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साहित्य, सेवा व राजनीति की त्रिवेणी थीं कमला देवी, मुंशी प्रेमचंद ने भी की थी सराहना

आजादी के संघर्ष काल में जब गिनी चुनी महिला साहित्यकारों का नाम सामने आता है तब मेरठ की कमला देवी चौधरी की रचनाओं ने सभी ख्यातिलब्ध साहित्यकारों का ध्यान आकर्षित किया था।स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के चलते वे जवाहर लाल नेहरू सुचेता कृपलानी जैसे राजनेताओं के संपर्क में रहीं।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Mon, 22 Feb 2021 04:00 PM (IST)
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मेरठ छीपी तालाब स्थित आवास में जवाहर लाल नेहरू के साथ कमला देवी।
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। 173/4 प्रहलाद वाटिका, बुढ़ाना गेट और छीपी तालाब मेरठ। ये वह पते थे जो कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद और हरिवंशराय बच्चन सरीखे साहित्यकारों के स्मृति पटल पर अंकित थे। उन्होंने इन पतों पर दर्जनों पातियां लिखी थीं। यहां कमला देवी चौधरी निवास करती थीं। आजादी के संघर्ष काल में जब गिनी चुनी महिला साहित्यकारों का नाम सामने आता है, तब मेरठ की कमला देवी चौधरी की रचनाओं ने सभी ख्यातिलब्ध साहित्यकारों का ध्यान आकर्षित किया था। उनका योगदान यहीं समाप्त नहीं होता है। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के चलते वे जवाहर लाल नेहरू, सुचेता कृपलानी जैसे राजनेताओं के संपर्क में रहीं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी कमला चौधरी का व्यक्तित्व और उपलब्धियां ऐसी हैं, जो किसी क्षेत्र के लोगों के लिए गौरव का विषय है। 22 फरवरी को उनका जन्मदिन है, पर स्थानीय साहित्य जगत को उनकी कोई सुध नहीं है। उस कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें विस्मृत कर दिया है, जिसका झंडा उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 18 वर्ष की आयु में थाम लिया था।

संविधान सभा की सदस्य चुनी गईं

कमला चौधरी की छवि मुखर महिला की थी। लखनऊ में 22 फरवरी 1908 को मजिस्ट्रेट मनमोहन दयाल के घर उनका जन्म हुआ था। बचपन से उन्हें पढ़ने-लिखने का शौक था। विवाह के बाद वे पेशे से चिकित्सक पति डा. जितेंद्र मोहन चौधरी के साथ 1926 से मेरठ में रहने लगीं। महात्मा गांधी के आजादी के आंदोलन से प्रभावित होकर महिलाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने चरखा समितियों का गठन किया था। एक मौके पर भाषण देते समय आवेश में आकर तिरंगा फहरा दिया था, जिसपर अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वे छह बार जेल गई थीं। उनके निवास पर जवाहर लाल नेहरू समेत दिग्गज नेताओं का आना-जाना रहता था। 1950 में संविधान निर्माण के लिए गठित सभा में वे देशभर से चुनी गई 15 महिलाओं में शामिल थीं। जीवनर्पयत साहित्य और राजनीति के माध्यम से महिलाओं के उत्थान के लिए कमला चौधरी सक्रिय रहीं। 1962 से कांग्रेस के टिकट पर हापुड़ संसदीय सीट से सांसद बनीं।

कमला देवी चौधरी : एक परिचय

जन्म: 22 फरवरी 1908, लखनऊ

मृत्यु: 15 अक्टूबर 1970, मेरठ

पद: भारतीय विधान परिषद की सदस्य, संविधान सभा की सदस्य, मेरठ-हापुड़ संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद

रचनाएं: पिकनिक, उन्माद, बेलपत्र, खैयाम का जाम आदि। तत्कालीन सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कृतियों का प्रकाशन।

राजनीतिक समझ और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

कमला चौधरी की पुत्री डा. इरा सक्सेना मेरठ में निवास के दिनों की यादों को ताजा करते हुए बताती हैं कि उनके प्रयासों से नौचंदी मेला नामचीन कवियों की मौजूदगी से साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में देशभर में प्रतिष्ठित हो गया था। बताया गया कि उनके बिखरे साहित्य को संजोकर नए सिरे से प्रकाशित कराया गया है। एनएएस कालेज की हंिदूी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रज्ञा पाठक ने बताया कि उनकी कहानियां बताती हैं कि राजनीति में महिलाओं को मोहरा नहीं समझना चाहिए। महिलाएं अधिकारों के लिए आवाज उठाने में सक्षम हैं। महिला पात्रों की मन:स्थिति को उन्होंने दमदार तरीके से अभिव्यक्त किया है।

अपने रचे हुए संसार में अभागों को सहारा दीजिए

कालजयी रचनाकार प्रेमचंद ने मुंबई (तब बंबई) से 30 नवंबर 1934 को लिखे पत्र में कमला देवी की कहानियों को मर्मस्पर्शी बता निरंतर लेखन जारी रखने के लिए प्रेरित किया था। पत्र में उनकी कहानी ‘पत’ के पात्र का जिक्र करते हुए कहा था कि जीवन में बहुत ज्यादा निराशाएं हैं। ऐसे में अपने रचे हुए संसार में अभागों को सहारा दीजिए। इस तरह के कई पत्र कमला देवी को लिखे थे। प्रेमचंद के सुझावों ने कमला को गहराई से प्रभावित किया था। प्रेमचंद द्वारा संपादित हंस पत्रिका में कमला चौधरी की कई रचनाएं प्रकाशित हुईं। कमला चौधरी कवयित्री भी थीं। उन्होंने उमर खैयाम की रुबाइयों का अनुवाद खैयाम का जाम नाम से किया था। इसकी भूमिका हरिवंश राय बच्चन ने लिखी थी। हरिवंश राय बच्चन उन्हें दीदी कहकर संबोधित करते थे। महादेवी वर्मा उनकी अभिन्न सखी थीं। 

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