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Famous Temples In Meerut: मेरठ के नौचंदी मेले की शान है मां दुर्गा मंदिर, यहां पर लगती हैं श्रद्धालुओं की कतारें

Famous Temples In Meerut मेरठ में नौचंदी मैदान में बना दुर्गा मंदिर में श्रृद्धालु के चित्‍त के अनुसार दर्शन देती हैं मां। नौचंदी मेला और नवरात्रि में लगती है श्रद्धालुओं की कतारें। यह मंदिर काफी प्राचीन है। मां दुर्गा की प्रतिमा लगभग 200 वर्ष पुरानी है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Fri, 24 Jun 2022 08:00 AM (IST)
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Durga Mandir At Nauchandi Ground नौचंदी मैदान में दुर्गा मंदिर का अपना अलग महत्‍व है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Durga Mandir At Nauchandi Ground मेरठ के गढ़ रोड पर नौचंदी मैदान में दुर्गा मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। मंदिर में लगी मां दुर्गा की प्रतिमाओं को पौराणिक कहा जाता है। मां दुर्गा की प्रतिमा लगभग 200 वर्ष पुरानी बताई जाती है। मंदिर के संरक्षक भाटवाड़ा निवासी एडवोकेट जयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने नौचंदी स्थित दुर्गा मंदिर के लिए चार बीघा व 11 बीस्वा भूमि मंदिर के लिए दान दी थी। जिसके बाद 1916 में श्रीदुर्गा मंदिर ट्रस्ट बनाया गया।

दूर-दूर से आते हैं भक्‍तजन

मंदिर की विशेषता है कि मां दुर्गा श्रृद्धालु के चित्त के अनुसार दर्शन देती हैं। यदि श्रृद्धालु प्रसन्नचित है तो मां दुर्गा मुस्कुराते हुए प्रतीत होती हैं और श्रृद्धालु क्षुब्ध या परेशानी में है तो मां का स्वरूप भी उसी प्रकार दिखाई पड़ता है। नवरात्र के दिनों में दूर-दूर से श्रृद्धालु आकर मां दुर्गा के दर्शन करते हैं। प्रत्येक नवरात्र में अष्टमी पर हवन व नवमी पर भंडारे का आयोजन होता है। नौचंदी मेले के दौरान मां के दर्शन करने के लिए कतार लगी रहती है।

दुर्गा मंदिर जाने का मार्ग

शहर में गढ़ रोड स्थित गांधी आश्रम चौपले से नौचंदी में लगभग एक किमी की दूरी पर दुर्गा मंदिर स्थित है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। मां दुर्गा की प्रतिमा लगभग 200 वर्ष पुरानी है।

नौचंदी मेले की शान है मां दुर्गा मंदिर

मेरठ का ऐतिहासिक व सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माने जाने वाला नौचंदी मेला प्रत्येक वर्ष मई के माह में लगता है। नौचंदी मैदान में ही माता दुर्गा मंदिर स्थित है। मेला आयोजन के दौरान मेले में जाने वाले लोग मां दुर्गा मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आते हैं। नौचंदी मेले के दिनों में मंदिर परिसर में झूले व बच्चों के खेल-खिलौने से मंदिर में भीड़भाड़ रहती है।

पौराणिक महत्ता

भाटवाड़ा निवासी एडवोकेट जयप्रकाश शर्मा बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने चार बीघा व 11 बीस्वे भूमि मंदिर के लिए दान दी थी। जिसके बाद 1916 में श्रीदुर्गा मंदिर ट्रस्ट बनाया गया। इसके बाद 1995 में मंदिर का जीर्णाद्धार हुआ। मंदिर में तीन मूर्तियां स्थित हैं। मुख्य मूर्ति मां दुर्गा की है। जो अपने आप में श्रृद्धालुओं को आकर्षित करती है। मां दुर्गा के साथ विद्यादायिनी मां शारदे और धन की देवी मां लक्ष्मी विराजमान हैं। वैशाली कालोनी निवासी नेहा अग्रवाल कहती हैं कि वह लगभग दस वर्षों से मंदिर दर्शन के लिए जाती हैं। मां दुर्गा उनकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं। नौचंदी निवासी राजेश कुमार कहते हैं कि उनका परिवार पिछले 40 वर्षों से दुर्गा मंदिर में पूजा व भंडारा करता आ रहा है। राजेंद्रनगर, कैलाशपुरी, कल्याणनगर व नौचंदी आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में सुबह शाम श्रृद्धालु मां दुर्गा के दर्शन के लिए आते हैं।

विशेषता

नौचंदी मैदान स्थित श्रीदुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की अलौकिक व प्राचीन मूर्ति है। इस मूर्ति को देखने के बाद श्रृद्धालु कहते हैं कि माता दुर्गा श्रृद्धालु के चित्त के अनुसार दर्शन देती हैं। यदि श्रृद्धालु प्रसन्नचित है तो मां दुर्गा मुस्कुराते हुए प्रतीत होती हैं वहीं, श्रृद्धालु क्षुब्ध हैं तो उसी प्रवृत्ति में मां का रूप प्रतीत होता है। मंदिर में साल भर माता का श्रृंगार होता है। नवरात्रि के अवसर पर विशेष श्रृंगार किया जाता है। मंदिर परिसर में हर साल अष्टमी पर हवन और नवमी पर विशाल भंडारा आयोजित होता है। इसक अलावा नौचंदी मेले के अंतिम दिन माता दुर्गा मंदिर में माता के जागरण के साथ समापन किया जाता है।

इनका कहना है

यह प्राचीन मंदिर है। मैं और मेरा परिवार 25 वर्षों से मंदिर की सेवा में कार्यरत है। मुराद पूरी होने पर दिल्ली, हरियाणा व पंजाब से श्रृद्धालुगण यहां आकर प्रसाद चढ़ाते हैं।

- पंडित रामनरेश त्रिवेदी, पुजारी  

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