हाशिमपुरा कांड : दोषी सिपाहियों की तरफ से कोर्ट में याचिका स्वीकार
हाशिपुरा कांड में दोषी ठहराए गए 11 जवानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को स्वीकार कर लिया है।
By Ashu SinghEdited By: Updated: Wed, 12 Dec 2018 01:43 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। हाशिमपुरा कांड के मामले में दोषी ठहराए गए 16 जवानों में से 11 जवानों की तरफ से पिछले हफ्ते चार अपील याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कृष्ण गोपाल जौहरी ने बताया कि मंगलवार को एक याचिका को स्वीकार कर लिया गया। हालांकि अभी सुनवाई के लिए तारीख नहीं मिली है। वहीं, फरार दोषी चार पूर्व सिपाहियों को आत्मसमर्पण के लिए चार हफ्ते का समय मिल गया है।
यह था हाशिमपुरा कांड
गौरतलब है कि 22 मई, 1987 की रात जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा और आसपास के मोहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाशिमपुरा के लगभग 50 युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक पर लाद दिया गया था। आरोप लगा था कि ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने 38 युवकों को गोली मारकर मुरादनगर की गंग नहर में फेंक दिया था।
यह हुई थी सजा
तीस हजारी अदालत ने 21 मार्च, 2015 को फैसला सुनाते हुए सभी 16 आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। जबकि तीन की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2018 को सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
यह था हाशिमपुरा कांड
गौरतलब है कि 22 मई, 1987 की रात जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा और आसपास के मोहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाशिमपुरा के लगभग 50 युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक पर लाद दिया गया था। आरोप लगा था कि ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने 38 युवकों को गोली मारकर मुरादनगर की गंग नहर में फेंक दिया था।
यह हुई थी सजा
तीस हजारी अदालत ने 21 मार्च, 2015 को फैसला सुनाते हुए सभी 16 आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। जबकि तीन की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2018 को सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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