मेरठः ऐसी पहल जो ढाई घंटे में बदल देता है परिवेश
एमडी मेडिसिन डॉ. विश्वजीत बेम्बी की टीम पहल- एक प्रयास 26 जनवरी 2014 से शहर में उतरी और कम समय में ही उसने अपने कार्यशैली की बदौलत पहचान बना ली।
हर रविवार... टारगेट पर एक दीवार। प्रोफेशनल्स की एक टोली हाथ में फावड़ा और ब्रश लिए शहर के किसी न किसी कोने में मशगूल दिख जाएगी। यह टीम है पहल एक प्रयास... जिसके अगुवा हैं डॉ. विश्वजीत बेम्बी। गंदगी के ढेर पर बैठे मेरठ जैसे शहर में यह अभिनव प्रयास हमें सुकून देता है... अपने कर्तव्यों के प्रति झकझोरता है। उनकी टीम शहर में सफाई करती है। कूड़ा उठाती है। दीवारों को अलग-अलग आकृतियों में रंग कर सुंदरता बिखेर देती है।
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एमडी मेडिसिन डॉ. विश्वजीत बेम्बी की टीम पहल- एक प्रयास 26 जनवरी 2014 से शहर में उतरी और कम समय में ही उसने अपने कार्यशैली की बदौलत पहचान बना ली। 45 वर्षीय बेम्बी कहते हैं कि प्रिवेंटिव मेडिसिन की पढ़ाई में यह बताया जाता है कि रोगों को कैसे दूर किया जाता है।
स्वस्थ रहना है तो स्वच्छ रहना होगा। इसलिए जेल रोड स्थित न्यू आर्य नगर निवासी बेम्बी की पहल संस्था अस्तित्व में आई। सौंदर्यीकरण से मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है, इसलिए सफाई और कूड़ा उठाने के बाद दीवारों को रंगीन करके उसे आकृतियों से सजाने का भी कार्य किया जाता है। हर रविवार को टीम पहुंचती है और ढाई घंटे में पूरा परिवेश बदल देती है।
काम दिखा तो मन की बात में दिखाए गए
टीम में डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड इंजीनियर, वकील, एंटरप्रेन्योर, शिक्षक आदि जुड़ते गए। सबसे अधिक संख्या छात्रों की है। वर्तमान में पहल के सदस्यों की संख्या करीब 600 तक पहुंच गई है। उसका असर अब साफ दिखाई पड़ रहा है। उनके कार्य का तरीका ही उन्हें अलग करता है। एक स्पॉट चिह्नित करके उसके आसपास सफाई करते हैं। कूड़े को अपनी गाडिय़ों में भरकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाते हैं।
इसके बाद उसके आसपास के पार्क या अन्य सार्वजनिक भवन की दीवार को पेंट करते हैं, उसमें कलाकृतियां बनाते हैं। करीब 238 रविवार इस सफाई अभियान को हो गए। इसकी ब्रांच अब मोदीनगर, हापुड़, भदोही तक खुल चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने उन्हें वहां इस तरह की टीम बनाने के लिए आमंत्रित किया। पहल टीम का काम तीन बार प्रधानमंत्री की मन की बात कार्यक्रम में दिखाया जा चुका है।
''मेरी टीम ही मेरी ताकत है। सभी सदस्य अपने हाथ से कूड़ा उठाते हैं और नालियां साफ करते हैं। इस अभियान को स्वच्छ भारत मिशन का लाभ मिला। हमारा मकसद लोगों की मानसिकता बदलना है। इसी के साथ ही जाति या वर्ग भेद को खत्म करने के लिए टीम के सभी सदस्य सहभोज करते हैं और अपने-अपने घरों खाना बनवाकर लाते हैं, जिसे मिश्रित किया जाता है। हमारा प्रयास सफल हो रहा है। यह पहल बदलाव ला रही है।"
- डॉ. विश्वजीत बेम्बी
''पहल- एक प्रयास संस्था की बदौलत ही पंचशील कालोनी में बदलाव आया। गंदगी के खिलाफ रैली निकाली गई थी और बड़ा सफाई अभियान चला था। उसके बाद ही यहां कई वर्ष पहले तत्कालीन कमिश्नर आलोक सिन्हा ने डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए दो रिक्शा अलॉट किया था। उसके बाद यहां अब छोटा हाथी आता है, कलेक्शन के लिए।"
- नितिन शर्मा, निवासी पंचशील कालोनी
शहर को स्वच्छ रखने में ऐसे प्रयास हैं महत्वपूर्ण
पहल एक प्रयास के कार्य इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब शहर की स्थिति स्वच्छता के मानक पर बिल्कुल फिसड्डी हो। लोगों की शिकायत सफाई कर्मियों के न पहुंचने और समय से कूड़ा न उठने की रहती है। असामाजिक तत्व दीवारों को गंदा कर देते हैं। ऐसे में ये टीम शहर को साफ करने, कूड़ा उठाने और दीवारों को रंगीन करने में श्रमदान करती है। स्वच्छता रैंकिंग में शहर की फजीहत और स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो जाने की स्थिति से हर कोई वाकिफ है।
दीवारें गंदी कर देते हैं, गंदगी फिर फैल जाती है
उनके अभियान में सबसे बड़ी चुनौती शहर के ही लोग हैं, जिसका मन जहां होता है, वहीं कूड़ा फेंक कर चला जाता है। दीवारों पर पेंटिंग करने के बाद लोग उस पर पोस्टर चिपका देते हैं। या भद्दे कमेंट लिख देते हैं। लेकिन पहल के सदस्य पूरी लगन से जुटकर उन स्थानों को दोबारा भी चमकाने पहुंच जाते हैं। उन्हें लगता है कि शहर में इसका सकारात्मक असर पड़ा है। लोगों की मानसिकता बदल रही है। वह इस काम में शहर के ही लोगों का सहयोग चाहते हैं।
तो पूरे शहर में दिखते पहल के सदस्य
डॉ. बेम्बी का कहना है कि यदि उनके पास संसाधन होते या सरकारी सहायता मिलती तो पहल के सदस्य पूरे शहर में होते। एक साथ ही अलग-अलग हिस्से में सदस्य कार्य कर रहे होते। अभी जो भी खर्च होता है वह दान व मेंबरशिप की धनराशि से ही जुटाया जाता है।
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