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Leopard In Meerut: तेंदुए की दहशत के वो साढ़े 10 घंटे; दीवार तोड़ कर पति-पत्नी, बुजुर्ग और बच्ची को निकाला, थमी रहीं सांसें

Leopard Rescue In Meerut Latest News In Hindi इसी बीच डीएफओ राजेश कुमार रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बरामदे के आगे जाल लगा दिया। पिंजड़ा भी लगाया गया। दोपहर डेढ़ बजे शोर के चलते तेंदुए ने बाहर निकलने की कोशिश की। इसमें अंगद नामक युवक पंजा लगने से घायल हो गया। खून से लथपथ अंगद को जिला अस्पताल ले जाया गया।

By OM Bajpai Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 13 Apr 2024 08:36 PM (IST)
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Leopard In Meerut: तेंदुए की दहशत के साए में गुजरे साढ़े 10 घंटे। पिंजरे में कैद तेंदुआ।
जागरण संवाददाता, मेरठ। मवाना रोड पर पिछले दो दिनों से घूम रहा तेंदुआ शनिवार को कसेरूखेड़ा स्थित ऊंचा मोहल्ला की घनी आबादी में पहुंच गया। आठ घंटे तक निरंजन के मकान में बरामदे में छिपे तेंदुए को साढ़े छह बजे ट्रंककुलाइज किया जा सका। इस दौरान एक युवक को पंजा मार कर तेंदुए ने घायल कर दिया।

कमरे बंद वृद्धा, बच्ची और पति पत्नी को पांच घंटे बाद दीवार तोड़कर बाहर निकाला गया। इस दौरान सैंकड़ों की संख्या मेंं लोग लाठी डंडे लिए छत और सड़कों पर मौजूद रहे। महिलाएं और बच्चे भी छतों से नजारा देखते रहे।

सुबह मंदिर के पास देखा तेंदुआ

कसेरूखेड़ा कब्रिस्तान के पास ऊंचा मोहल्ला है। इसके पास ही मारवाड़ी मोहल्ले में सुबह आठ बजे तेंदुए को वाल्मीकि मंदिर के पास देखा गया। स्थानीय निवासी विजय कुमार ने बताया कि मस्जिद वाली गली में खन्ना के मकान की छत पर टंकी की ओट से उन्होंने तेंदुए को निकलते देखा। इसके बाद सूचना पर पुलिस और फिर वन विभाग की टीम पहुंची। मोहल्ले में तेंदुए होने की सूचना पर युवक लाठी-डंडे लेकर गलियों और छतों पर पहुंच गए।

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घरों की छत से मकान के बरामदे में कूदा

पुलिस को कई बार रेस्क्यू में बाधा बन रही भीड़ हटाने को माइक से उद्घोष करना पड़ा। तेंदुआ घरों की छत से होता हुआ निरंजन के मकान के बरामदे में कूद गया। मकान में किराएदार रहते हैं। निगार सिनेमा के कर्मचारी 40 वर्षीय ललित अपनी पत्नी अंजू, मां विमला, 11 वर्षीय बेटी वीरा और बेटे मानव के साथ रहता है। बेटा मानव स्कूल गया हुआ था। किराएदार प्रेम और अशोक भी यहां रहते हैं। इनके निकलने का रास्ता बरामदे से बाहर का है। जबकि ललित को बाहर निकलने के लिए बरामदे से होकर जाना पड़ता है। बरामदे में कार खड़ी हुई थी।

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परिवार आया दहशत में

ललित ने बताया कि 10 बजे उसने तेंदुए को दरवाजे की ओट से देखा। पूरा परिवार दहशत में आ गया। मकान के अन्य लोग तो बाहर निकल गए लेकिन उसका परिवार कमरे में बंद हो गया। मोहल्ले के लोगों के फोन आने लगे। उन्होंने तुरंत कमजोर लकड़ी के दरवाजे के आगे लोहे की अलमारी लगा दी। कालोनी के लोगों ने वन कर्मियों के साथ बरामदे में जाल लगाया।

दीवार में होल कर परिवार को बाहर निकाला

ललित का परिवार कमरे में बंद था। वहीं कालाेनी के लोगों ने निरंजन के मकान से सटे बनवारी के मकान में हथौड़े और छेनी से छेद किया। पांच घंटे बाद परिवार को बाहर निकाला गया। इस दौरान 70 वर्षीय विमला बेसुध हो गई। लोगों ने किसी तरह उठाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहंचाया। डर और भूखे प्यासे परिवार का बुरा हाल था।

छत और दीवारों में छेद कर तेंदुए को हरकत में लाने की हुई कोशिश

तेंदुए टीन शेड के नीचे खड़ी कार के पीछे दुबका हुआ था। सामने के जाल के बाहर डा. आरके सिंह और वन्य जीव रक्षक कमलेश ट्रंकुलाइज गन लिए निशाना साधे हुए थे। कई बार पटाखे फोड़े गए और आवाज की गई लेकिन तेंदुआ टस से मस नहीं हुआ। दो और अगल-बगल के मकानों की दीवारों में छेद कर और सीमेंट की छत में छेद कर तेंदुए को उकसाने का प्रयास किया गया। सीमेंट की शीट की छत में छेद कर पानी की बौछार छोड़ी गई। मुर्गे का भी लालच दिया गया।

शाट लगते ही उछला और पिंजरे में डाला

सवा छह बजे शांत बैठे तेंदुआ ने गुर्राहट और चहल-कदमी की। इसके बाद ही उसे ट्रंकुलाइज किया जा सका। शाट लगते ही वह उछला और बाहर आने की कोशिश की लेकिन इंजेक्शन के प्रभाव से वह निढ़ाल हो गया। जिसके बाद उसे पिंजरे में डाला गया।

डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि रेस्क्यू किए गए नर तेंदुए की उम्र साढ़े तीन से चार साल है। यह पूरी तरह स्वस्थ है। इसका वजन 70 किलोग्राम के आसपास है। इसे शिवालिक के जंगल में छोड़ा जाएगा।

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