Danger Mobile Apps: अगर आपके मोबाइल में ये एप हैं इंस्टाल तो तुरंत कर दे डिलीट, वरना पलभर में बैंक खाते हो जाएंगे खाली
साइबर के विशेषज्ञ डा. ललित कुमार का कहना है कि ग्राहक को इस समय बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि साइबर अपराधी पैसे लुटने के बाद तुरंत कई एप के माध्यम से ट्रांसफर कर देते हैं। उनके मोबाइल नंबर आधार नंबर सब फर्जी मिलते हैं।
By Himanshu DwivediEdited By: Updated: Mon, 06 Sep 2021 03:13 PM (IST)
(विवेक राव) मेरठ। इंटरनेट की दुनिया में जहां कई सुविधाएं मिली हैं। वहीं, इसके सहारे साइबर ठग तेजी से लोगों की गाढ़ी कमाई को चुरा रहे हैं। जरा सी चूक से लोगों के बैंक खाते साफ होने लगे हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण कई तरह के मोबाइल एप भी हैं, अगर आपके मोबाइल में इस तरह के एप हैं तो सावधान रहें। बैंक से लेकर विशेषज्ञों की सलाह है कि ऐसे ऐप को तुरंत अपने मोबाइल से रिमूव कर दें।
आप आनलाइन बैंकिंग करते हैं या नहीं। आप फीचर फोन यूज करते हैं या स्मार्ट फोन यूज करते हैं। साइबर ठग हर मोबाइल से पैसे लूटने में सक्षम हैं। बैंक का खाता मोबाइल नंबर से जुड़ने और कई तरह के मोबाइल वैलेट ने साइबर ठगों की राह आसान कर दी है। साइबर ठग फेसबुक, ट्विटर सहित इंटरनेट के हर माध्यम पर नजरें गड़ाए हुए हैं। अंजान क्लिक, मैसेज भेजकर वह लोगों के फांसने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कभी वह लोगों के अपनी बातों में फंसा रहे हैं, तो कभी फाइबर कनेक्शन, इंश्योरेंस, आफर, आनलाइन पार्ट टाइम जाब, फूड की होम डिलीवरी, बैंक में ईकेवाइसी कराने से लेकर तमाम तरीके से लोगों को झांसे में ले रहे हैं।
यह मोबाइल एप हैं खतरनाक
बैंकों की ओर से एनी डेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम व्यूअर, मंकी सर्वे, मिंगलव्यू जैसे मोबाइल एप डाउनलोड करने से से सावधान किया जा रहा है। साथ ही अंजान क्यूआर कोड के स्कैन करने से भी मना किया जा रहा है। साइबर ठग ऐसे एप के आगे कुछ ऐसी चीजें लिख देते हैं जिससे जल्दबाजी में कोई सही पता जानकार क्लिक कर लेता है। इसके बाद साइबर ठग मोबाइल का संचालन अपने हाथ में ले लेते हैं।
बैंक से नहीं मिलेगी मदद
आरबीआइ के निर्देश के बाद बैंक हर तरह के ट्रांजेक्शन पर मैसेज भेजकर सावधान करते हैं कि वह अनाधिकृत लेनदेन पर बैंक को तुरंत फोन करें। इसके बाद भी साइबर ठगी के बाद बैंकों में शिकायत का कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। ज्यादातर मामलों में पुलिस और साइबर सेल भी आनलाइन ठगी को नहीं पकड़ पा रही है। कोविड के दौरान सबसे अधिक घटनाएं
मेरठ में कोविड के दौरान सबसे अधिक साइबर ठगी के मामले आए हैं। इसमें स्टेट बैंक को सबसे अधिक साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया है। जिसमें ज्यादातर मामलों में स्टेट बैंक ग्राहक की गलती मानकर अपना पीछा छुड़ा रहा है। अभी कुछ दिन पहले स्टेट बैंक कैंट ब्रांच ने एक ग्राहक के 50 हजार रुपये के आनलाइन ठगी के मामले में यह कहकर आवेदन रिजेक्ट कर दिया कि यूपीआइ से ग्राहक ने ही पैसे ट्रांसफर की अनुमति दी।
खुद रहें सतर्कसाइबर के विशेषज्ञ डा. ललित कुमार का कहना है कि ग्राहक को इस समय बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि साइबर अपराधी पैसे लुटने के बाद तुरंत कई एप के माध्यम से ट्रांसफर कर देते हैं। उनके मोबाइल नंबर, आधार नंबर सब फर्जी मिलते हैं। ऐसे में पुलिस भी उन तक नहीं पहुंच पाती है।
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