Meerut: मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी, इलाज के लिए मरीज परेशान; प्रमुख सचिव के सामने उठेगा मुद्दा
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार शनिवार को शहर में होंगे। उनका मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण का भी कार्यक्रम है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। संभावना है कि यह मुद्दा चिकित्सकों से उनकी वार्ता में उठेगा। एक साल पहले लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षकों के 211 सृजित पदों के सापेक्ष 152 पर ही नियुक्ति थी।
By Praveen VashisthaEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Fri, 04 Aug 2023 01:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मेरठ। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार शनिवार को शहर में होंगे। उनका मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण का भी कार्यक्रम है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। संभावना है कि यह मुद्दा चिकित्सकों से उनकी वार्ता में उठेगा।
एक साल पहले लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षकों के 211 सृजित पदों के सापेक्ष 152 पर ही नियुक्ति थी। सीनियर रेजिडेंट के 166 में से 110 पर चिकित्सक नियुक्ति थे। सहारनपुर और अन्य मेडिकल कॉलेजों में तबादलों का सिलसिला शुरू होने के बाद चिकित्सा शिक्षकों की संख्या और कम होनी शुरू हो गई।
माइक्रोबायोलोजी विभाग से डॉ. अनिल कुमार सिंह, सर्जरी विभाग से विनोद कुमार व ईएनटी से डॉ. कपिल कुमार का हाल ही में तबादला किया गया है। इनसे पूर्व बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. विजय जायसवाल, सर्जरी विभाग से वीरेंद्र कुमार व प्रदीप कुमार सहित दस चिकित्सा शिक्षकों का पिछले एक-दो साल में ही तबादला हुआ है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. उर्मिला कार्या को प्रतिनियुक्ति पर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बिजनौर की प्राचार्य के पद पर भेजने का शासन ने निर्णय लिया।
पिछले चार-पांच वर्ष में करीब तीस चिकित्सा शिक्षकों का तबादला हुआ, उनमें से कुछ लौट आए, लेकिन अधिकांश पदों को भरा नहीं जा सका। चिकित्सकों की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है, इसी के साथ छात्र-छात्राओं का शिक्षण भी प्रभावित हुआ है।उधर प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता का कहना है कि चिकित्सकों का तबादला शासन स्तर का निर्णय है। पूर्व में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने को पत्र भी लिखा गया था। पदों के सापेक्ष नियुक्ति न होने तक कार्य प्रभावित न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
सीटें बढ़ने में भी आ सकती है परेशानी
वर्ष 2017 में कम संसाधनों के कारण मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटों की संख्या डेढ़ सौ से घटाकर सौ कर दी गई थी। नेशनल मेडिकल कमीशन से सीटों की संख्या 200 तक कराने के प्राचार्य प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस तरह से वरिष्ठ चिकित्सकों के तबादले होते रहे तो बढ़वाना मुश्किल हो सकता है। इसी के साथ 104 से बढ़कर 144 हुईं परास्नातक की सीटों पर भी संकट के बादल छा सकते हैं।
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