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Meerut News: जर्मनी से आई भाभी ने देवर को दिलाई 'दर्द' से मुक्ति; मानवाधिकार आयोग ने बैठाई नशामुक्ति केंद्र पर जांच

Meerut News पूजा मिश्रा जर्मनी से मेरठ आ गई और पुलिस प्रशासन की टीम के साथ नवजीवन दान नशा मुक्ति केंद्र पर पहुंची। पुलिस प्रशासन की टीम ने भूड़बराल के पास ओम साईंधाम कालोनी में संचालित नवजीवन दान नशा मुक्ति केंद्र पर छापामार 23 लोगों को मुक्त करा केंद्र को सील कर दिया गया। डिप्टी सीएमओ डा. सुधीर कुमार ने परतापुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 24 Jul 2024 11:24 AM (IST)
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जर्मनी से भारत पहुंची पूजा ने नशा मुक्ति केंद्र से देवर को कराया मुक्त।
मेरठ, जागरण संवाददाता। जर्मनी के म्यूनिख शहर में आईटी कंपनी संचालित कर रही पूजा मिश्रा अपने देवर के लिए मसीहा बन गई। उन्हें जब पता चला कि सात साल से मेरठ के भूड़बराल के पास ओम साईंधाम कॉलोनी में संचालित नवजीवन दान नशा मुक्ति केंद्र में देवर को तरह-तरह की यातनाएं दी जा रही है। वह सहन नहीं कर पाई और हजारों किलोमीटर दूर जर्मनी से मेरठ आ गई।

देवर को इस केन्द्र से मुक्त कराया। इसी दौरान उन्हें इस केन्द्र पर नशा छुड़ाने से ज्यादा अमानवीय यातना देने की जगह नजर आईं। केन्द्र से देवर को मुक्त कराया और उन्हें वह आगरा स्थित अपने दूसरे आवास पर ले गई। वहां उन्होंनें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ई-मेल से पत्र लिखकर इस केंद्र की अमानवीयता बयां की।

आयोग ने उप्र के डीजीपी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की। डीजीपी ने डीएम व एसएसपी को तत्काल टीम गठित कर इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया। पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के दौरान एनआरआई महिला आगरा से मेरठ आ गई और 23 लोगों को इस केन्द्र से मुक्त कराया।

पूजा के देवर सात साल से थे नशा मुक्ति केंद्र में

सुशांत सिटी की मूल निवासी उद्यमी पूजा मिश्रा जर्मनी के म्यूनिख शहर में रहती हैं। पूजा को जानकारी मिली कि उनका देवर सात साल से नवजीवन दान नशा मुक्ति केंद्र में रह रहा है। देवर को तरह-तरह की यातनाएं दी जा रही है। उन्होंने 18 जुलाई को मेरठ पहुंचकर अपने देवर को मुक्त करा लिया। बाद में उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को केन्द्र की जानकारी दी।

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पूजा की शिकायत पर दर्ज हुआ केस

पूजा ने आयोग को बताया कि यह नशा छुड़ाने के केंद्र से ज्यादा अमानवीय यातना देने की जगह लग रही है। आयोग के डिप्टी रजिस्टार (विधि) केके श्री वास्तव ने इस मामले में केस दर्ज किया और उप्र के डीजीपी से तत्काल रिपोर्ट तलब की। डीजीपी ने डीएस व एसएसपी को टीम का गठन कर तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने पूजा मिश्रा को भी ई-मेल के माध्यम से इसकी जानकारी दी।

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गंदगी भरे छोटे कमरों में रखते थे लोगों को

पूजा का कहना है कि केंद्र में छोटे व गंदगी से भरे कमरों में कई-कई लोगों को कैद कर रखा गया था। वहां डाक्टर, नर्स व परामर्शदाता भी मौजूद नहीं था। कमरे के साथ एक ही शौचालय था।

फूट-फूटकर रोए पीड़ित

पूजा मंगलवार को सुभारती अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का हाल जानने पहुंचीं। उन्हें देखकर कई पीड़ित फूट-फूटकर रोने लगे। कहा कि आपकी इस पहल से ही उनको उस नरक से मुक्ति मिली। पीड़ितों में सेना से सेवानिवृत्त एक अधिकारी भी थे। एक युवक ने दावा किया कि उसे नशे की लत नहीं थी, लेकिन संपत्ति के विवाद के चलते उसे जबरन इस केंद्र में भर्ती करा दिया गया। ऐसे में उसे घर जाना संभव नहीं लगता। पूजा ने कहा कि मानवाधिकार आयोग के आदेशानुसार प्रशासन को पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए।

10 लोग गए अपने स्वजन के साथ

केंद्र का पंजीकरण स्वास्थ्य विभाग में नहीं है। सुभारती मेडिकल कालेज के अस्पताल में भर्ती 24 मरीजों में से 19 के स्वजन से संपर्क हुआ है। मंगलवार शाम तक 10 को स्वजन अपने साथ ले गए थे। चार-पांच कमजोर लोगों का उपचार चल रहा है। डा. सुधीर कुमार, डिप्टी सीएमओ

जमानत पर छोड़े आरोपित

मौके से अमित चौधरी व मनोज दुबे को पकड़ा था। इन्हें नोटिस देकर जमानत पर छोड़ दिया है। अमित ने जो कागज दिखाए हैं वह उसकी पत्नी निशी चौधरी के नाम के हैं। कागजों में केंद्र का पता शताब्दीनगर लिखा है, जबकि केंद्र ओम साईंधाम कालोनी में संचालित था। जयकरण, इंस्पेक्टर परतापुर 

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