Famous Temples In Baghpat: जैन समाज की आस्था का केंद्र है 16 मंजिला त्रिलोकतीर्थ धाम, यहां पहुंचना है आसान
Famous Temples In Baghpat उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ागांव में त्रिलाकतीर्थ धाम स्थित है। कोरोनाकाल में प्रदूषण कम होने के बाद 231 फीट की ऊंचाई के कारण यहां से दिल्ली के लाल किले को भी देखे जाने की बात जैन समाज के लोगों ने कही थी।
By Parveen VashishtaEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2022 09:10 AM (IST)
बागपत, जागरण संवाददाता। धर्मनगरी बड़ागांव का त्रिलोकतीर्थ जैन समाज की आस्था का केंद्र है। यहां हर साल देश के साथ विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। धाम पर 1008 भगवान आदिनाथ की 31 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। धाम के मुख्यद्वार पर उर्ध्वलोक, मध्यलोक, अधोलोक (नर्कलोक) का चित्रण दर्शाया गया है।
धाम का इतिहास
ब्रह्मलीन आचार्य विद्याभूषण सन्मतिसागर महाराज ने त्रिलोकतीर्थ धाम के निर्माण की योजना सिद्धक्षेत्र सोनागिर मध्यप्रदेश में सिंहरथ के अवसर पर 28 मार्च 1994 को तैयार की थी। वहां से पदविहार कर आचार्य दो जुलाई 1997 में बड़ागांव पहुंचे थे। इसके बाद आचार्य ने जैन समाज के लोगों के बीच धाम निर्माण की योजना को रखा था। सितंबर 1998 में तत्कालीन गवर्नर सूरजभान ने त्रिलोकतीर्थ धाम का भूमि पूजन किया था। धाम के मुख्यद्वार पर आचार्य की प्ररेणा से तीनों लोगों का सचिव चित्रण किया है जो मनुष्य के कर्मों को दर्शाता है। 16 मंजिल के धाम की ऊंचाई 200 फीट है। धाम पर 1008 भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान है। 15 फरवरी 2017 को तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह, तत्कालीन गर्वनर रामनाइक व सांसद डा. सत्यपाल सिंह ने पंचकल्याण का शुभारंभ किया था।
सैकड़ों कामगारों ने किया 15 साल काम 16 मंजिला त्रिलोकतीर्थ धाम का निर्माण करीब 15 साल तक निरंतर चलता रहा। सन 2000 में रक्षबंधन पर्व पर निर्माण कार्य शुरू हुआ था जो 2015 तक निरंतर चला। निर्माण के सैकड़ों कामगार लगे रहे। धाम में प्रयोग किया गया पत्थर धोलपुर राजस्थान से मंगाया गया जबकि प्रतिमा के सफेद मकराना पत्थर का प्रयोग किया गया। पत्थर पर नक्काशी के लिए उड़ीसा से बड़ी संख्या में कारीगर कई साल तक कार्य में लगे रहे। पत्थरों पर निर्माण नागर शैली में हुआ है। निर्माण पर करीब 60 करोड़ की लागत आने का अनुमान है।
100 फीट नीचे टिका फाउंडेशनधाम का आकार जैन समाज के प्रतीक चिन्ह से लिया है। धाम की मजबूती के लिए आचार्य सन्मति सागर महाराज ने फाउंडेशन जमीन करीब 100 फीट नीचे तक खुदाई कराने के बाद रखवाया था। धाम की मजबूती इतनी है कि सामान्य से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को भी आसानी से झेल सकता है।16 मंजिल में 468 जिनालय व तीन लोक की रचना
धाम प्रबंधक त्रिलोकचंद जैन बताते हैं कि आचार्य ने धाम का माडल किसी आर्किटेक्ट से नहीं बनवाया था। उन्होंने स्वयं ही माडल तैयार कर तीन लोक की रचना व जिनालयों को स्थापित करने की योजना तैयार की थी। पहली मंजिल पर नंदीश्वर व पंचमेरू, दूसरी मंजिल पर ढाईद्वीप, तीसरी मंजिल पर समोशरण फिर उर्ध्वलोक, मध्यलोक, अधोलोक (नर्कलोक) का चित्रण है। जो मनुष्य के कर्मों के अनुसान मिलने वाले फल को दर्शाता है। धाम में 468 जिनालय की शास्वत रचना स्थापित होने के साथ सबसे ऊपर भगवान आदिनाथ की 31 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है।
लाल किले से दिखता है त्रिलाकतीर्थ धामधाम की ऊंचाई 231 फीट है। यह निर्माण शायद क्षेत्र में अभी तक का सबसे ऊंचा निर्माण है। जैन समाज के लोगों की मानें तो धाम को दिल्ली के लाल किले से देखा जा सकता है। कोरोनाकाल में प्रदूषण कम होने के बाद धाम के ऊपर से दिल्ली के लाल किले को भी देखा जाना समाज के लोगों ने बताया। श्रद्धालुओं की मानें तो धाम की ऊंचाई करीब 30 फीट और बढ़नी थी लेकिन चांदीनगर एयरफोर्स स्टेशन के अधिकारियों से वार्ता के बाद ऊंचाई को कम किया गया था।
