हर ओर छाया दीपावली का प्रकाश, उमंग और उल्लास
दीपावली के स्वागत में जनपद वासियों पर उत्साह और आस्था की तरंग छायी नजर आई। उल्लास के माहौल में कोरोना का अंधेरा मिटता नजर आया। लोग झुंड बनाए दुकानों के आगे खड़े रहे।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 14 Nov 2020 08:00 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। दीपावली के स्वागत में जनपद वासियों पर उत्साह और आस्था की तरंग छायी नजर आई। उल्लास के माहौल में कोरोना का 'अंधेरा' मिटता नजर आया। लोग झुंड बनाए दुकानों के आगे खड़े रहे। कई लोग तो मास्क भी नहीं पहने थे, शारीरिक दूरी का अनुपालन तो दूर की कौड़ी रहा। सदर, आबूलेन, शारदा रोड, सेंट्रल मार्केट जैसे बड़े बाजारों के अलावा मोहल्लों के बाजारों जैसे फूलबाग, माधवपुरम, जागृति विहार सेक्टर दो में त्योहार का उल्लास देखते बन रहा था।
पांच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन शुक्रवार को नरक चतुर्दशी अर्थात छोटी दीपावली मनाई गई। दिन में घरों में लोगों ने साफ-सफाई की। शाम को घर के बाहर यमराज को नमन करते हुए दीपक जलाया। प्रार्थना की कि अकाल मृत्यु से उनकी रक्षा करें। कई लोगों ने शुक्रवार को धनतेरस भी मनाया। आभूषण, सोने चांदी के सिक्कों और वाहनों की खरीद-फरोख्त हुई। रात में रोशनी से जगमग बाजारों और घरों को देखकर लग रहा था कि हजारों साल पहले त्रेता युग में भगवान राम के वनवास समाप्त होने की खुशी आज भी ताजा है। आज दीपावली सनातन धर्म में भगवान राम के 14 वर्ष वनवास काटने के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में दीपमालाएं सजायी जाती हैं। इसी दिन लक्ष्मी और गणेश का पूजन होता है। दीपावली को सिख समुदाय बंदी छोड़ दिवस और जैन समाज भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाता है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद का यह बलिदान दिवस है।
धन संपदा देने वाली देवी लक्ष्मी का वाहन गरुड़ है। सेवा, स्वच्छता और चंचलता उनके गुण हैं। ऐसे में धन धान्य और समृद्धि की कामना लिए भक्त देवी को प्रसन्न करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों, खील बताशे, मुरमुरे, गट्टे, सजावटी और सामान्य दीये, रंगबिरंगी मोमबत्तियों की दुकानों में भीड़ लगी रही। पूजन में प्रयुक्त होने वाली तरह तरह की सामग्रियों के अलावा घर को सजाने के लिए अंतिम दौर की खरीदारी की। गढ़ रोड और घंटाघर पर गेंदे और गुलाब के फूलों के दाम आसमान छूते नजर आए। देवी पर कमल पुष्प चढ़ाने की मान्यता है। इसके लिए दो-दो सौ रुपये की डिमांड दुकानदार कर रहे थे। जगह-जगह बाजारों का हाल कुछ इस तरह रहा। दिन ढलता गया शहर में रौनक बढ़ती गई
औघड़नाथ मंदिर दोपहर 12.30 बजे मंदिर के कपाट बंद हैं। कुछ भक्त बाहर से आराध्य को नमन कर रहे हैं। मुख्य द्वार पर नई चमचमाती क्रेटा और एक दो बाइकें खड़ी हैं। वाहन स्वामी मंदिर के पुजारी का इंतजार कर रहे हैं। नए वाहनों का पूजन आदि कराने के बाद ही उपयोग करने का विधान है। सदर बाजार दोपहर 1.00 बजे शिव चौक के चारों ओर बंदनवार, सजावटी दीये, लटकन के स्टाल लगे हैं। पुलिस द्वारा बैरियर लगाया गया है ताकि चार पहिया वाहन और ई रिक्शा न प्रवेश कर सकें। यहां खड़े होकर देखने पर पूरा सदर बाजार किसी सजी धजी दुल्हन की तरह नजर आया। बाजार की रौनक दिल्ली के चांदनी चौक को मात दे रही थी। सजावटी फूल, क्राकरी, कपड़े, बर्तन की दुकानें गुलजार रहीं। सदर बाजार से आगे निकलने पर सदर सराफा में चहल-पहल थी। धानेश्वर चौक दोपहर 1.30 बजे सदर धानेश्वर चौक में मिट्टी के दीयों, खील बताशे आदि के स्टाल लगे हैं। महिलाएं और पुरुष एक-एक दीया छांट कर एकत्र कर रहे हैं। 15 रुपये में 25 दीये बिक रहे हैं। आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए लोग सड़क के किनारे दीया और अन्य सामान बेच रहे हैं। सदर दाल मंडी में दुकानों के आगे सूखे मेवे के गिफ्ट पैकों का अंबार लगा हुआ था। थोक विक्रेता मुकेश जैन ने बताया कि कोरोना का बाजार पर कोई असर नहीं है। कम से कम खाने पीने के आयटम पर तो बिल्कुल नहीं है। कहा कि मेवे के गिफ्ट पैकों की अच्छी डिमांड है। गढ़ रोड 2.00 बजे एसटूएस शापिग कांपलेक्स रंगीन गुब्बारों और परदों से सजा है। मोबाइल की दुकानों, रेडीमेड गारमेंट, जूते चप्पलों की दुकानें त्योहारी माहौल में रंगी हुई हैं। मोबाइल के तरह तरह के माडलों का प्रचार बड़ी एलईडी स्क्रीन लगा कर किया जा रहा है। आगे चलने पर सब्जी और फलों के ठेलों के आगे लोग खरीदारी में मशगूल हैं। सेंट्रल मार्केट 2.30 बजे महादेव मंदिर के पास मिठाई की दुकान के आगे तोरण द्वार सजाया जा रहा है। दीपावली और उसके बाद भइया दूज है जिसकी तैयारी में मिठाई विक्रताओं ने कमर कस ली है। बिजली कार्यालय के पास महिलाएं पूजा के लिए देवी देवताओं के चित्र खरीद रही हैं। फुटपाथ पर लगे बच्चों के कपड़ों के स्टाल के आगे ग्राहकों में मारामारी मची है। कोरोना का डर गायब है। कई दुकानदार और उनका स्टाफ भी बिना मास्क के ग्राहकों से वार्तालाप कर रहे हैं। नई सड़क वाले तिराहे पर भीषण जाम की स्थिति है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए कोई सिपाही मौके पर नहीं है। बसें, ठेले, कारें और दोपहिया वाहन आपस में फंसे हुए हैं। यहां से निकलने और सेंट्रल मार्केट पहुंचने में 20 मिनट लग गए। साकेत गोल मार्केट 3.00 बजे धूप छंट चुकी है। यहां पर पार्क में मेले जैसा माहौल है। बेकरी की दुकान से महिलाएं और पुरुष बड़े बड़े पैकेट लेकर निकल रहे हैं। यहीं पर किराना स्टोर ने ग्राहकों को दुकान में प्रवेश न देकर अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लिया है लेकिन लोग हैं कि एक दूसरे पर लदे जा रहे हैं। यहां से थोड़ी दूर पर स्थित प्रसिद्ध मिठाई की दुकानों पर रंगीन पर्दे लगाए जा रहे हैं। फुटपाथ पर स्टाल लग रहा है।
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