सांसद Arun Govil के सामने छूटे पसीने, जनप्रतिनिधियों ने पूछे 27 सवाल... मगर बिजली अफसरों के पास नहीं था जवाब
सांसद अरुण गोविल ने मेरठ में बिजली आपूर्ति और अन्य मुद्दों पर बिजली अधिकारियों से 27 सवाल पूछे लेकिन अधिकारी एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए। ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर भी अधिकारियों पर भड़क उठे। बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए जिनमें हाईटेंशन लाइन सब स्टेशन बिजली बिल ट्रांसफार्मर चोरी और हादसों से जुड़े मुआवजे शामिल थे।
जागरण संवाददाता, मेरठ। जिला विद्युत समिति की बैठक सांसद अरुण गोविल की अध्यक्षता में बुधवार को विकास भवन के सभागार में हुई। बिजली आपूर्ति समेत कई मामलों को लेेकर जनप्रतिनिधियों ने बिजली अधिकारियों से 27 सवाल पूछे, लेकिन एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए।
ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर तो कई बार बैठक् में अपने विभाग के अधिकारियों पर भड़क उठे। कहा कि बिजली अधिकारी माह में एक भी बैठक जनप्रतिनिधियों के साथ नहीं करते हैं। करीब एक घंटे चली बैठक में जनप्रतिनिधियों ने पहली बैठक में दिए प्रस्तावों के संबंध में सवाल पूछे लेकिन विभागीय अधिकारी मौन रहे।
सबसे पहले बागपत सांसद राजकुमार सागवार ने पूछा कि उन्होंने करीब 10 कालोनियों का प्रस्ताव दिया था कि उनके घरों की छतों से हाईटेंशन लाइन अभी तक क्यों नहीं बदली गई। जिसका जवाब बिजली अधिकारियों के पास नहीं था। राज्यमंत्री साेमेंद्र तोमर ने पूछा कि 33/11 के जिले में कितने सब स्टेशन बने। इसका भी जवाब नहीं मिला। इसी बीच डीएम ने अधिकारियोंयों से इसका विवरण तलब किया।
बागपत सांसद ने पूछा कि वह हर माह बिल क्यों नहीं भेज रहे हैं। दो माह में बिल भेजे जा रहे हैं। इसका जवाब था कि बिल कुछ कालोनियों में हर माह नहीं जा रहे हैं। अब शुरू हो जाएंगे। सांसद अरुण गोविल ने पूछा कि देहात क्षेत्र में 246 ट्रांसफार्मर चोरी हो गए और पैरवी क्यों नहीं की जा रही है। जवाब नहीं मिला।
अरुण गोविल ने कुल मिलाकर तीन, सोमेंद्र तोमर ने सात, राजकुमार सागवान ने 13, एमएलए अमित अग्रवाल ने चार सवाल बिजली विभाग से पूछे, लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी इक्का दुक्का छोड़कर किसी भी सवाल का सही से जवाब नहीं दे पाए। बिजली विभाग की तरफ से बताया गया कि 85 प्रतिशत बिजली बिलों की वसूली की जा रही है और सोलर प्लांट के भी 23 हजार से अधिक आवेदन का चुके हैं।
कहा और क्यो अटकी है हादसों की फाइल
सांसद अरुण गोविल ने पूछा कि इस साल कितने हादसे हुए और कितनों को मुआवजा दिया गया। बिजली विभाग के मुख्य अभियंता ने बताया कि 37 कुल हादसे हुए है। जिनमें से 17 को मुआवजा दे दिया गया। 20 के बारे में पूछा कि कहां पर बाकी की फाइल अटकी हुई है।
कोई जवाब बिजली अधिकारी नहीं दे सके। बाद में डीएम ने अधिकारियों से पूछा कि यह यह मामले क्यों लंबित है तो बताया कि अधिकांश पत्रावली तहसील में लंबित है। इस पर डीएम ने कहा कि मुख्य अभियंता या अन्य किसी अधिकारी ने इसकी जानकारी उन्हें दी। यदि समय पर जानकारी दी जा ती तो यह मामले निस्तारित होते। डीएम ने एडीएम प्रशासन को यह मामले निस्तारित कराने के आदेश दिये।
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