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झांसी की रानी का वो ऑस्ट्रेलियाई वकील, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ ही खोल दिया था मोर्चा; कहानी भारत प्रेमी लैंग की

John Lang birthday जान लैंग का जन्म सिडनी में 19 दिसंबर 1816 को हुआ था। 1845 में उन्होंने मेरठ से मफसिलाईट अखबार निकाला। इसके तेवर ब्रिटिश विरोधी थे। उनकी पुस्तक वान्ड्रिंग्स इन इंडिया एंड अदर स्केचेज आफ लाइफ इन हिंदोस्तान में उन्होंने अपने संस्मरण लिखे हैं। इसमें रानी झांसी से भेंट पर भी एक अध्याय है। मेरठ आगरा और वर्तमान उत्तराखंड में बिताए अपने समय पर भी लिखा है।

By Praveen VashisthaEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 19 Dec 2023 03:58 PM (IST)
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झांसी की रानी का वो ऑस्ट्रेलियाई वकील, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ ही खोल दिया था मोर्चा
प्रवीण वशिष्ठ, मेरठ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवंबर 2014 की आस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी एबाट को एक विशेष भेंट दी थी। यह उपहार ऑस्ट्रेलियाई मूल के पहले उपन्यासकार जान लैंग से सबंधित फोटो कोलाज था।

खास बात यह है कि भारत प्रेमी लैंग ने रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों से उनका अधिकार दिलाने को गर्वनर जनरल के यहां याचिका दाखिल की थी। उन्होंने मेरठ से अंग्रेजों के विरुद्ध तेवर वाला अखबार भी निकाला था।

सिडनी में हुआ था जन्म जान लैंग का जन्म

सिडनी में 19 दिसंबर 1816 को हुआ था। 1837 में उन्होंने कैब्रिज से बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की। कुछ वर्ष ऑस्ट्रेलिया में बिताने के बाद वह भारत आ गए। 1845 में उन्होंने मेरठ से 'मफसिलाईट' नाम का अखबार निकाला। इसमें वह ब्रिटिश अधिकारियों की कार्यशैली की आलोचना करते हुए भारतीयों के हित की बात भी करते थे। कुछ समय के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।

पुस्तक में मेरठ, आगरा, सहारनपुर आदि का वर्णन

वर्ष 1859 में उनकी पुस्तक 'वान्ड्रिंग्स इन इंडिया एंड अदर स्केचेज आफ लाइफ इन हिंदोस्तान' प्रकाशित हुई। घुमक्कड़ स्वभाव के लैंग ने देश के विभिन्न हिस्सों में बिताए अपने समय को याद किया है।

वह लिखते हैं कि 'मेरठ में यूरोपीय शैली की कई इमारते हैं। इनमें चर्च, अदालत, थिएटर, सैन्य अधिकारियों और व्यापारियों के बंगले शामिल हैं। हालांकि भारतीय सिपाहियों के अधिकांश घर फूस के बने हुए हैं। कई बार उनमें आग भी लग जाती है।'

लैंग ने सहारनपुर और अंबाला के बीच की सड़क पर लुटेरों के गिरोह की सक्रियता, देवबंद और बिजनौर का जिक्र भी किया है। आगरा और वर्तमान उत्तराखंड में बिताए समय का भी वर्णन है। रानी झांसी से भेंट पर उन्होंने एक अध्याय लिखा है।

लैंग को बहुत सम्मान देते हैं आस्ट्रेलियावासी

जान लैंग को उनके देशवासी आस्ट्रेलिया में जन्मा पहला उपन्यासकार (Australia's first native born novelist) मानते हुए बहुत सम्मान देते हैं। उनके उपन्यासों में बाटनी बे, टू क्लेवर बाइ हाफ, टू मच अलाइक, कैप्टन मैकडोनाल्ड व द एक्स-वाइफ आदि प्रमुख हैं। लैंग की मृत्यु मंसूरी में 20 अगस्त 1864 को हुई।

बोले इतिहासकार, लैंग पर और शोध की जरूरत

इतिहासकार डा. अमित पाठक कहते हैं कि गुलामी के दौर में भारतीयों के हित में कार्य करने वाले विदेशियों में जान लैंग का नाम उल्लेखनीय है। वह मेरठ में कई साल रहे। लैंग और उनके जैसे अन्य लोगों पर शोध होना चाहिए। जिससे ऐसे भारत प्रेमी विदेशियों के बारे में अधिक जानकारी सामने आ सके और उन्हें उचित सम्मान मिल सके।

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