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पश्चिमी यूपी होगा लोकसभा चुनाव का सबसे अहम किला…, 10 वर्षां में घूमी सियासी सुई; RLD की अंगड़ाई ने बढ़ाई विपक्ष की धड़कन

पश्चिम उत्तर प्रदेश... चुनावी जंग का सबसे अहम किला। पहले इस क्षेत्र में नेता किसानों के मुद्दों को ‘खाद-पानी’ देकर वोटों की फसल काटते थे लेकिन पिछले एक दशक में यहां बहुत कुछ बदला है। किसानों की जमीन पर वर्तमान में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरंगें उठ रही हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के एलान की घड़ी नजदीक आ रही है वैसे-वैसे चुनावी रंग भी और चटख हो चला है।

By Jagran News Edited By: Swati SinghUpdated: Tue, 05 Mar 2024 01:44 PM (IST)
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पश्चिमी यूपी होगा लोकसभा चुनाव का सबसे अहम किला
संतोष शुक्ल, मेरठ। सूरज से तेज राजनीतिक पारा चढ़ रहा है। सिर्फ एक माह का राजनीतिक परिदृश्य देखें तो 25 जनवरी को बुलंदशहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा से लेकर 25 फरवरी को मेरठ में युवा चौपाल के बीच भाजपा का चुनावी इंजन पूरी शक्ति से आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की चुनावी यात्रा मुरादाबाद से लेकर बुलंदशहर मथते हुए अलीगढ़ पहुंची और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस रथ को लेकर आगरा निकल गए।

रालोद ने भाजपा का साथ पकड़ लिया, जबकि बसपा की खामोशी चुनावी रणनीतिकारों की समझ से परे है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरंगों के सामने किसानी मुद्दे गौण हो गए हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डा. प्रशांत कहते हैं कि 10 वर्ष में राजनीति में भारी उथल-पुथल हुई। किसानों के इर्द गिर्द सिमटी राजनीति अब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धुरी पर घूमने लगी।

पश्चिम यूपी की राजनीति में आया ये बदलाव

राजनीति विभाग में विभागाध्यक्ष डा. संजीव शर्मा के निर्देशन में एक टीम पश्चिम यूपी के राजनीतिक बदलाव पर शोध कर रही है। डा. संजीव शर्मा कहते हैं कि ‘2014 में कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी थी और नरेंद्र मोदी के रूप में जनता ने सकारात्मक बदलाव किया। उसके बाद से भाजपा सांगठनिक ताकत और वैचारिकी से लगातार मजबूत बनी हुई है। इससे राजनीति का चरित्र बदल गया’। अयोध्या की तर्ज पर मथुरा की धार्मिक अंगड़ाई बड़े संकेत दे रही है। भाजपा को घेरने वाले दलों को नए मुद्दों की तलाश है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश... चुनावी जंग का सबसे अहम किला। पहले इस क्षेत्र में नेता किसानों के मुद्दों को ‘खाद-पानी’ देकर वोटों की फसल काटते थे, लेकिन पिछले एक दशक में यहां बहुत कुछ बदला है। किसानों की जमीन पर वर्तमान में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरंगें उठ रही हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के एलान की घड़ी नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनावी रंग भी और चटख हो चला है। अभी कैसे अंगड़ाई ले रहा है पश्चिम उत्तर प्रदेश, मेरठ से बता रहे हैं संतोष शुक्ल...

2014 से सभी समीकरण ध्वस्त, कमल ही कमल खिला

मेरठ में क्षेत्रीय महामंत्री हरीश ठाकुर लोकसभा चुनावों का आंकड़ा बनाने में जुटे हैं। बताते हैं कि वर्ष 2009 में उत्तर प्रदेश में सपा के 23, कांग्रेस के 21 और बसपा के 20 सांसद जीते, जबकि भाजपा सिर्फ 11 सीटों पर सिमटी। इसमें पश्चिम और ब्रज क्षेत्र की पांच सीटों पर कमल खिला, लेकिन 2014 में मोदी लहर और हिन्दुत्व की तरंग ने सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया। पश्चिम क्षेत्र में पहली बार भाजपा ने सभी 14 सीटें जीत लीं।

