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Famous Temples In Meerut: मेरठ में चले आइए मां मंशा देवी के दरबार, यहां पर श्रद्धालुओं का लगता है तांता

Famous Temples In Meerut हर मुराद पूरी करती है मां मंशा देवी। मेरठ के जागृति विहार में स्‍थित है मंशा देवी मंदिर। यहां पर हर नवरात्र पर बड़े आयोजन किए जाते हैं। इस मंदिर की काफी मान्‍यता भी है। यहां पर दूर-दूर से बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 02:00 PM (IST)
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Mansha Devi Temple मेरठ में मंशा मंदिर की भी काफी मान्‍यताएं हैं।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Mansha Devi Temple मेरठ में जागृति विहार कालियागढ़ी स्थित मंशा देवी मंदिर जनपद वासियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। यहां पर स्थापित देवी की मूर्ति प्राचीन है। वर्तमान में इस मंदिर की जीर्णोद्धार हो चुका है। देवी की मूर्ति के अलावा संतोषी माता और कई अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैँ। छोटे बड़े दर्जनों मंदिर हैं। देवी की कृपा पाने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। हर रविवार को मेला लगता है। मंदिर के लिए बस, टैंपो आदि से पहुंचा जा सकता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर का इतिहास कई सौ साल पुराना है। देवी के चरणों में भक्ति करने वाले पुजारी बाबा रामगिरी की चौथी पीढ़ी देवी का पूजन कर रही है। बतातें हैं कि काफी पहले कालियागढ़ी के जंगलों से एक रास्ता औरंगशाहपुर डिग्गी को निकलता था। इसी रास्ते से होकर बाबा रामगिरी मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते थे। उसके बाद इन्हीं के वंशज चनुवा गिरि, बिशंबर गिरि और उनके बाद अब भगवत गिरि और लक्ष्मण गिरि देवी मां की आराधना करते हैं। विशाल परिसर में पुजारियों की समाधियां भी बनी हुई हैं। एक परिवार मां मंशा देवी तो दूसरा संतोषी माता का पूजन-अर्चन करते हैं।

मंदिर की मान्यता

मान्यता है कि माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। पुजारी भगवत गिरि बताते हैं कि राजा दक्ष की 60 पुत्रियां थीं। राजा कश्यप और कुद्र के संयोग से मां मंशा देवी उत्पन्न हुईं। कालसर्प, सर्पदंश भय आदि से मां मुक्ति दिलाती हैं। अरसे पहले बियाबान जंगल में माता की छोटी सी मठिया होती थी। समय बदला तो माता की छोटी से मठिया विशाल मंदिर में परिवर्तित हुई। अब यहां दर्जनभर देवी-देवताओं के मंदिर बन चुके हैं।

नवरात्र में रोज होते हैं भंडारे

मंशा देवी को कालिया गढ़ी और आसपास के दर्जनों गांवों के लोग कुल देवी मानते हैं। बच्चों के संस्कार आदि देवी की छत्र छाया में संपन्न करते हैं। मुरमुरे और बताशे के भोग से देवी प्रसन्न हो जाती है। नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना होती है। जिन श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है वह भंडारे का आयोजन कराते हैं। बताशे के अलावा हलुआ-पूड़ी का भी श्रद्धालु भोग लगाते हैं।