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बुलंदशहर: बलिदानियों की धरती सैदपुर का और बढ़ा नाम, पर्यटन स्थल बनेगा यहां का दादी धाम

बुलंदशहर में पर्यटन स्थल बनेगा यहां का दादी धाम सैदपुर में जाट बिरादरी के सिरोही गौत्र के लोग दादी को मानते हैं अवतार। महानिदेशक पर्यटन ने दादी के थान की डीपीआर और डिजाइन को मेरठ मंडल को लिखा पत्र।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 02:00 PM (IST)
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सैदपुर का ओर बढ़ा नाम, पर्यटन स्थल में शामिल दादी का धाम
बुलंदशहर, राकेश गौतम। देश और विदेशों तक बीबीनगर क्षेत्र का गांव सैदपुर बलिदानियों की स्थली के नाम से प्रसिद्ध है। देश सेवा के लिए जान न्यौछावर करने वाले सैदपुर व आसपास के जाट बिरादरी के सिरोही गौत्र के लोग दादी के धाम को चमत्कारी मानते हैं। शुभ अवसरों पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दादी के धाम पर माथा टेकते हैं। भाजपा विधायक देवेंद्र लोधी ने दादी के धाम को पर्यटक स्थल का दर्जा दिलाने की पहल की थी, जिसे महानिदेशक पर्यटन ने स्वीकृति दे दी है।

दादी के धाम को पर्यटन स्थल का दर्जा प्राप्त

सैदपुर में दादी के धाम को पर्यटन स्थल का दर्जा प्राप्त हो चुका है। एक करोड़ रुपये की लागत से यहां पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। विदेशों और बाहरी राज्यों से आने वालों के ठहरने के लिए यहां आवास भी बनेंगे। भव्य मंदिर और परिसर में विकास कार्य होंगे। इसके नजदीक ही युवाओं के लिए एक ओपन जिम बनाने का भी प्रस्ताव है। महानिदेशक पर्यटन ने उपनिदेशक पर्यटन मेरठ मंडल मेरठ को पत्र भेजकर डीपीआर और डिजाइन आदि का प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए पत्र लिखा है। मेरठ की मैसर्स एकरो वेंचर्स प्रा. लि. को कार्यदायी संस्था चयनित किया है। संस्था के सीईओ अंकित कुमार को डिजाइन करने और डीपीआर बनाने के लिए नियुक्त किया गया है।

विदेशों तक है मान्यता

गत दिनों अमेरिका के न्यूयार्क शहर से निशांत सिरोही व दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से विजय सिरोही ने दादी के धाम पर परिवार सहित माथा टेका था। निशांत सिरोही ने बताया कि उन्होंने दादी के धाम पर वर्षों पूर्व पुत्र प्राप्ति की मनोकामना की थी, दादी के आशीर्वाद से वह पूर्ण हो गई है। उन्होंने दादी के धाम पर भव्य भोज का आयोजन भी किया था। ग्रामीणों की आस्था इतनी है कि उन्होंने दादी के धाम पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया, जल आदि की व्यवस्था चंदा एकत्र करके की है।

दादी ने शिशु सहित यहीं त्याग दिए थे प्राण

मान्यता है कि देश में सती प्रथा का चलन था। दादी शीषकौर की शादी सैदपुर के नजदीकी गांव सेहरा में हुई थी। मायके से तांगे में ससुराल लौट रही दादी शीषकौर को किसी ग्रामीण ने सूचना दी कि उनके पति का देहांत हो चुका है। शीषकौर गोद में लिए बच्चे को लेकर सैदपुर में ही उतर गई और इसी स्थान पर प्राण त्याग दिए थे। ग्रामीणों का कहना है कि तभी से दादी के थान के नाम से इस स्थान को जाना जाने लगा और लोगों की श्रद्धा बढ़ती गई।

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