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यूपी के बागपत में भी है झारखंड जैसा स्‍कूल, यहां शुक्रवार को होती है छुट्टी और रविवार को पढ़ाई

उत्‍तर प्रदेश के बागपत जिले में झारखंड जैसा मामला सामने आया है। यहां सैंड़भर गांव के चल रहे स्‍कूल में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को होता है और रविवार को पढ़ाई होती है। रविवार चार सितंबर को भी यहां पढ़ाई होती मिली।

By Parveen VashishtaEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 08:01 AM (IST)
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बागपत के सैंड़भर गांव में रविवार को बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका।
बागपत, जागरण संवाददाता। झारखंड के मुस्लिम बहुल इलाकों के कुछ सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश और रविवार को पढ़ाई का प्रकरण देशभर में चर्चित रहा था। कुछ ऐसा ही मामला जिले के सैंड़भर गांव में सामने आया है। यहां एक गैर मान्यता प्राप्त सैंडभर पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश रखा जाता है और रविवार को कक्षाएं चलाई जाती हैं। 

रविवार को चलतीं मिलीं कक्षाएं 

रविवार चार सितंबर को भी स्‍कूल में कक्षाएं संचालित मिलीं। इस बारे में स्कूल के संचालक हामिद अंसारी ने तर्क दिया कि अभी यह स्कूल केवल सोसाइटी रजिस्टर्ड है। बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता को आवेदन किया गया है। स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे मुस्लिम हैं। इसी कारण से शुक्रवार का अवकाश रखा जाता है और रविवार को स्‍कूल संचालित होता है। शुक्रवार को स्कूल में बच्चे नहीं आते हैं, इसी कारण स्कूल को बंद रखा जाता है।

वर्ष 2021 से संचालित स्‍कूल में 102 बच्चे पढ़ रहे 

बताया गया कि वर्ष 2021 से संचालित इस स्‍कूल में कक्षा पांच तक पढ़ाई हो रही है। इसका संचालन किराए के भवन में किया जा रहा है। 

खंड शिक्षा अधिकारी करेंगे जांच 

इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी कीर्ति ने बताया कि जिले में बिना मान्यता के स्कूल नहीं चलने दिए जाएंगे। सैड़भर में स्कूल चल रहा है इसकी उन्‍हें जानकारी नहीं है। शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को संचालन नियमानुसार नहीं है। इसकी खंड शिक्षा अधिकारी से जांच कराकर आवश्‍यक कार्रवाई करेंगे। अभिभावकों से भी अपील है कि बिना मान्यता के स्कूलों में बच्चों को न भेजें। गांव के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई कराएं। इस गांव में भी परिषदीय स्‍कूल संचालित है। 

तीन करोड़ की नाकामी का माडल है राजकीय कन्या इंटर कालेज 

बागपत, जागरण संवाददाता। सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसके बाद भी अफसर संवेदनशील नहीं हैं। इसका उदाहरण गांव टांडा में देखने को मिला, यहां तीन करोड़ रुपये की लागत से बना राजकीय कन्या माडल इंटर कालेज शुरू करने के बजाय खंडहर बनने को छोड़ दिया गया है। इस कारण क्षेत्र की अनेक बेटियों को कक्षा आठ के बाद पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है।

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