भूमिगत ट्रेन की रोमांचक यात्रा का अनुभव करें! 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली नमो भारत ट्रेन के साथ सुरक्षा सर्वोपरि है। शीशे की दीवारें यात्रियों को सुरक्षित रखती हैं और मास स्प्रिंग सिस्टम कंपन को कम करता है। मेरठ सेंट्रल और भैंसाली स्टेशनों का अन्वेषण करें और भविष्य की यात्रा के लिए तैयार हो जाएं ।
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। हैरतअंगेज इंजीनियरिंग और बेहद सुरक्षित तकनीक है नमो भारत का भूमिगत ट्रैक। उदाहरण के लिए समझें कि अगर कंपनरोधी और हवा के दबाव को खत्म करने वाली तकनीक न हो तो भूमिगत भैंसाली स्टेशन से 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजरती ट्रेन के पास प्लेटफार्म पर खड़े यात्री हवा में उड़ जाएं। लेकिन कमाल ऐसा कि यात्री से हवा का झोंका भी नहीं टकराएगा।
ट्रेन से सटे प्लेटफार्म पर एक शीशे की दीवार भी होगी, जिससे यात्री ट्रैक पर किसी भी स्थिति में नहीं गिर सकते।
दैनिक जागरण की टीम ने भविष्य की रोमांचकारी यात्रा से पहले भूमिगत भैंसाली और मेरठ सेंट्रल स्टेशन का निरीक्षण कर तकनीक को समझा। इन दोनों स्टेशनों पर सिर्फ मेट्रो रुकेगी जबकि नमो भारत धड़धड़ाती निकल जाएगी। इन दोनों स्टेशनों पर बीच के ट्रैक पर मेट्रो रुकेगी और किनारे के ट्रैक से नमो भारत निकल जाएगी।
नमो भारत ट्रेन के हवा के दबाव से बचाने के लिए उस ट्रैक व प्लेटफार्म के बीच दीवार खड़ी की जाएगी। यह दीवार मजबूत शीशे की होगी। इससे यात्री नमो भरत ट्रेन को जाती हुई देख तो सकेंगे लेकिन उसकी हवा प्लेटफार्म की तरफ नहीं आएगी। प्लेटफार्म पर उसका तेज कंपन भी अनुभव नहीं होगा।
मास स्प्रिंग सिस्टम से कम होगा कंपन
सुरंगों में ट्रेन जब तेज गति से दौड़ेगी तब भी कंपन कम होगा।
इसके लिए मास स्प्रिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया है। इसके लिए सुरंग में ट्रैक स्लैब बनाने से पहले टनल की सतह पर पहले कंक्रीट की परत बिछाई जाती है। इसके बाद इस परत पर मास स्प्रिंग शीट बिछाई जाती है और उसके ऊपर ट्रैक बिछाया जाता है। इस सिस्टम के इंस्टालेशन से कंपन कम से कम हो जाता है।
रामलीला मैदान व गांधी बाग के पास भूमिगत होंगी ट्रेनें
दिल्ली रोड पर ब्रह्मपुरी मेट्रो स्टेशन के बाद रामलीला मैदान (मारुति शोरूम) से बेगमपुल स्टेशन के बाद गांधी बाग तक सुरंग बनाई गई है। भूमिगत हिस्सा दोनों ओर से एलिवेटेड वायाडक्ट के रैंप से जुड़ चुका है। इन दोनों रैंप से ट्रेन जमीन के अंदर आएगी और यहीं से बाहर निकलकर एलिवेटेड हिस्से पर चढ़ेगी।
भूमिगत हिस्से में अब यह होंगे कार्य
भूमिगत हिस्से में ट्रैक स्लैब के इंस्टाल होने के बाद सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक्शन (ओएचई) लगाने की गतिविधियां शुरू की जाएगी। इसके साथ ही ट्रेन संचालन व टिकट आदि से संबंधित उपकरण भी स्थापित होंगे। इसी के साथ दो द्वार बनाए जा रहे हैं उस पर फिनिशिंग कार्य होगा।
मेरठ सेंट्रल : तकनीकी कक्ष तैयार, तेजी से जारी कार्य
दिल्ली की तरफ से आते समय पहला भूमिगत स्टेशन मेरठ सेंट्रल है, जो रामलीला मैदान से आगे है। ये आकार ले चुका है। यह आइलैंड की तरह का प्लेटफार्म होगा जिसके दोनों ओर चार ट्रैक हैं। किनारे के दोनों ट्रैक नमो भारत ट्रेन के निकलने के लिए होंगे जबकि प्लेटफार्म के दोनों ओर के ट्रैक मेरठ मेट्रो ट्रेन के रुकने के लिए होंगे। दो प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक की छत भी लगभग तैयार है जबकि दूसरे पर काम जारी है। इस स्टेशन पर तकनीकी कमरे भी लगभग तैयार हैं व फिनिशिंग की जा रही है।
भैंसाली : स्थापित कर रहे लिफ्ट व उपकरण
भैंसाली बस डिपो के नजदीक बने स्टेशन पर काफी भीड़ का अनुमान है। तीन प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। स्टेशन पर चार ट्रैक बनाए गए हैं, जिनमें से दो नमो भारत और बाकी मेट्रो ट्रेन के लिए होंगे। आइलैंड प्लेटफार्म होगा, जहां बीच के दो ट्रैक मेट्रो के लिए होंगे जबकि किनारे के दोनों ट्रैक से नमो भारत ट्रेन सरपट दौड़ जाएगी। स्टेशन के तकनीकी कमरे भी लगभग तैयार हैं। सीढ़ियों और लिफ्ट के लिए काम जारी है। फिनिशिंग आदि का कार्य प्रगति पर है।
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बेगमपुल : यहां तो ध्यान रखना है कौन सी नमो भारत, कौन सी मेट्रो
बेगमपुल स्टेशन का अलग की अनुभव व अलग ही रोमांच रहेगा। जमीन में नीचे उतरते हुए पहले आपको वातानुकूलित बाजार आकर्षित करेगी। यहां से आप प्लेटफार्म की तरफ बढ़ेंगे तो वहां आपके लिए एक चुनौती रहेगी। यहां पर जिस प्लेटफार्म पर नमो भारत रुकेगी उसी पर मेट्रो भी रुकेगी। यात्री को किस ट्रेन से यात्रा करनी है इसका ध्यान रखना पड़ेगा। इसके लिए ट्रेन की पहचान, उद्घोषक की आवाज व डिजिटल बोर्ड पर ध्यान देना होगा। बेगमपुल मेरठ में नमो भारत ट्रेन का एकमात्र भूमिगत स्टेशन है।
साथ ही यह मेरठ का सबसे बड़ा भूमिगत स्टेशन और पूरे कारिडोर का सबसे गहरा स्टेशन है। इस स्टेशन पर दो ही ट्रैक हैं। आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम की सहायता से नमो भारत और मेरठ मेट्रो का संचालन किया जाएगा। बड़ा व्यापारिक केंद्र होने के कारण इस स्टेशन पर चार प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। स्टेशन के तकनीकी कमरे भी लगभग तैयार हैं। भीतर सीढ़ियां भी लगभग तैयार कर दी गई हैं और लिफ्ट के लिए काम जारी है। वातानुकूलन के लिए एसी डक्ट्स भी लगाए जा चुके हैं।
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