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यूपी के इस जिले में दिल्ली रोड का होगा चौड़ीकरण, अधिग्रहण के लिए नोटिस जारी; लोग बोले- रोजी बंद होने की कगार पर

मेरठ में रैपिड रेल का काम जारी है जिसके चलते सड़क चौड़ीकरण के लिए प्रशासन ने दिल्ली रोड के व्यापारियों को नोटिस जारी किए गए हैं। 60 वर्षों से व्यापार कर रहे लोगों को दुकानें तोड़े जाने के बाद सड़क पर आ जाने का भय सता रहा है। सरदार हरबंस ने बताया कि अब रोजी रोटी बंद होने के कगार पर आ गई है।

By OM Bajpai Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sun, 14 Jul 2024 01:54 PM (IST)
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दुकान के झज्जे को तोड़ता हुआ बुलडोजर। प्रतीकात्मक तस्वीर

जागरण संवाददाता, मेरठ। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कारिडोर के कार्य के चलते सड़क चौड़ीकरण के लिए प्रशासन ने दिल्ली रोड के व्यापारियों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके तहत 15 जुलाई तक आपत्तियां मांगी गई हैं। नोटिस में पूर्व में हुए समझौते का कोई पालन न होने के कारण व्यापारियों में आक्रोश है।

60 वर्षों से व्यापार कर रहे लोगों को दुकानें तोड़े जाने के बाद सड़क पर आ जाने का भय सता रहा है। परिवार के पालन पोषण को लेकर व्यापारी चिंतित हैं। दिल्ली रोड पर ब्रह्मपुरी मोड़ के पास निलय हाइट से जगदीश मंडप तक सड़क चौड़ीकरण के लिए दोनों साइड में भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसको लेकर पूर्व में एनसीआरटीसी द्वारा लाल और पीले निशान लगाए गए थे।

व्यापारी दिनेश सखूजा ने बताया कि उनकी दुकानों को अतिक्रमण के दायरे में बता दिया गया था। जिसको लेकर उन्होंने कमिश्नर और जिलाधिकारी कार्यालय में गुहार लगाई थी। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष समझौता हुआ था कि नाले के पीछे जिसका जो भू भाग है उसका मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि, जो नोटिस दिया गया है, उसमें इसका उल्लेख नहीं है।

रोजी रोटी बंद होने के कगार पर: सरदार हरबंस

सरदार हरबंस ने बताया कि 60 साल से उनका यहां पर छोटा सा होटल है। तीन पीढ़ियों के लोग इसी पर आश्रित हैं। इतने साल बाद अब रोजी रोटी बंद होने के कगार पर आ गई है। कहा कि जिनकी पूरी दुकानें अतिक्रमण के दायरे में जा रही हैं उन्हें मुआवजे के साथ दिल्ली रोड पर ही कहीं परिवार का पालन पोषण करने के लिए दुकानें दी जाएं।

पुनीत अग्रवाल ने कहा कि व्यावसायिक सर्किल रेट की दर से मुआवजा दिया जाए न की आवासीय सर्किल रेट से। राहुल सिंघल, अरुण कुमार, अनिल कुमार की दुकानें भी अधिग्रहण के दायरे में हैं। कहा कि उचित मुआवजा व कहीं और दुकानें न मिलीं तो अधिग्रहण की प्रक्रिया का हर स्तर पर विरोध करेंगे।

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