परीक्षितगढ़ के जंगल में मिला घायल तेंदुआ
हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र के गांव नीमका-कुंडा के जंगल में मंगलवार को घायल तेंदुआ मिलने से दहशत फैल गई। उसकी गर्दन व शरीर के अन्य हिस्सों में चोट के निशान थे। वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन ने उसे बेहोश किया और इलाज के बाद मेरठ ले गए। बाद में उसे कड़ी सुरक्षा में लायन सफारी इटावा भेज दिया है।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 23 Nov 2021 09:12 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र के गांव नीमका-कुंडा के जंगल में मंगलवार को घायल तेंदुआ मिलने से दहशत फैल गई। उसकी गर्दन व शरीर के अन्य हिस्सों में चोट के निशान थे। वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन ने उसे बेहोश किया और इलाज के बाद मेरठ ले गए। बाद में उसे कड़ी सुरक्षा में लायन सफारी इटावा भेज दिया है।
गांव नीमका-कुंडा में सुबह ग्रामीणों ने कांति के गन्ने के खेत में घायल तेंदुआ पड़ा देखा और वन रक्षक को सूचना दी। डीएफओ राजेश कुमार और परीक्षितगढ़ रेंज के रेंजर जगन्नाथ कश्यप टीम के साथ मौके पर पहुंचे। टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन से तेंदुए को बेहोश किया। मेरठ से आए पशु चिकित्सक आरके सिंह व स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी कपिल त्यागी ने प्राथमिक उपचार किया। उसकी गर्दन पर गहरे चोट के निशान थे। अन्य हिस्सों में खुली चोट थी। टीम उसे पिजरे में बंद करके मेरठ ले गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव लखनऊ की अनुमति पर शाम को वाइल्ड लाइफ एसओएस ने उसे वाहन से लायन सफारी इटावा भेज दिया। गोली लगने के प्रमाण नहीं
नर तेंदुआ की उम्र लगभग सात वर्ष है। चिकित्सकों ने जांच की लेकिन घाव में गोली जैसी कोई चीज नहीं मिली। आपरेशन करने पर पता चलेगा कि तेंदुआ घायल किस वजह से हुआ। शिकारियों के कब्जे से तो नहीं छूटा
तेंदुआ की हालत देखकर लग रहा था कि कहीं वह शिकारियों के जाल में तो नहीं फंसा था। उसके शरीर का पिछला हिस्सा टूटा हुआ था। सवाल यह भी उठ रहा कि इस हालत में तेंदुआ यहां कैसे पहुंचा। कहीं किसी ने उसे जान-बूझकर तो घायल नहीं किया। ----------------- घायल अवस्था में मिले तेंदुए का प्राथमिक इलाज करा उसे लायन सफारी इटावा भेज दिया है। पहला उद्देश्य उसकी जान बचाकर सुरक्षित स्थान पर भेजना था। अब जांच कर आगे की कार्रवाई होगी। -जगन्नाथ, क्षेत्राधकारी वन रेंज परीक्षितगढ़।
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