अहले मोमिन के कंधों पर गई पुजारी की अर्थी
लॉकडाउन के समय तमाम लोग अपनों से दूर हो गए हैं। बुधवार को शाहपीर गेट स्थित कायस्थ धर्मशाला निवासी पुजारी की मौत के बाद अंतिम यात्रा में नाते-रिश्तेदार नहीं आ सके।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 29 Apr 2020 06:08 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन के समय तमाम लोग अपनों से दूर हो गए हैं। बुधवार को शाहपीर गेट स्थित कायस्थ धर्मशाला निवासी पुजारी की मौत के बाद अंतिम यात्रा में नाते-रिश्तेदार नहीं आ सके। आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिवार को ढांढस बंधाया और शव को कंधा देते हुए सूरजकुंड श्मशान घाट ले गए।
68 वर्षीय रमेश माथुर कायस्थ धर्मशाला में अपनी पत्नी रेखा के साथ रहते थे। रमेश धर्मशाला की देखरेख करने के साथ ही वहां पर स्थित चित्रगुप्त जी मंदिर में पूजा अर्चना भी करते थे। आसपास मुस्लिम आबादी है। तीन चार दशकों से धर्मशाला में रह रहे रमेश के दोनों बेटे बाहर हैं। उनका संपर्क आसपास के लोगों से ही ज्यादा रहता था। रमेश के आमाशय की आंत में गांठ थी। मंगलवार की दोपहर दो बजे उनका निधन हो गया। घर में केवल छोटा बेटा चंद्रमौली और पत्नी थे। रमेश की मौत से मां और बेटा असहाय हो गए। विलाप सुनकर पड़ोस में रहने वाले अकील मियां पहुंचे। कुछ ही समय में सारे मोहल्ले के लोग धर्मशाला में जमा हो गए। मुस्लिम महिलाएं पहुंचीं और रेखा को संभाला। सूचना पर पूर्व पार्षद हिफ्जुर्रहमान पहुंचे और बेटे को दिलासा दिया। अकील मियां कुछ लोगों को साथ लेकर गंगा मोटर कमेटी पहुंचे। वहां से अंतिम संस्कार का सामान लेकर आए। मुस्लिम समाज के लोगों ने ही अर्थी तैयार की। मुखाग्नि चंद्रमौली ने दी। जनाजे में चलने वाले सभी लोग राम नाम सत्य है का उद्घघोष भी लगा रहे थे। शवदाह होने के तक महमूद अंसारी, अनवर, अल्लू, दानिश सैफी आदि मौजूद रहे। आसपास के लोग हमारे अपने हैं नोएडा में नौकरी करने वाले चंद्रमौली ने बताया कि वह पिता की तबियत खराब होने के चलते घर आया था। उसके बाद लॉकडाउन के चलते उसे रुकना पड़ा। पिता के निधन की सूचना दिल्ली के द्वारिका में बड़े भाई कोमल माथुर को दी, लेकिन वह न आ सके। बताया कि नाते रिश्तेदार मेरठ के दूसरे भागों और अलीगढ़, कानपुर व मुरादाबाद में रहते हैं। नौचंदी में रहने वाले दो दोस्त किसी तरह पहुंचे। चंद्रमौली ने बताया कि हम सब लोग बचपन से रहते आ रहे हैं। रिश्तेदार तो दूर रहते हैं, पहले तो आसपास के लोग ही अपने होते हैं। कहा, अकील चाचा हों या अनवर चाचा सभी को हम अपना परिवार मानते हैं।
पुलिस ने दी बड़े बेटे को मेरठ की आने अनुमति
पिता के निधन के के बाद चंद्रमौली ने अपने बड़े भाई कोमल को मेरठ बुलाने के लिए पुलिस-प्रशासन से मांग की थी। जिस पर कार्रवाई करते हुए कोतवाली मेरठ ने अनुमति प्रपत्र जारी किया है कि कोमल को मेरठ आने की अनुमति दी जाए। चंद्रमौली ने बताया कि बड़े भाई संभवत: बुधवार को सुबह तक आ पाएंगे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।