Rajendra Rajan Death: सहारनपुर में प्रख्यात गीतकार व कवि राजेंद्र राजन का निधन, साहित्य जगत में शोक
सहारनपुर निवासी प्रख्यात गीतकार एवं कवि राजेंद्र राजन का देर रात बीमारी के चलते निधन हो गया। वह करीब 65 वर्ष के थे। उन्होंने दूदर्शन से लेकर देश विदेश में कविता का पाठ किया था। साथ ही कई गीत इनकी लोकप्रिय रहीं।
By Himanshu DwivediEdited By: Updated: Thu, 15 Apr 2021 12:21 PM (IST)
सहारनपुर, जेएनएन। सहारनपुर निवासी प्रख्यात गीतकार एवं कवि राजेंद्र राजन का देर रात बीमारी के चलते निधन हो गया। वह करीब 65 वर्ष के थे। चुनाव के दौर में उनके द्वारा गाया गया गीत 'आने वाले हैं शिकारी मेरे गांव में' काफी लोकप्रिय रहा है। स्वर्गीय राजेंद्र राजन के पुत्र प्रशांत राजन ने बताया कि उनके पिता को पिछले कुछ दिनों से लंग्स में दिक्कत हो रही थी। इससे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बुधवार को लग्स में परेशानी के चलते उन्हें निजी अस्पताल में ले जाया गया था। बाद में उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज पिलखनी में भर्ती कराया गया। जहां रात करीब 3:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि कोरोना की रिपोर्ट आने के बाद ही शव उन्हें मिल पाएगा। देश विदेश के मंचों पर अपने गीत व कविताओं के माध्यम से सहारनपुर की पहचान बनाने वाले राजेंद्र राजन के निधन पर साहित्यकारों व रंगमंच से जुड़े कलाकारों ने दुख जताया है। कवि राजेंद्र राजन ने कई किताबें भी लिखी हैं।
मूलरूप से शामली के एलम कस्बा निवासी 65 साल के गीतकार राजेंद्र राजन 1980 में सहारनपुर में ही आकर बस गए थे। इनके बड़े पुत्र एयरफोर्स से कार्यरत होकर एक बैंक में सेवाएं देते हैं तो वहीं उनके छोटे बेटे एक कंपनी में जॉब करते हैं। तबीयत खराब होने पर मुजफ्फरनगर के एक डॉक्टर से दिखाया गया था। जिसके बाद इनके फेफड़े में इंफेंक्शन का पता चला था। इनकी कोरोना टेस्ट भी कराई गई थी। जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
लगाई थी कोरोना की पहली डोज राजन के पुत्र प्रशांत ने बताया कि उनके पिता कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवा चुके थे। जबकि अभी दूसरी डोज लगवानी बाकी थी। इसी बीच में उनकी तबीयत बिगड़ गई। और इनकी मौत हो गई। इस घटना से साहित्य जगत में शोक की लहर है।
40 वर्षों से साहित्य क्षेत्र में थे कार्यरत राजेंद्र राजन पिछले 40 वर्षों से साहित्य जगत में कार्यरत थे। इनके लिखे कई गीत और ओर कविताएं काफी प्रचलित रहीं। दूर्दशन, आकाश्वाणी के साथ ही देश-विदेश के मंचों पर भी ये कविता पाठ कर चुके थे। अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति यूएसए से इनकों अमेरिका के 16 शहरों में हुए कवि सम्मेलन में भी कवि पाठ किया था। हिंदी उर्दू एकेडमी से साहित्यिक पुरुस्कार, कन्हैया लाल मिश्र पुरस्कार, महादेवी पुरस्कार व साहित्य भूषण पुरस्कार भी मिल चुका है।
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