Meerut News: काली से बर्मिंघम तक चार बेटियों ने जीते पांच पदक, दमदार प्रदर्शन ने बढ़ाया मान
Meerut News ये वेस्ट यूपी के लिए गर्व करने की बात है कि काली से लेकर बर्मिंघम तक चार बेटियों ने पांच पदक जीतकर मेरठ की माटी का मान पांच गुना बढ़ाया और देश का नाम ऊंचा किया। इन सभी ने अपने दमदार प्रदर्शन से नया मुकाम हासिल किया है।
By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 08:45 AM (IST)
मेरठ, जागरण संवाददाता। जूनियर से लेकर सीनियर तक और काली से लेकर बर्मिंघम तक चार बेटियों ने पांच पदक जीतकर मेरठ की माटी का मान पांच गुना बढ़ाया और देश का नाम ऊंचा किया। कोलंबिया के काली में आयोजित जूनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जहां मेरठ की उड़नपरी रूपल चौधरी ने एक रजत व एक कांस्य पदक जीता, वहीं ग्रेट ब्रिटेन के बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रियंका गोस्वामी ने रजत और अनु रानी व वंदना कटारिया ने कांस्य पदक जीत कर नारी शक्ति का दमदार प्रदर्शन किया।
ऐसा रहा प्रदर्शन कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रियंका गोस्वामी ने पहली बार आयोजित 10,000 मीटर पैदल चाल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है। वहीं भाला फेंक में अन्नू रानी ने अपने चिर परिचित अंदाज अंदाज में 60 मीटर की दूरी तय करते हुए कांस्य पदक जीता। हॉकी टीम की वुमन इन ब्लू में शामिल वंदना कटारिया ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम के साथ रविवार को कांस्य पदक का मैच जीत लिया। चारों खिलाड़ियों ने शुरुआती प्रशिक्षण मेरठ की माटी में की और आज दुनिया में अलग-अलग खेल में अपनी चमक बिखेर रही हैं।
खुशी मनाने के एक से अधिक बहाने मिल गए दो प्रतियोगिताओं ने मेरठ को खुशी मनाने के एकाधिक बहाने दिए हैं। जूनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पहली बार मेरठ से कोई एथलीट फाइनल में पहुंची ही नहीं बल्कि चार गुणा 400 मीटर मिक्स्ड रिले में रजत पदक और 400 मीटर एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर दोहरी सफलता हासिल की है। वहीं पैदल चाल में प्रियंका गोस्वामी तीसरी महिला एथलीट बनी जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीता।
10,000 मीटर की पैदल चाल इतना ही नहीं कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार शामिल किए गए 10,000 मीटर की पैदल चाल प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर प्रियंका ने हमेशा के लिए इस प्रतियोगिता में अपना नाम दर्ज करा दिया है। अन्नू रानी पिछले कुछ समय से 60 मीटर से ऊपर के अपने प्रदर्शन पर कायम रहीं। कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने 60 मीटर की दूरी को छू ही लिया। थोड़ी और परिश्रम कर पाती तो दूसरे स्थान पर भी पहुंच सकती थी लेकिन टॉप-थ्री में स्थान बना कर कांस्य पदक अपने नाम किया।
फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा वंदना कटारिया उत्तराखंड की रहने वाली जरूर है लेकिन उन्होंने हॉकी का शुरुआती प्रशिक्षण मेरठ में कोच प्रदीप चिंनोटी के मार्गदर्शन में ली थी। यहां से अच्छे प्रदर्शन की बदौलत लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल में चयनित हुई और वहां से जूनियर नेशनल कैंप में पहुंची और उसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। वर्तमान में वंदना कटारिया महिला हॉकी टीम की वरिष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं जिनके नाम उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त भी है।
तीसरे पदक से चूकने पर रूपल को है अफसोस जूनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रूपल ने दो पदक जीतने के बाद तीसरे इवेंट चार गुणे 400 मीटर महिला रिले दौड़ में भी हिस्सा लिया था। टीम के साथ रूपल ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए फाइनल में जगह भी बनाई। फाइनल के टॉप-8 में भारतीय टीम आठवें स्थान पर रही। भारतीय टीम ने अपनी दौड़ 3:36:72 मिनट में पूरी की जबकि स्वर्ण पदक जीतने वाली अमेरिकी टीम ने 3:28 मिनट में अपनी दौड़ पूरी कर ली थी।
तीसरा पदक लेने से चूकीं रूपल 11 अगस्त को सुबह दिल्ली पहुंचेंगी और वहां से उनके मेरठ आने की संभावना है। फोन पर रूपल ने बताया कि महिला रिले की दौड़ में शुरुआती दौड़ खराब होने के कारण वह तीसरा पदक लेने से चूक गई। शुरुआत में दौड़ अच्छी हो जाती है तो वह तीसरे मेडल के साथ मेरठ लौट पाती। बहराल रूपल अपने प्रदर्शन से काफी खुश हैं। रविवार शाम उन्होंने अन्य एथलीट दोस्तों के साथ काली शहर को भी घूम कर देखा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।