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Meerut News: मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुश्ती हॉल में शार्ट सर्किट से लगी आग

Fire At CCSU मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्थित दारा सिंह कुश्ती हॉल में रविवार को भीषण आग लगने से हड़कंप मच गया। सूचना के बाद दमकल की गाड़ियां भी मौके पर पहुंच गई थी। आधे घंटे की मशक्‍कत के बाद आग को बुझा दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: PREM DUTT BHATTUpdated: Sun, 16 Oct 2022 02:43 PM (IST)
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Fire At CCSU मेरठ में रविवार को सीसीएसयू के दारा सिंह कुश्ती हॉल में आग लग गई।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Fire At CCSU मेरठ में रविवार की दोपहर को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्थित रुस्तम ए जहां दारा सिंह कुश्ती स्टेडियम में शार्ट सर्किट से आग लग गई। प्रथम तल पर स्थित हॉल में से धुआं निकलता देख सुरक्षा कर्मचारियों ने दमकल विभाग को फोन कर दिया।

आधे घंटे की मशक्‍कत से बुझी आग

कुछ ही देर में आग बुझाने के लिए 2 गाड़ियां पहुंच गई। सूचना पर मेडिकल थाना पुलिस और विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी व बड़ी संख्या में छात्र भी एकत्र हो गए थे। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद दमकल के कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया।

यह बताया सीएफओ ने

मुख्य अग्निशमन अधिकारी संतोष राय ने बताया कि कुश्ती स्टेडियम में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया गया था। आग लगने की घटना से आसपास के क्षेत्र में भी हड़कंप मच गया। विवि के अफसर भी मौके पर पहुंच गए थे। लेकिन समय रहते ही आग पर काबू पा लेने राहत मिली।

ट्रामल तकनीक से करेगा लीगेसी वेस्ट का निस्तारण

मेरठ नगर निगम की तर्ज पर कैंट बोर्ड भी अब ट्रामल तकनीक का बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट स्थापित कर किला परीक्षितगढ़ मार्ग किनारे अब्दुल्लापुर के पास डंप लीगेसी वेस्ट को निस्तारित करेगा। प्लांट में कूड़ा सेग्रीगेशन क्षमता 20 टन प्रति घंटे होगी। कैंट बोर्ड ने टेंडर जारी कर दिया गया है। करीब तीन करोड़ की लागत से ये प्लांट लगाया जाएगा। इसके साथ ही कैंट बोर्ड खुद डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन भी शुरू करने जा रहा है।

ऐसी है ट्रामल तकनीक

इस तकनीक के प्लांट में कूड़े से आरडीएफ यानी प्लास्टिक कचरा, ईंट-पत्थर और कंपोस्ट को अलग-अलग किया जाता है। ट्रामल युक्त बैलेस्टिक सेपरेटर संयंत्र स्थापित होगा उसमें विशेष प्रकार का छनना लगा होगा। जिससे कचरे को छाना जाएगा। यह संयंत्र बिजली से चलेगा। कूड़े से छनकर निकले प्लास्टिक कचरे को बेचा जाएगा। जबकि ईंट-पत्थर को लैंडफिल और कंपोस्ट को खाद के तौर पर उपयोग किया जाता है।