मेरठ : आस्था की त्रिवेणी और अभ्यारण्य के आकर्षण संग भारत दर्शन कराता हस्तिनापुर
उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर के वैभव का महाभारत काल की चर्चा के दौरान जिक्र होता रहा है। यहां की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी। महाभारत में कुरुवंश की यह राजधानी थी। कर्ण विदुर ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण के यहां आगमन की कई कहानियां यहां सुनने को मिलती हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से भी यहां उत्खनन किया गया है जिसने विश्व का ध्यान इस ओर खींचा है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 15 Sep 2023 07:21 PM (IST)
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। यदि आप जानने-खोजने का भाव लेकर प्राचीन भारत की महिमा-वैभव देखना चाहते हैं तो उप्र का हस्तिनापुर आपकी यात्रा में रोमांच भर देगा। महाभारत में कुरुवंश की जिस राजधानी हस्तिनापुर का जिक्र सुनते आए हैं, यह वही है।
कर्ण, विदुर ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण के यहां आगमन की किवदंती के साथ पौराणिक ग्रंथों से लेकर शोध तक और समय-समय पर होने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के उत्खनन ने विश्व का ध्यान इसकी तरफ मोड़ दिया है।
जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल जंबूद्वीप और सिख धर्म का पंज प्यारे की याद में गुरुद्वारा साहिब धर्म स्थलों की भव्यता में गोते लगवाएगा।
रमणीक वन्य जीव अभ्यारण्य में विदेशी पक्षियों का कलरव, विचरण करते घड़ियाल-कछुए और गंगा नदी का दूर तक फैला खादर क्षेत्र प्रकृति के इस सौंदर्य में आकर्षित करेगा।श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आमंत्रित करने वाली इस धर्मधरा पर अब पर्यटन विभाग तथा केंद्र सरकार की निगाहें हैं।
हस्तिनापुर स्थित जैन धर्म के जूंबद्वीप तीर्थ में सुमेरू पर्वत। फोटो जागरण
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पांडवान और कौरवान में बंटा क्षेत्र
मेरठ से जब हस्तिनापुर पहुंचेंगे तो सड़क के बाईं ओर का क्षेत्र काैरवान और दाईं ओर का क्षेत्र पांडवान नाम से पुकारे जाने पर आपकी जिज्ञासा बढ़ती जाएगी। मखदूमपुर में गंगा का विशाल खादर। यहां कार्तिक पूर्णिमा में एक सप्ताह तक मेला लगता है। हस्तिनापुर में सड़क किनारे मूर्तियों को आकार देते हुए कलाकार दिखेंगे।हस्तिनापुर स्थित सेंक्चुअरी में सर्दी के मौसम में ऐसे लगता है उत्तरी ध्रुव के पक्षियों का जमावड़ा। फोटो जागरणपांडव टीला और पांडवेश्वर मंदिर
पांडव टीला दूर से दिखाई दे जाएगा। एएसआइ का बोर्ड लगा है। इसके ऊपर जाकर पांडवेश्वर मंदिर का दर्शन होगा। मान्यता है कि कुरुवंश द्वारा स्थापित इस मंदिर में पांडव पूजा करते थे।मंदिर के चारों और गुफाएं हैं। विदुर टीला है जहां श्रीकृष्ण ने कौरवों व पांडवों को युद्ध न करने को समझाने आए थे। पास में द्रौपदी कूप और राजा रघुनाथ महल है। हस्तिनापुर स्थित सेंक्चुअरी में धूप सेंकते घड़ियाल। फोटो जागरणदेवी मां देती थीं कर्ण को सोना, यहीं दान किए कवच
मान्यता है कि कर्ण को दान करने के लिए सोना देवी मां दिया करती थीं। कर्ण का मंदिर तो है लेकिन देवी मां का मंदिर धंस चुका है।यही वह स्थान है जहां कर्ण ने कवच-कुंडल इंद्र को दिए थे। यहीं पर कभी बूढ़ी गंगा का प्रवाह था। प्राचीन द्रौपदेश्वर मंदिर, द्रोण कूप व द्रौपदी घाट दर्शनीय है। हस्तिनापुर स्थित सेंक्चुअरी में धूप सेंकते घड़ियाल। फोटो जागरणअद्भुत है लोक रचना, तीन तीर्थंकरों का जन्म स्थल है जंबू
जंबूद्वीप में 16वें, 17वें तथा 18वें तीर्थंकर शांतिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ का जन्म हुआ था। ज्ञानमती माता ने यहां रहकर जंबूद्वीप को वैश्विक पहचान दिलाई। 250 फीट के व्यास में सफेद-रंगीन संगमरमर पत्थरों से बना वृत्ताकार जंबूद्वीप दर्शनीय है। यहां 101 फीट ऊंचा सुमेरु पर्वत है।तीन लोक रचना मंदिर में नरक, मध्य लोक व स्वर्ग लोक का दर्शन अद्भुत है। 131 फीट ऊंची इमारत को कैलास पर्व का रूप दिया गया है। यात्री निवास, भोजनशाला, आडिटोरियम, हेलीपैड आदि है।पंज प्यारे भाई धर्म सिंह का जन्म स्थल
हस्तिनापुर से लगभग 2.5 किमी दूर पंज प्यारे में से एक धर्मसिंह की जन्म स्थली सैफपुर में गुरुद्वारा है। 24 घंटे लंगर व ठहरने की सुविधा है। अमावस्या को जोड़ मेला लगता है। हस्तिनापुर में पांडव टीला पर स्थित पांडवेश्वर मंदिर। फोटो जागरणयह भी पढ़ें : मंदसौर : सघन वन और कलकल करते झरनों के बीच इतिहास, आस्था और रोमांच की अद्भुत त्रिवेणी