लाइड एंड साउंड कार्यक्रमशनिवार व रविवार को धाम पर लाइड एंड साउंड कार्यक्रम होता है। रात में होने वाले कार्यक्रम को देखने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं। कार्यक्रम में धाम के साथ समाज के इतिहास को भी दिखाया जाता है। लाइड एंड साउंड कार्यक्रम का शुभारंभ तत्कालीन कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किया था। यह कार्यक्रम बेहद ही भव्य होता है।बच्चों के लिए पार्क
धाम के बच्चों के लिए पार्क भी बना है। यहां झूले, ट्रेन व अन्य साधन है जहां बच्चे खूब मस्ती करते हैं। धाम के एंट्री प्वाइंट पर ऐरावत हाथी की प्रतिमा बनी है जहां श्रद्धालु सेल्फी लेते हैं। रविवार को दर्शन करने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। बन रहा गुरु समाधि मंदिर आचार्य सन्मति सागर महाराज के ब्रह्मलीन होने पर हजारों की संख्या में देश के कोने कोने से श्रद्धालु पहुंचे थे। जिस स्थान पर आचार्य को मुखाग्नि दी गई वहीं गुरु मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही आचार्य की प्रतिमा विराजमान कराई जाएगी। वहीं धाम के मुख्य गेट पर आचार्य की मोम से बनी प्रतिमा विराजमान है। यहां पूजन करने के बाद ही श्रद्धालु धाम की पहली मंजिल पर प्रवेश करता है।
ख्याति विदेशों तक फैलीधाम की ख्याति विदेशों तक फैली है। हर साल हजारों श्रद्धालुओं के साथ बड़ी संख्या में विदेश से भी लोग धाम की सुंदरता व जैन समाज के इतिहास को जानने के लिए भगवान आदिनाथ से आशीर्वाद लेने आते हैं। कोरोनाकाल से पहले हर साल बड़ी संख्या में विदेशियों के डेलीगेशन आते थे। स्कूल व छात्रावास की हुई स्थापना आचार्य सन्मतिसागर महाराज ने शिक्षा के उत्थान के लिए धाम के सामने स्कूल भी बनवाया। जहां जैन समाज के साथ गांव के भी सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। बाहरी विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की भी सुविधा है। इतना ही वृद्धाश्रम के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सालय भी है। मरीजों का नाममात्र के खर्च पर इलाज होता है।
भगवान करते हैं श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्णधाम में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। जो धाम के मत्था टेकने वाले हरेक श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं। प्रबंधक बताते हैं कि भगवान चरणों के शीश नवाने वाले की झोली हमेशा उन्होंने भरी है। आज तक कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटा है। भगवान के कई ऐसे चमत्कार है जिनके कारण हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। श्रद्धालुओं के लिए ठहरने व खाने की व्यवस्था भी धाम की तरफ से की जाती है।
ऐसे पहुंचे बड़ागांव त्रिलोकतीर्थ अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं तो वजीराबाद से होकर ट्रोनिका सिटी होते हुए मंडोला से खेकड़ा पाठशाला बस स्टैंड से खेकड़ा नगर से सात किमी दूर त्रिलोक तीर्थ धाम है। हरियाणा से आने के लिए ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से मवीकलां टोल से उतरकर खेकड़ा पाठशाला बस स्टैंड और खेकड़ा नगर से होते हुए बड़ागांव पहुंच सकते हैं। ऐसे ही गाजियाबाद से ईपीई से मवीकलां टोल बूथ से खेकड़ा पाठशाला बस स्टैंड और फिर बड़ागांव आ सकते हैं। अगर आप मेरठ से आ रहे हैं तो बागपत मेरठ हाईवे पर पिलाना भट्ठा से निकलकर ढिकौली होते हुए बड़ागांव त्रिलोक तीर्थ धाम पहुंच सकते हैं। सहारनपुर से आने के लिए पहले शामली और फिर दिल्ली यमुनोत्री नेशनल हाईवे से पाठशाला बस स्टैंड और फिर 10 किमी दूर त्रिलोक तीर्थ धाम पर पहुंचा जा सकता है।
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