चार वर्षो में हिंदू राष्ट्र बनेगा भारत: स्वामी आनंद स्वरूप
1947 में इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बन गया। कुछ नेताओं के छल के कारण भारत का बंटवारा हुआ था।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 11 Jan 2021 12:55 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। 1947 में इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बन गया। कुछ नेताओं के छल के कारण भारत का बंटवारा हुआ। भारत फिर भी हिंदू राष्ट्र नहीं बन पाया। अभी तक मंगल पाडेय का रक्त सो रहा था, वह जागृत हो गया है। अगले चार वर्षो में भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा। रविवार को चौधरी चरण सिंह विवि के बृहस्पति भवन में आयोजित हिंदू पंचायत में यह घोषणा शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने की। पंचायत में जाति छोड़ो, हिदू जोड़ो का नारा भी गूंजा।
1857 की क्राति का बिगुल फूंकने वाले मंगल पाडेय के कुटुंबी प्रपौत्र स्वामी आनंद स्वरूप ने शकराचार्य परिषद और भाग्योदय फाउंडेशन की ओर से आयोजित पंचायत में कहा कि उन्हें एक करोड़ हिंदू युवाओं की फौज चाहिए। इसमें स्वयंसेवक नहीं बल्कि स्वयंसेना की जरूरत है, जिनके पास शस्त्र भी हों। हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को बढ़ाने के लिए एक युद्ध का घोष हो चुका है। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाने से पहले हमें स्वयं हिंदू बनना होगा। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे हिंदू के प्रतीकों को धारण करें। शांतिप्रिय विचारधारा का अनुचित लाभ उठाया हिमाचल प्रदेश से आए जूना अखाड़ा के संत स्वामी धनेश्वर गिरि महाराज ने कहा कि 12वीं शताब्दी से पहले का भारत हिदू राष्ट्र था। बाद में बहुत से बाहरी लोग आए और हमारी अहिंसक और शांतिप्रिय विचारधारा का अनुचित लाभ उठाया। अब वह समय आ गया है जब लोग अपने वास्तविक धर्म को पहचान रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम धर्मरक्षक हैं, शास्त्र के साथ जरूरत पड़ी तो शस्त्र भी उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
..अब फिल्म जिहाद चल रहा है म ख्य वक्ता शकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय पार्षद डा. विद्या सागर उपाध्याय ने कहा कि विश्व में एकमात्र धर्म सनातन धर्म है। शेष पंथ, मजहब और संप्रदाय हैं। विश्व के कल्याण हेतु भारत का हिदू राष्ट्र होना एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गई है। हिदू समाज ने कभी धर्म प्रसार पर ध्यान नहीं दिया। इसी वजह से दूसरी ताकतों ने अफगानिस्तान, म्यामार, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान और बाग्लादेश को हमसे अलग किया। ऐसे परिवेश में शंकराचार्य परिषद और भाग्योदय फाउंडेशन ने हिदू रिपब्लिक आफ हिदुस्तान की स्थापना के लिए हिदू पंचायतों को शुरू किया है। उन्होंने कहा कि हम तलवार जिहाद से निपट चुके हैं। अब फिल्म जिहाद चल रहा है। इसमें सनातन धर्म का मजाक उड़ाया जा रहा है। हिदू धर्म किसी मामले में कमजोर नहीं है। जैन समाज, बौद्ध, सिख समाज सभी सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं। देश में जब मुगलसराय स्टेशन दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन बन सकता है। इलाहाबाद प्रयागराज हो सकता है तो भारत भी हिदू राष्ट्र बन सकता है।
संचालन करते हुए भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष राम महेश मिश्र ने कहा कि हमारे ऋषिराष्ट्र भारत में बदलाव सदा से ही आध्यात्मिक पुरुषों ने किए हैं। आज इतिहास दोहराया जा रहा है। यह अभियान राष्ट्रव्यापी बनता चला जा रहा है। भारतीय दलित विकास संस्थान के अध्यक्ष डा. चरण सिंह लिसाड़ी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। फाउंडेशन के निदेशक अमित मोहन, विद्याकुलम कैथवाड़ी के संचालक डा. सूरज प्रकाश, भूमि विकास बैंक के चेयरमैन मनोज शास्त्री, युवा लोकसेवी दीपक शर्मा, समाजसेवी प्रयाग दत्त शर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक डा. हरीश अग्रवाल, रूपाली पाण्डेय, रेनू आदि उपस्थित रहे। लोगों के सवाल, स्वामी आनंद स्वरूप के जवाब हिदू पंचायत में आए लोगों ने स्वामी आनंद स्वरूप से कई सवाल पूछे। उन्होंने लोगों को नियमित रूप से मंदिर जाने, हिदुओं को एकजुट रहने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार के खर्चे से जो मदरसे चल रहे हैं, उन्हें बंद किया जाना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दो साल में हर गांव में गुरुकुल खोलकर संस्कारों का पाठ पढ़ाने का काम किया जाएगा। उन्होंने हिदू मंदिरों की आय को हिदू धर्म पर खर्च करने की मांग की। साथ ही धर्म के ठेकेदार, जो हिदू धर्म के लिए कुछ नहीं करते उनका बहिष्कार करने को कहा। पंचायत में एक व्यक्ति ने अयोध्या में सर्वधर्म समभाव का केंद्र बनने पर सवाल किया। नई शिक्षा नीति में गीता हो हिदू पंचायत में नई शिक्षा नीति में गीता को अनिवार्य करने की बात उठाई गई। इस पर शंकराचार्य परिषद की ओर से प्रस्ताव बनाकर शिक्षा मंत्री को भेजने की बात कही गई। दलित नहीं शिल्पी समाज हिदू पंचायत में कहा गया कि दलित शब्द को आज से हटाने की जरूरत है। इसकी जगह शिल्पी समाज कहा जाएगा। शिल्पी समाज का हिदू धर्म में प्रमुख स्थान है। तलवार भेंट की स्वामी धनेश्वर गिरि महाराज ने स्वामी आनंद स्वरूप को तलवार भेंट की। इस मौके पर उन्होंने सभी लोगों से अपने घर पर सुरक्षा के लिए शस्त्र रखने को भी कहा। वीर रस की बही काव्य धारा कार्यक्रम के दौरान गीता भारद्वाज ने वीर रस का गीत प्रस्तुत किया। शकराचार्य परिषद सास्कृतिक प्रकोष्ठ के दीपक कुमार और उनकी टीम ने संस्कृति संवर्धन का अनूठा वातावरण बनाया।
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