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Coronavirus: कोरोना के मुकाबले दूसरी वजहों से हुईं ज्‍यादा मौतें, नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों से चला पता Meerut News

नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़े देखें तो कोरोना से ज्यादा अन्य रोगों से अधिक मौत हुई हैं। लेकिन कोरोना से बचाव बेहद जरूरी है।

By Prem BhattEdited By: Updated: Thu, 07 May 2020 01:21 PM (IST)
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Coronavirus: कोरोना के मुकाबले दूसरी वजहों से हुईं ज्‍यादा मौतें, नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों से चला पता Meerut News
मेरठ, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक है। इसके बावजूद इससे डरने की जरूरत नहीं है। इससे बचने के लिए ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़े देखें तो कोरोना से ज्यादा अन्य रोगों से अधिक मौत हुई हैं।

452 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी

नगर निगम में 20 मार्च से 30 अप्रैल के बीच 1180 जन्म प्रमाण पत्र तो 452 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। 20 मार्च से छह मई के बीच कोरोना से केवल नौ मौत हुई हैं। 443 मौत दूसरे कारणों से हुई हैं। दरअसल, मौत का एक बड़ा कारण निमोनिया भी है। इसके अलावा हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, अस्थमा अटैक, किडनी फेल्योर से भी मौत हुई हैं। वायरल फीवर भी घातक रहा है। मेरठ के लिए स्वाइन फ्लू बीमारी भी घातक रही है। इससे भी कई मौतें हो चुकी हैं। देखा जाए तो कोरोना से 30 फीसद मरीज ठीक हो लौट चुके हैं।

सावधानी है बेहद जरूरी

कोरोना को लेकर दशहत है। लोग भय से घबराए हुए हैं। यह समय भयभीत होने का नहीं, बल्कि सावधान और सतर्क रहते हुए कोरोना से लड़ने का है। मेरठ के आंकड़े देखें तो कोरोना का संक्रमण भले ही चिंताजनक है, लेकिन इससे छावनी में केवल दो मौत हुई हैं। अन्य बीमारियों से कहीं अधिक लोग मरे हैं। छावनी परिषद में मार्च और अप्रैल में ही 39 लोगों की मौत हो चुकी है।

इन बीमारियों के कारण मौतें \

इसमें अधिकांश लोगों का निधन अन्य बीमारियों से हुआ है। दोनों महीनों के अलग-अलग आंकड़ों को देखें तो जहां मार्च में 28 लोगों का निधन हुआ है। वहीं अप्रैल में 11 लोगों की मौत हुई है। छावनी में इन दो महीनों में मरने वाले लोगों में दिल की बीमारी, कैंसर, मधुमेह आदि बीमारियां अधिक रहीं। इसके बावजूद इन दो महीनों में मृत्यु की अपेक्षा नवजात शिशुओं के जन्म लेने का आंकड़ा अधिक है, जो जीवन के प्रति लोगों को आशान्वित करता है। वहीं यह भी बताता है कि इस विकट स्थिति में भी जन्म दर कम नहीं है। मार्च में छावनी में 45 बच्चों की पैदाइश हुई है। अप्रैल में 31 बच्चे पैदा हुए हैं।

हॉटस्पाट क्षेत्र दो बार सैनिटाइज

छावनी में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी वार्ड में सैनिटाइज किया जा रहा है। बुधवार को लोगों ने हेल्पलाइन फोन कर छावनी के कर्मचारियों को छिड़काव के लिए बुलाया। सीईओ प्रसाद चव्हाण ने भी कुछ वार्ड का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी वार्ड में छिड़काव के निर्देश दिए हैं। साथ ही हॉटस्पाट क्षेत्रों में दो बार सघन छिड़काव करने को कहा है।

बेहद जरूरी है बचाव कार्य

लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करें। घर पर ही रहें।

इमरजेंसी में घर से निकले तो मास्क और ग्लब्स का उपयोग करें।

घर पर हों या ऑफिस में सैनिटाइजर से हाथों की धुलाई करते रहें।

बाहर से आए किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।

किसी भी व्यक्ति से एक मीटर की दूरी बनाकर रखें।

घर पर जब भी बाहर से आएं तो किसी के संपर्क में न आएं।

फौरन गुनगुने पानी और साबुन से स्नान करें। कपड़े धोएं।

विधायक सोमेंद्र ने मुख्यमंत्री योगी को बताया शहर का हाल

बुधवार को भाजपा विधायक सोमेंद्र तोमर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता की और कोरोना से बिगड़ते हालात पर चर्चा की। उन्होंने शहर में महामारी को काबू करने के लिए कठोर कदम उठाए जाने का अनुरोध किया। उपचार सेवाओं को गुणवत्तापरक बनाने का मुद्दा भी रखा। मेरठ दक्षिण विधानसभा से विधायक सोमेंद्र तोमर ने सीएम से मेडिकल कॉलेज के कोरोना उपचार को लेकर लोगों में असंतोष का मुद्दा उठाया। विधायक ने कहा कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन नहीं होने पर मेरठ में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रतिदिन मरीज मिल रहे हैं और नागरिक सड़कों व गलियों में भ्रमण करते रहते हैं। जिले में जनता कफ्र्यू लगाया जाए। सीएम ने आश्वस्त किया कि मेडिकल कॉलेज के लिए कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना को निर्देशित किया गया कि आगरा और मेरठ के लिए अलग से अधिकारियों की व्यवस्था कराई जाए।

भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बोले-अब कफ्यरू ही निदान

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने जिलाधिकारी अनिल ढींगरा को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के अथक प्रयास के बावजूद दुर्भाग्यवश मेरठ रेड जोन में रह गया। तीसरे लॉकडाउन में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इसके लिए प्रशासनिक लापरवाही और लॉकडाउन तोड़ने वाले कुछ एक-दो फीसद लोग जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अब कफ्यरू ही एक मात्र रास्ता है। क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए हैं।

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