ब्रज क्षेत्र की 13 सीटों में मुलायम परिवार के अक्षय यादव ने फिरोजाबाद, तेज प्रताप यादव ने मैनपुरी और धर्मेंद्र यादव ने बदायूं जीतकर बमुश्किल साख बचाई, जबकि कांग्रेस, बसपा और रालोद का सूपड़ा साफ हो गया। मुजफ्फरनगर की खतौली बाजार में चुनावी चर्चा में व्यापारी अखिल रस्तोगी कहते हैं कि 2019 में सपा, बसपा और रालोद ने हाथ मिलाकर राजनीति का बड़ा प्रयोग किया, फिर तो भाजपा को घेर नहीं पाए। पश्चिम और ब्रज की 27 में से 19 पर भाजपा जीती। बसपा ने सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, जबकि सपा ने मैनपुरी, रामपुर, मुरादाबाद व संभल में जीत दर्ज की।

घूम गई सियासी सुई

सीएम योगी ने 12 फरवरी को मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में ग्राम परिक्रमा अभियान शुरू किया, जहां किसानों को साधने के बीच सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का तरकश ऊपर रखा गया। भाजपा के किसान मोर्चे के क्षेत्रीय अध्यक्ष तेजा गुर्जर कहते हैं ‘हम किसानों की सांस्कृतिक एवं राष्ट्रवादी चेतना को भी जगाकर रखते हैं। जातीय समीकरणों की बुनियाद पर सत्ता में पहुंचने वाले दलों सपा और बसपा का डिब्बा बंद हो चुका है।’

मुस्लिम वोटर राजनीति की दिशा तय करते थे। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण का कांटा घूमा। भाजपा ने किसानों को साधने के लिए रिकॉर्ड गन्ना बकाया भुगतान, चीनी मिलों का विस्तार, लोन माफी, छह हजार रुपये सालाना भुगतान समेत कई योजनाएं शुरू की।

... और बसपा मौन

सहारनपुर के ननौता क्षेत्र के प्रधानों की बैठक ब्लाक में थी, जहां अधिकारी देर से पहुंचे तो वहां राजनीतिक परिचर्चा शुरू हो गई। भाजपा और रालोद के सामने सपा-कांग्रेस गठबंधन कितना असरदार रहेगा और मायावती कहां जाएंगी...इसे समझने में लोग उलझे रहे। ननौता के रहमान कहते हैं कि बसपा की चुप्पी समझ से परे है, वहीं भाजपा दो साल पहले से चुनावी जमीन मजबूत करने में जुटी है।

भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मनोश पोसवाल कहते हैं कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली जनसभा 25 जनवरी को बुलंदशहर में की। सीएम योगी ने 12 फरवरी को शुकतीर्थ में ग्राम परिक्रमा अभियान शुरू किया। प्रदेश प्रभारी बैजयंत पांडा ने 23 फरवरी को गाजियाबाद में पश्चिम क्षेत्र की अहम बैठक की।’

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का शंखनाद

1857 की क्रांति का तीर्थ कहलाने वाला बाबा औघड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक कर निकल रहे व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष बिजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि धार्मिक स्थलों में नई ऊर्जा यूं ही नहीं आई, इसके लिए कांवड़ भक्तों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा, बिजनौर एवं मेरठ में गंगा आरती, विदुर कुटी का विकास, मालन नदी का पूजन, सहारनपुर में मां शाकंभरी देवी विश्वविद्यालय निर्माण व मुजफ्फरनगर में शुक्रताल को शुकतीर्थ बनाने की परंपरा को देखना होगा।

पीएम मोदी ने पेश किया विकास का मॉडल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं मेरठ के औघड़नाथ मंदिर में पूजा की। शहीद स्मारक का दर्शन करने गए। पश्चिम में दर्जनों हाईवे व एक्सप्रेस वे बनाने के साथ ही औद्योगिक निवेश बढ़ाकर विकास का मॉडल पेश किया। देवबंद में एटीएस और कांधला और कैराना के बीच पीएसी कैंप बनाकर बड़ा संदेश दिया।

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