Meerut Pollution News: शहर में प्रदूषण इतना कि जवान मरीज भी मिनी वेंटिलेटर पर आ रहे, चिकित्सकों ने किया आगाह
Meerut Pollution News मेरठ में प्रदूषण के चलते हालात बिगड़ते ही नजर आ रहे हैं। पीएम 2.5 की मात्रा 400 पहुंचने पर बिगड़े अस्थमा मरीज। बाईपैप पर भर्ती करना पड़ा कई में आक्सीजन भी गिरी। इस बीच डाक्टरों ने भी प्रदूषण को लेकर चेताया है। सावधानी बरतनी होगी।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Pollution News धुंध में नहाई हवा जानलेवा बन सकती है। अस्थमा और सीओपीडी के कई मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कर बाईपैप से कृत्रिम सांस देनी पड़ रही। वहीं, वायरल संक्रमण से गले में दर्द, खराश एवं एलर्जी से हालत और बिगड़ गई है। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि पीएम 2.5 का स्तर लगातार 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा रहने से आने वाले दिनों में अस्थमा का अटैक बढ़ेगा। कोरोना संक्रमण थमने के बाद एक बार फिर बाईपैप मशीनें निकल आई हैं।
बुजुर्गों में होठ और नाखून पड़ सकते हैं नीले
सांस एवं छाती रोग क्लीनिकों में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अस्थमा और सीओपीडी के पुराने मरीजों की तबीयत में तेजी से गिरावट आई है। कई में आक्सीजन की कमी से गफलत उभरी है। उन्हें मिनी वेंटिलेटर यानी बाईपैप पर लेना पड़ा। वहीं, प्रदूषण की वजह से शरीर में आक्सीजन की कमी होने से बुजुर्ग मरीजों के होठ और नाखूनों में नीलापन मिल रहा है। कई अस्पतालों में अस्थमा के जवान मरीजों को कृत्रिम सांस देनी पड़ी। इमरजेंसी में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन और नेबुलाइजर देना पड़ा।
हवा में तैरते कण दिल पर भी घातक
पीएम 2.5 का स्तर 400 पार करने के बाद हवा में विषाक्त कणों निकिल, क्रोमियम, कैडमियम व सल्फर, नाइट्रस और मोनोआक्साइड गैसों की मात्रा ज्यादा होने से हवा भारी होने से फेफड़ों पर लोड बढ़ा देती है। जिन अस्थमा मरीजों की आक्सीजन 91-93 रहती थी, उनका सेचुरेशन 85 प्रतिशत तक रह गया है। कई मरीज रेस्पिरेटरी फेल्योर के शिकार हो रहे हैं।
इनका कहना है
स्माग के साथ वायरल भी बढ़ रहा है। मरीजों के शरीर में आक्सीजन गिरने एवं कार्बन डाई आक्साइड बढऩे से गफलत आ रही है। सल्फर व नाइट्रोजन सांस की नलिकाओं में अम्ल बनाते हैं। इनहेलर नियमित रूप से लेते रहें। फ्लू और निमोनिया की वैक्सीन भी लगवाएं।
- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ
जवान मरीजों में भी रेस्पिरेटरी फेल्योर मिल रहा है। अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की हालत ज्यादा बिगड़ी है। कई को बाईपैप पर लेना पड़ा।
- डा. वीएन त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