सीसीएसयू मेरठ के तीन जिलों के कालेज मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय से जुड़े, जानिए क्या होगा बदलाव
मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय यानी सीसीएसयू से मेरठ गाजियाबाद गौतमबुद्धनगर हापुड़ बागपत बुलंदशहर सहारनपुर मुजफ्फरनगर शामली जिलों के 950 कालेज जुड़े थे। अब शामली मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों के कालेज एमएसयू से संबद्ध हो गए हैं।
By Parveen VashishtaEdited By: Updated: Thu, 02 Dec 2021 10:55 PM (IST)
मेरठ, जागरण संवाददाता। गुरुवार को सहारनपुर में मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय (एमएसयू) का शिलान्यास किया गया। इसके साथ ही एमएसयू विश्वविद्यालय से तीन जिले सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर के कालेजों को संबद्ध कर दिया गया है। अभी तक इन जिलों के कालेज सीसीएसयू मेरठ से जुड़े थे। देर शाम शासन की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है।
264 कालेज एमएसयू से हुए संबद्ध अभी तक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय यानी सीसीएसयू से मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली जिले के 950 कालेज जुड़े थे। अधिसूचना जारी होने के बाद शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के 264 कालेज एमएसयू से संबद्ध हो गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत राज्यपाल ने चौधरी चरण सिंह विवि को परीक्षा परिणाम की घोषणा करने और उपाधि तैयार करने की व्यवस्था करने को कहा है। यानि शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के कालेजों की डिग्री सहारनपुर विश्वविद्यालय के नाम से तैयार कराई जाएगी। सीसीएसयू मेरठ और एमएसयू सहारनपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने बताया कि अधिसूचना के बाद दो दिसंबर से ही तीनों जिलों के कालेज सहारनपुर से संबद्ध माने जाएंगे। आगे डिग्री और परीक्षा का परिणाम कैसे तैयार करना है, इसकी तैयारी की जाएगी। फिलहाल इस साल चौधरी चरण सिंंह विवि का दीक्षा समारोह किया जाएगा। एमएसयू सहारनपुर से तीन जिले संबद्ध होने के बाद सीसीएसयू मेरठ के पास केवल 686 कालेज बचे हैं।
रिजल्ट को लेकर परीक्षा नियंत्रक का किया घेरावमेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में गुरुवार को छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक का घेराव किया। छात्र नेता विनीत चपराना के नेतृत्व में पंडित दीनदयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कालेज के बीसीए द्वितीय सेमेस्टर के छात्र परीक्षा नियंत्रक से मिले। उन्होंने बताया कि कोविड की वजह से उनकी परीक्षा नहीं हुई। प्रथम सेमेस्टर के आधार पर दूसरे सेमेस्टर का रिजल्ट बनाया गया। जिसमें उन्हें फेल कर दिया गया। जबकि वह प्रथम सेमेस्टर में पास थे। छात्रों ने अपने भविष्य का हवाला देते हुए नियमानुसार रिजल्ट घोषित करने की मांग की।
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