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Dolphin in Ganga: गंगा में लगातार बढ़ रहा डॉल्फिन का कुनबा, जलस्‍तर कम होते ही करती हैं अठखेलियां

Dolphin in Ganga मेरठ के बाद अब बिजनौर में भी डालफिन दिखाईंं दे रहींं है। गंगा में इनका परिवार अब तेजी से बढ़ रहा है। जैसे ही जलस्‍तर कम होता है अठखेलियां करने लगती हैंं।

By Prem BhattEdited By: Updated: Tue, 25 Aug 2020 08:33 AM (IST)
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Dolphin in Ganga: गंगा में लगातार बढ़ रहा डॉल्फिन का कुनबा, जलस्‍तर कम होते ही करती हैं अठखेलियां
बिजनौर, जेएनएन। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से इन दिनों गंगा उफान पर है। गंगा में बिजनौर के बैराज घाट से नरौरा तक 35 से अधिक डॉल्फिन अठखेलियां करती हैं। सुखद पहलू यह है कि हर वर्ष डॉल्फिन का कुनबा बढ़ रहा है। हालांकि बरसात के दिनों में यह गहराई में चली जाती हैं।18 मई 2009 को पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन को देश का राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया गया था।

डॉल्फिन की गणना

सूबे के बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंदशहर से गुजर रही गंगा नदी में डॉल्फिन का वास है। विश्व प्रकृति निधि और सेवियर्स संस्था की ओर से वर्ष 2005 में डॉल्फिन को बचाने की मुहिम चलाई। इसके बाद ही केंद्र सरकार ने डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया। साथ ही गढ़मुक्तेश्वर से नरौरा तक के 86 किलोमीटर इलाके को रामसर क्षेत्र घोषित कर दिया गया। इस पूरे क्षेत्र में डॉल्फिन प्रजनन करती हैं। वन विभाग और वाइल्ड लाइफ के अधिकारी प्रत्येक वर्ष नौ से 15 अक्टूबर तक गंगा में डॉल्फिन की गणना करते हैं।

गंगा में स्वच्छंद विचरण

बिजनौर बैराज से गढ़ मुक्तेश्वर और गढ़ मुक्तेश्वर से नरौरा बैराज तक हुई गणना के दौरान वर्ष 2015 में 22, 2016 में 30, वर्ष 2017 में 32 और वर्ष 2019 की गणना में 35 डॉल्फिन मिली थीं। डीएफओ डॉ. एम.सेम्मारन की मानें तो डॉल्फिन को दिखाई नहीं देता, यह तरंगों के आधार पर गंगा में स्वच्छंद विचरण करती हैं। जलस्तर कम होने पर सितंबर के अंतिम सप्ताह अथवा अक्टूबर के पहले सप्ताह से गंगा में डॉल्फिन आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

भोजन के लिए पर्याप्त मात्रा में मछली 

वहीं बरसात के मौसम में जलस्तर अधिक होने की वजह से डॉल्फिन का दिखाई देना मुश्किल रहता है। उनका कहना है कि गंगा में डॉल्फिन के भोजन के लिए पर्याप्त मात्रा में मछली उपलब्ध हैं। वह बताते हैं कि बिजनौर बैराज के आसपास के क्षेत्र में सात से आठ डॉल्फिन हैं, जबकि बिजनौर से लेकर नरौरा तक करीब 35 डॉल्फिनों का कुनबा है।

डॉल्फिन की कुछ और खूबियां

व्हेल की तरह डॉल्फिन भी स्तनधारी प्राणी है। डॉल्फिन अकेले रहने के बजाय सामान्यत: 10-12 के समूह में रहना पसंद करती हैं। यह कंपन वाली आवाज निकालती है, जो किसी भी चीज से टकराकर वापस डॉल्फिन के पास आ जाती है। इससे उसे पता चल जाता है कि शिकार कितना बड़ा और कितने करीब है। डॉल्फिन आवाज और सीटियों के द्वारा एक दूसरे से बात करती हैं। 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती हैं। डॉल्फिन 10-15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है, लेकिन पानी में सांस नहीं ले सकती।  

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