कोरोना काल में प्रोफेसर-डॉक्टर ने भी बनवा लिए श्रम कार्ड, योजना का फायदा लेने के लिए बन गए मजदूर; ऐसे हुआ खुलासा
कोरोना महामारी के दौरान ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराने वालों में कई प्रोफेसर डॉक्टर उद्यमी और व्यापारी भी शामिल थे। ये लोग राशन कार्ड के लिए नहीं बल्कि किसी खास सुविधा के लाभ के लिए पंजीकृत हुए थे। अब सत्यापन प्रक्रिया में इनके नाम सामने आ रहे हैं और उन्हें सूची से हटाया जा रहा है। कार्ड बनाने से पहले सत्यापन हो रहा है।
जागरण संवाददाता, मेरठ। कोरोना महामारी के समय जिसको जिन भी सुविधाओं की उम्मीद दिखाई दे रही थी वह उसी तरफ भाग रहा था। उसी तरह की सुविधाओं के फेर में कई प्राेफेसर, चिकित्सक, उद्यमी, व्यापारी तक ने श्रमिक के रूप में ई-पोर्टल पर पंजीकरण करा लिया था। यह प्रकरण अब सामने आया है जब श्रमिकों का राशन कार्ड बनाने के लिए पूर्ति विभाग के कर्मचारी उनका सत्यापन कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के समय ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों को एक हजार रुपये सहायता धनराशि खाते में भेजने की घोषणा हुई थी। जो पूर्व में पंजीकृत नहीं थे उन्हें ऑनलाइन पंजीकरण करना था ताकि कोई श्रमिक सरकारी योजना से वंचित न रहे। दस्तावेज के नाम पर आधार की कॉपी जोड़नी थी।
कार्ड बनाने से पहले हो रहा सत्यापन
इसी में आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने भी पंजीकरण करा लिया। यह जानकारी अब सामने आई है जब ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों का राशन कार्ड अनिवार्य रूप से बनाने का आदेश हुआ है। कार्ड बनाने से पहले सत्यापन हो रहा है।सत्यापन में जिला पूर्ति कार्यालय को पता चला कि इनमें कोई प्रोफेसर है तो कोई डाक्टर या व्यवसायी। इन लोगों ने राशन कार्ड के लिए नहीं बल्कि कोरोना महामारी में किसी खास सुविधा का लाभ मिलने की उम्मीद में श्रम पंजीकरण करा लिया था।
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जिला पूर्ति अधिकारी विनय कुमार सिंह ने बताया कि उन लोगों ने भी राशन कार्ड बनवाए हैं जो सक्षम हैं। ऐसे लोग सत्यापन में धीरे-धीरे बाहर किए जा रहे हैं। श्रमिकों के सत्यापन के समय भी प्राेफेसर, चिकित्सक तक के नाम सामने आए जिसे सूची हटाया गया है।
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