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गजल गुनगुनाइए, आसपास ही होंगे दुष्यंत कुमार, जानिए जन्मस्थली का हाल

हिंदी गजल को शिखर तक पहुंचाने में महत्‍वपूर्ण योगदान देने वाले दुष्यंत कुमार का जन्म बिजनौर के गांव राजपुर नवादा में हुआ था। आकाशवाणी दिल्ली में सेवाएं देने वाले दुष्यंत कुमार करीब एक वर्ष तक मेरठ में भी रहे। बाद में उन्होंने भोपाल को कर्मक्षेत्र बनाया।

By Parveen VashishtaEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 07:00 AM (IST)
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गजल गुनगुनाइए, आसपास ही होंगे दुष्यंत कुमार

बिजनौर, चरनजीत सिंह। कालजयी रचनाकार दुष्यंत कुमार वह फूल थे, जिससे साहित्य जगत दशकों तक महकता रहा। 30 दिसंबर 1975 को मात्र 42 वर्ष की अल्पायु में वह इस दुनिया को तो अलविदा कह गए, लेकिन साहित्य के माध्यम से वह अमर हो गए।

जन्मस्थली है राजपुर नवादा

महात्मा विदुर, राजा दुष्यंत, राजा मोरध्वज जैसी पुण्यात्माओं की जन्म और कर्मस्थली रही जनपद बिजनौर की मिट्टी में महान रचनाकार दुष्यंत कुमार भी जन्मे। तहसील नजीबाबाद के गांव राजपुर नवादा में दुष्यंत कुमार का जन्म हुआ। हिंदी गजल में महारथ रखने वाले दुष्यंत कुमार ने ढेरों कहानियां और उपन्यास लिखे। उनका 'साए में धूप' हिंदी गजल संग्रह खास रहा। आज भी उनकी रचनाओं पर शोध किए जा रहे हैं।

मेरठ से भी रहा जुड़ाव

आकाशवाणी दिल्ली में सेवाएं देने वाले दुष्यंत कुमार करीब एक वर्ष तक मेरठ में भी रहे। ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के बाद भोपाल को कर्मक्षेत्र बनाया, जहां उनके नाम पर स्थापित मार्ग आज भी उनकी याद दिलाता है।

ऊर्जा से भर देने वाली रचनाएं

-हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

-सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

-मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।

देर आए दुरुस्त आए

महान रचनाकार को इस बार उनकी पुण्यतिथि पर वास्तव में यादगार श्रद्धांजलि दी जाएगी। दुष्यंत कुमार की स्मृति में नजीबाबाद में वर्षों से अधर में लटके द्वार का निर्माण अब लगभग पूर्ण हो गया है। रंग-रोगन का काम चल रहा है। सितंबर 2020 में दुष्यंत की जयंती पर द्वार का काम निर्माणाधीन था। पिछले दिनों डीएम उमेश मिश्र ने गांव राजपुर नवादा में खंडहर में तब्दील हो चुके उनके मकान में संग्रहालय स्थापना की रूपरेखा भी तैयार की थी।