ। (Lok Sabha Election 2024) चर्चित मुजफ्फरनगर के लोकसभा सीट की धुरी अब सरधना बन गया है। मेरठ का यह विधानसभा क्षेत्र लोकसभा के परिसीमन से मुजफ्फरनगर सीट का हिस्सा है जो अब पूरे प्रदेश में प्रत्याशी डा. संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच मतभेद के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है।

रार्धना का ठाकुर चौबीसी यानी क्षत्रिय बहुल 24 गांव अचानक से राजनीतिक फलक पर उभरकर आया है। माना जा रहा है कि क्षत्रियों को राजनीतिक भागीदारी कम मिलने के पीछे जो आक्रोश इधर-उधर पनपा है उसका केंद्र रार्धना ही रहा है।

सरधना विधानभा निभाएगी निर्णायक भूमिका

चर्चा है कि इसलिए मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने रार्धना को सभा के लिए चुना। सरधना विधानसभा सीट इस बार निर्णायक भूमिका निभाएगी इसलिए मुख्यमंत्री ने सीधे-सपाट शब्दों में जिम्मेदारी दे दी कि पिछली बार की तुलना में दोगुना वोट चाहिए।

मुख्यमंत्री पश्चिम उत्तर प्रदेश के लगभग सभी लोकसभा क्षेत्रों में सम्मेलन कर चुके हैं। इससे पहले भी आते रहे हैं लेकिन रार्धना के लिए उन्हें विशेष रूप से आना पड़ा। इन दिनों वे विभिन्न प्रदेशों में स्टार प्रचारक के रूप में सभा कर रहे हैं लेकिन उन्हें उसी में समय निकालकर इस विरोध का पटाक्षेप करने आना पड़ा।

दोनों नेताओं को याद दिलाई पार्टी की परंपरा

योगी ने अपने भाषण में स्वयं दो बार यह उल्लेख किया कि वह जम्मू से सीधे रार्धना आए। यही नहीं उन्होंने स्पष्ट रूप से संजीव बालियान और संगीत सोम का नाम लेकर पार्टी की परंपरा याद दिलाई कि व्यक्ति मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम सब राष्ट्रधर्म के लिए सब कुछ बलिदान कर देते हैं।

उन्होंने महाराणा प्रताप की वीरता से लेकर सरधना की वीरता का भी बखान किया। हालांकि उन्होंने जातिगत वर्चस्व की लड़ाई और जातिगत दबाव को नकारकर परोक्ष रूप से हिदायत देते हुए कहा कि जिन्होंने जाति और सामाजिकता को छिन्न-भिन्न किया उनका समय समाप्त हो जाता है। बोले, जाति के सौदागर आएंगे और फिर सौदा करके चले जाएंगे।

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