Singhasan Yoga: मेरुदंड को लचीला बना देता है इस योग का सतत अभ्यास, ऐसे करें अभ्यास
Singhasan Yoga सिंहासन योग सांस संबंधी बीमारियों शरीर में प्राणवायु का संचारण ठीक करने के साथ मेरुदंड को लचीला बनाता है। इसे करते समय शरीर का आकर सिंह की तरह प्रतीत होता है इसीलिए इसे सिंहासन कहते हैं।
By Taruna TayalEdited By: Updated: Fri, 14 May 2021 04:33 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। सिंहासन योग सांस संबंधी बीमारियों, शरीर में प्राणवायु का संचारण ठीक करने के साथ मेरुदंड को लचीला बनाता है। इसे करते समय शरीर का आकर सिंह की तरह प्रतीत होता है, इसीलिए इसे सिंहासन कहते हैं। कोरोना संकट के बीच इस आसन का नियमित अभ्यास फेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ ही अन्य परेशानियों के समाधान में उपयोगी बन सकता है। यह कहना है योग शिक्षक अशीष शर्मा का। उन्होंने इस योग के करने के तरीके व फायदों के बारे में विस्तार में बताया है। आइए जानते हैं।
ऐसे करें सिंहासन सर्वप्रथम सिंहासन के लिए अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं। दोनों एड़ियों को कूल्हों के नीचे की ओर बीच में इस प्रकार रखें कि दाईं एड़ी बाईं ओर व बाईं एड़ी दाईं ओर हो और ऊपर की ओर मोड़ लें। अब दोनों को जमीन ऐसे टिकाएं कि पंजे जमीन को स्पर्श करें और उंगलियां चेहरे की विपरीत दिशा में हों। इसके बाद मुंह खुला रखें और जितना संभव हो सके जीभ को बाहर निकाल लें। आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान की ओर देखिए। अब नाक से सांस लें और सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर ध्वनि को निकालिए। यह सिंहासन की एक आवृत्ति हुई। कम से कम दस बार सिंहासन करें।
सिंहासन के फायदे
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- नाक, कान और गले से पीड़ित व्यक्तियों से यह अत्यंत उपयोगी आसन है।
- इसका नियमित अभ्यास से गले में होने वाले संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
- अस्थमा के रोगियों को काफी आराम मिलता है।
- पेट की मांसपेशियों के लिए एक अच्छा व्यायाम है।
- रक्त कासंचार सुधारता है। इससे शरीर में आक्सीजन का संचार बेहतर ढंग से होता है।
- मेरुदंड को लचीला और मजबूत बनाता है।