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Jayant Chaudhary: यूपी में बड़ा सियासी खेल, चुनावी पिच पर BJP का मास्टर स्ट्रोक; छोटे चौधरी के आने से बदलेगा पश्चिम का चुनाव समीकरण

Jayant Chaudhary भाजपा-रालोद के साथ आने से जहां सपा और कांग्रेस की जमीन सरकेगी वहीं बसपा के सामने मुस्लिम वोटों को साधने का नया मौका खड़ा होगा। कई बड़ी सीटों पर नए समीकरण बनेंगे। 15 साल बाद कमल का साथ वर्ष 2009 के 15 साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और रालोद हाथ मिलाने की तरफ बढ़े हैं जिसका पश्चिम यूपी की राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 10 Feb 2024 07:17 AM (IST)
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Jayant Chaudhary: छोटे चौधरी के आने से बदलेगा पश्चिम का चुनाव समीकरण
संतोष शुक्ल, मेरठ। चुनावी पिच पर उतरने से पहले भाजपा नए-नए मास्टर स्ट्रोक खेलकर विपक्षी फील्डरों को चित करने में जुटी है। पार्टी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में छोटे चौधरी से हाथ मिलाने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर भावनात्मक मैदान जीत लिया।

काफी बदल चुका है पश्चिम की राजनीति का विन्यास

डेढ़ दशक में पश्चिम का राजनीतिक विन्यास काफी बदल चुका है। अब यहां किसानों का मुद्दा चुनाव परिणाम नहीं बदल पाता है, जबकि ध्रुवीकरण का पेंडुलम भाजपा की तरफ झुकता रहा है। 2014 में मोदी लहर में भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीटें जीत गई, लेकिन 2018 में चौ. अजित सिंह एवं जयन्त ने कैराना उपचुनाव में भाजपा को हरा दिया।

हार से दंग थी भाजपा

खतौली की हार से दंग थी भाजपा 2019 में भले ही रालोद कोई सीट नहीं जीत सका, लेकिन भाजपा सहारनपुर, नगीना, बिजनौर, अमरोहा, संभल, रामपुर व मुरादाबाद हार गई। दिसंबर 2022 में जयन्त ने भाजपा की मजबूत घेरेबंदी को तोड़ते हुए मुजफ्फरनगर की खतौली सीट पर बड़ी जीत दर्ज कर अपनी चौधराहट साबित कर दी। पिछले पंचायत चुनावों में रालोद और सपा के रिश्तों में कड़वाहट के बाद दूरी बनी रही। 2024 के चुनाव से पहले सपा ने
एक बार फिर रालोद पर सीट देने के साथ ही अपने चेहरों को थोपना
चाहा, जिससे जयन्त के खेमे में बेचैनी थी।

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दो राज्यों में हटाए गए थे जाट अध्यक्ष

छोटे चौधरी के लिए भाजपा ने उम्मीदों की एक खिड़की हमेशा खोलकर रखा। भाजपा की केंद्रीय इकाई ने जयन्त को अपने साथ लाकर यूपी, हरियाणा और राजस्थान के जाटों को साधने की योजना बनाई। पिछले साल भाजपा ने हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ और राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के रूप में दो बड़े जाट चेहरों को हटा दिया, जिसकी भरपाई अब जयन्त फैक्टर से हो जाएगी।

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चौधराहट की नई रेस पश्चिम उप्र की जाट राजनीति लंबे समय से केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के इर्द गिर्द घूम रही
है। जयन्त की पकड़ बेहतर है
लेकिन यह चुनावी परिणाम नहीं दे पा रही थी। वहीं, बागपत सांसद सत्यपाल सिंह भी चौधराहट की रेस में रहे हैं। ऐसे में भाजपा के दिग्गज जाट नेताओं को जयन्त को पचा पाना आसान नहीं होगा।

मायावती व चंद्रशेखर पर नजर पश्चिम उप्र में

रालोद के भाजपा के साथ जाने पर मुस्लिम वोटों को लेकर बसपा, कांग्रेस व सपा में जंग छिड़ेगी। दिग्गजों की नजर मायावती के निर्णय पर होगी। जयन्त अपने करीबी चंद्रशेखर आजाद को नगीना से चुनाव लड़ाने का प्रयास करेंगे। ऐसा हुआ तो पश्चिम की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जाएगा।

रालोद के नौ विधायकों में से तीन सपा के चेहरे हैं, जिनकी नाव अब फंस सकती है। वहीं, जयन्त अपने विधायकों को जोड़कर रखने के लिए उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाने, मंत्री बनवाने एवं कई अहम आश्वासन देंगे।

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